पाक के सिंध प्रांत में गंदी सुई और दूषित खून से बच्चों में हो रहा एचआईवी, रिपोर्ट आई सामने
पाकिस्तान के एक शहर में गंदी सुई और दूषित खून चढ़ाए जाने की वजह से बच्चों में एचआईवी जैसी बीमारियां हो रही हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान के पास स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अभाव है जिसके कारण यहां के किशोर एचआईवी जैसी गंभीर बीमारी के शिकार हो रहे हैं। पाकिस्तानी डॉक्टरों के एक समूह ने कहा कि देश के पश्चिमी शहर रत्तोडेरो में खराब स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण बच्चे तेजी से एचआईवी की चपेट में आ रहे हैं। डॉक्टरों ने कहा कि इस तरह की बीमारी संक्रमित चीजों के इस्तेमाल से हो रही हैं। पाकिस्तानी डॉक्टरों के एक समूह ने ही इस बात की तस्दीक की है। सरकार ने तत्काल कई कदम उठाए, तीन ब्लड बैंकों को बंद कर दिया गया और अप्रशिक्षित कर्मचारियों की सहायता से चलाए जा रहे 300 क्लीनिकों पर भी ताला लगा दिया गया है।
22 करोड़ है आबादी
पाकिस्तान की कुल आबादी करीब 22 करोड़ है। आबादी के लिहाज से यहां पर स्वास्थ्य की सुविधाओं का अभाव है। यहां रहने वाले 70 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवा के लिए निजी अस्पतालों में जाते हैं। इन निजी क्षेत्रों में ज्यादातर पर किसी संस्था का नियंत्रण नहीं है, इस वजह से यहां पर तमाम अव्यवस्थाएं देखने को मिलती है। कई पाकिस्तानियों के बीच धारणा यह है कि इंट्रावेनस या इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन खाने वाली दवा से ज्यादा प्रभावी होता है। इस धारणा की वजह से देश में सीरिंज का उपयोग बढ़ा है और गंदी सुई के इस्तेमाल की संभावना भी बढ़ रही है।
930 लोग एचआईवी पॉजिटिव थे
इंटरनेशनल लांसेट इंफेक्शियस डिजिज जर्नल में प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार उस समूह में 930 लोग एचआईवी पॉजिटिव थे। इसमें 5 साल से ज्यादा उम्र वालों की संख्या 604 और 16 साल से ज्यादा उम्र वालों की संख्या 763 थी। डॉक्टरों ने पाकिस्तान सरकार से आग्रह किया है कि वे इस बात को समझने के लिए ज्यादा काम करें कि आखिर यह वायरस ड्रग यूजर्स और यौनकर्मियों जैसे ज्यादा जोखिम वाले लोगों से सामान्य आबादी तक कैसे पहुंचा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि दक्षिणी सिंध प्रांत के रत्तोडेरो शहर में 591 बच्चों को इलाज की जरुरत है लेकिन इसके लिए पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं है।
मेडिकल डाटा के बाद अध्ययन के बाद निकली रिपोर्ट
डॉक्टरों का कहना है कि यह सच्चाई वाकई चिंताजनक है। उन्होंने रत्तोडेरो में 31,239 लोगों के मेडिकल डाटा का अध्ययन किया। यहां काफी संख्या में लोग एचआईवी से प्रभावित हुए हैं, ये वो लोग हैं जो रिसर्च के दौरान बीमारी के बारे में जानकारी देने के लिए रजामंद हो गए। पता चला कि इलाज कराने वाले ज्यादातर बच्चों के लिए दूषित सुइयों और खून का इस्तेमाल किया गया। सिंध प्रांत के कराची में मौजूद आगा खां विश्वविद्यालय की डॉ. फातिमा मीर कहती हैं कि पिछले दो दशक में पाकिस्तान में कई बार एचआईवी का प्रकोप सामने आया है लेकिन इससे पहले हमने ये नहीं देखा कि इतने सारे किशोर प्रभावित हुए हैं या इसके पीछे की वजह स्वास्थ्य सुविधा है।
कैसे काम करती है दवा
एचआईवी के साथ जी रहे कई लोगों को पता ही नहीं होता कि उन्हें संक्रमण है। इसके कारण उनके आसपास के लोगों में भी अनजाने में संक्रमित होने का खतरा कहीं ज्यादा बढ़ जाता है। अगर ऐसे लोग प्री-एक्पोजर प्रोफिलेक्सिस (PREP) गोलियां लें तो संक्रमण से बच सकते हैं। इसे रोज खाना होता है।
प्रभावी है गोली
गर्भनिरोधक गोलियों की ही तरह इतना असर भी इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कितने नियमित तौर पर लिया जा रहा है। शत प्रतिशत नियमित होने पर ही संक्रमण से बचने की शत प्रतिशत गारंटी होती है। खासकर महिलाओं को तो ये रोजाना लेना ही चाहिए।
बिल्कुल सुरक्षित है
प्री-एक्पोजर प्रोफिलेक्सिस (PREP) गोलियां लोगों के लिए उतनी ही सुरक्षित हैं जितनी एस्पिरिन की गोली, इसके साइड इफेक्ट भी उतने ही कम हैं जैसे किसी आम पेनकिलर गोली के होते हैं। 2017 में दक्षिण अफ्रीका में की गई एक स्टडी से पता चला कि यौन रूप से सक्रय किशोर-किशोरियों में भी यह काफी सुरक्षित रही।
ज्यादा लोगों तक नहीं पहुंची
जागरुकता की कमी के कारण इतनी असरदार दवा अब तक ज्यादा लोगों तक नहीं पहुंच पाई है। कई देशों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में पर्याप्त खर्च नहीं होता और महंगी होने के कारण ये लोगों की पहुंच से दूर ही रह जाती है। कई स्वास्थ्यकर्मी भी दुर्भावना से ग्रस्त होने के कारण इसके बारे में लोगों को नहीं बताते हैं।