पाकिस्तान में महंगाई की मार झेल रहे लोगों ने पूछा- घास की रोटी ही खिलाओंगे क्या इमरान
Inflation in Pakistan भारत से व्यापारिक रिश्ते तोड़ने के बाद पाकिस्तान अब पछता रहा है लेकिन उसने विरोध का जो बिगुल फूंका उससे वापस लौटना फिलहाल उसके बस में नहीं है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत से बातचीत क्या बंद की, उनके बुरे दिन शुरू हो गए हैं। पहले ही आर्थिक बदहाली की मार झेल रहे पाकिस्तान में अब लोगों को खाने-पीने की चीजों के लाले पड़ने लगे हैं। पाकिस्तान में खाने-पीने की चीजों की इतनी ज्यादा कमी हो चुकी है कि वहां दूध, पेट्रोल से भी महंगा बिक रहा है। बकरीद के बाद मुहर्रम पर भी लोगों को महंगाई की मार का सामना करना पड़ा। अब लोगों ने कहना शुरू कर दिया है कि पाकिस्तानी सरकार वास्तव में उन्हें घास की रोटी ही खिलाकर मानेगी।
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार वहां के बड़े शहरों में दूध की कीमतें बेकाबू हो चुकी हैं। पाकिस्तान के बड़े शहरों में शामिल कराची और सिंध प्रांत में मंगलवार को मुहर्रम के मौके पर दूध 140 रुपये प्रति लीटर बिका। इतनी ज्यादा कीमत होने के बावजूद लोगों को दूध के लिए भटकना पड़ रहा था। दूध ही नहीं पाकिस्तान में खाने-पीने की अन्य चीजें और यहां तक कि दवाईयों के दाम भी बेतहासा बढ़ चुके हैं। यही वजह है कि खुद भारत संग व्यापार बंद करने की घोषणा करने वाले पाकिस्तान ने दो दिन पहले अपने आप ही गुपचुप तरीके से भारत से दवाईयों का आयात शुरू कर दिया है।
जनता महंगाई से त्रस्त, पीएम सरकारी खर्च पर कर रहे जलसा
एक तरफ महंगाई से जूझ रही जनता की नाराजगी और दूसरी तरफ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान, 13 सितंबर को पीओके के मुजफ्फराबाद में सरकारी खर्च पर बड़ा जलसा करने का ऐलान कर चुके हैं। इस जलसे का मकसद केवल इतना ही कि वह एक बार फिर दिखावा करना चाहते हैं कि वह अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद कश्मीर की जनता के साथ हैं। ऐसे में उनके देश के ही लोग पूछने लगे हैं कि पाकिस्तानी आवाम को नजरअंदाज कर कश्मीरी लोगों के समर्थन में सरकारी खर्च पर जलसे का मतलब क्या है?
मुहर्रम पर कम हुई सबील के स्टॉलों की संख्या
आपको जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान में फिलहाल दूध की कीमतें पेट्रोल और डीजल से भी ज्यादा हैं। दो दिन पहले तक पाकिस्तान में पेट्रोल 113 रुपये प्रति लीटर और डीजल 91 रुपये प्रति लीटर बिका है। मुहर्रम पर पाकिस्तान में जगह-जगह दूध, जूस और ठंडे पानी के स्टॉल (सबील) लगाए जाते हैं। महंगाई की वजह से इस बार ताजिया के जुलूस के दौरान इन स्टॉलों की संख्या कम रही है। बावजूद दूध की कीमतें सबसे ज्यादा रहीं।
मुहर्रम पर बढ़े दाम
पाकिस्तान में सबील का स्टॉल लगाने वाले एक स्थानीय नागरिक ने पाकिस्तानी मीडिया से बातचीत में बताया कि मुहर्रम के मौके पर पाकिस्तान की गली-गली में सबील के स्टॉल लगते हैं। वह बचपन से ये स्टॉल देखते आ रहे हैं, लेकिन उन्हें याद नहीं है कि कभी भी मुहर्रम के मौके पर दूध के दाम इतने ज्यादा बढ़े हों।
94 रुपये तय है दूध की कीमत
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार दूध की कीमतों का नियंत्रण कराची के कमिश्नर इफ्तिखार शलवानी द्वारा किया जाता है। पाकिस्तानी मीडिया में कहा जा रहा है कि कराची कमिश्नर कीमतों को नियंत्रित करने में असफल साबित हो रहे हैं। ऐसा लग रहा है मानों वह कुछ कर ही नहीं रहे या करना नहीं चाहते हैं। मालूम हो कि कराची कमिश्नर के ऑफिस द्वारा दूध की अधिकतम कीमत 94 रुपये प्रति लीटर निर्धारित की गई है।
लोग पूछ रहे घास की रोटी ही खिलाओ क्या
भारत ने 1974 में पोखरण में पहले परमाणु बम का परीक्षण किया था। तब पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने कहा था, 'हम घास की रोटी खाएंगे, लेकिन परमाणु बम जरूर बनाएंगे।' भुट्टो के इसी बयान का संज्ञान लेकर पाकिस्तान के नागरिक अपनी सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि अब क्या घास की ही रोटी खानी पड़ेगी। सोशल मीडिया पर लोग कमेंट कर रहे हैं कि भुट्टो ने कहा था अगर जरूरत पड़ी तो हम घास की रोटी खाएंगे, तब पाकिस्तान की आवाम ने उनकी हां में हां मिलाई थी। अब उस वादे को पूरा करने का समय आ गया है। वहीं कुछ लोग मजाकिया अंदाज में कह रहे हैं कि रोटी, नान और दूध की बढ़ती कीमतें तब तक कोई मायने नहीं रखतीं, जब तक कि घास उससे सस्ती है।