Move to Jagran APP

पाकिस्‍तान में गधों के मेलों में बिक रहे परमाणु बम, एके-47, राकेट लॉन्‍चर और ...

खस्‍ताहाल पाकिस्तान में इन दिनों गधों का मेला लगा हुआ है। यह मेला लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 06:37 PM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 09:22 PM (IST)
पाकिस्‍तान में गधों के मेलों में बिक रहे परमाणु बम, एके-47, राकेट लॉन्‍चर और ...
पाकिस्‍तान में गधों के मेलों में बिक रहे परमाणु बम, एके-47, राकेट लॉन्‍चर और ...

इस्‍लामाबाद, जेएनएन। खस्‍ताहाल पाकिस्तान में इन दिनों गधों का मेला लगा हुआ है। यह मेला लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि इन गधों के नाम खतरनाक किस्‍म के बमों और हिंदू मुस्लिम के कई प्रसिद्ध हस्तियों के नामों पर रखे गए हैं। यह मेला पाकिस्‍तान के हैदराबाद शहर से 65 किमी दूर बादिन जिले में लगा हुआ है। हर साल यह मेला पाकिस्तान में लगता है। मेले में हिस्‍सा लेने के लिए कराची, बादिन सहित पाकिस्तान के कई जिलों से व्‍यापारी पहुंचते हैं।

prime article banner

यह पूरा मेला करीब 4 एकड़ इलाके में लगा है। कुछ ग्राहकों की शिकायत है कि बड़े शहरों से दूरी होने की वजह से उन्‍हें यहां आने में परेशानी हुई। मेले में गधों का नाम रॉकेट लॉन्‍चर, परमाणु बम, एके-47 रखा गया है। इतना ही नहीं, कुछ गधों के नाम तो माधुरी, शीला, दिल पसंद रखे गए हैं। गधों के नाम मेले में पहुंचे लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। यह पूरा मेला करीब 4 एकड़ इलाके में लगा है।

दो लाख रुपये तक की गधों की कीमत
इन गधों के रंग भी अलग-अलग हैं। कुछ सफेद, कुछ ग्रे और कुछ भूरे और काले रंग के गधे हैं। इनमें मादा गधा भी बिक रही हैं। ये गधे आमतौर पर लासी, लारी, ईरानी और थारी प्रजाति के हैं। पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इन गधों की कीमत 20,000 रुपये से लेकर दो लाख रुपये तक है। हालांकि, गधों की कीमत अधिक होने और अर्थव्‍यवस्‍था के खस्‍ताहाल होने से इस बार खरीदार कम आ रहे है।

पिछले करीब 70 सालों से यह मेला लगता आ रहा है। बता दें कि पाकिस्तान में गधों की जनसंख्या काफी है। पाकिस्तान के अधिकांश गधों का निर्यात चीन में होता है। इसके जरिए पाकिस्‍तान विदेशी मुद्रा हासिल करता है। वैसे भी पाकिस्‍तान ने चीन से भारी मात्रा में लोन ले रखा है। लोन चुकाने में ये गधे पाकिस्‍तान के सहायक साबित होते हैं। चीन में गधों से परंपरागत दवाइयां तैयार की जाती हैं। गधे की त्वचा से बने जिलेटिन को लंबे समय से चीन में औषधीय गुण माना जाता है। पारंपरिक रूप से रक्त के पोषण और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए गधों का उपयोग होता है।

इसे भी पढ़ें: अब शिमला समझौता खत्म करने की धमकी देकर भारत को डराना चाह रहा पाकिस्तान

गधों का चीन में होता है निर्यात
इसके अलावा चीन में गधे के मांस की भी काफी मांग है। हालांकि गधों की आबादी के मामले में चीन पहले स्‍थान पर है। गधों की आबादी में पाकिस्‍तान पूरी दुनिया में तीसरे स्‍थान पर है। पाकिस्‍तान में गधों की आबादी करीब 50 लाख है। भारी मांग और उत्‍पादन की वजह से पिछले कई सालों से चीन को गधों के लिए पाकिस्‍तान की ओर रुख करना पड़ा है। इतना ही नहीं, गधों के विकास के लिए चीन पाकिस्‍तान के खैबर पख्‍तूनख्‍वा प्रांत में गधों के प्रजनन के लिए निवेश करेगा। यहां पाकिस्‍तान में गधा विकास केंद्र बनाया जाएगा।

इसके लिए चीन 3 अरब डॉलर का निवेश करेगा। यहां पर गधे के लिए पाकिस्‍तान में अपनी तरह का पहला खेत विकसित करेगा। इसके अलावा विदेशी साझेदारी के साथ डेरा इस्माइल खान और मनसेहरा में दो गधा फार्म स्थापित किए जा रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार पहले तीन सालों में पाकिस्‍तान की योजना 80 हजार गधों का निर्यात करने की योजना है।  

इसे भी पढ़ें: एटमी वॉर की गीदड़-भभकी देने वाले इमरान ने माना भारत से युद्ध हुआ तो हार जाएगा पाकिस्तान

इसे भी पढ़ें: Afghanistan: अफगान-अमेरिकी सेना का बड़ा ऑपरेशन, 90 तालिबानी आतंकियों को मार गिराया


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.