आसान नहीं होगी इमरान की राह, हार चुके नेता मिला सकते हैं हाथ
दूसरे और तीसरे नंबर पर आने वाली पार्टियों ने यदि एकजुट होकर चुनाव नतीजों का विरोध करना शुरू कर दिया तो इमरान और उनकी पार्टी के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी।
कराची, प्रेट्र। पाकिस्तान के संसदीय चुनाव में तहरीक-ए-इंसाफ के सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के बावजूद इसके नेता इमरान खान के लिए आगे की राह आसान नहीं लग रही है। चुनाव में लग रहे हेराफेरी के आरोपों के बीच राजनीतिक विश्लेषकों को देश में राजनीतिक अनिश्चितता बने रहने का खतरा दिखाई दे रहा है। उनका मानना है कि जिस तरह से कई बड़े नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है, उससे इस बात की संभावना है कि वे इमरान के खिलाफ आपस में हाथ मिला सकते हैं।
नेशनल असेंबली के चुनाव में कई नेताओं को अप्रत्याशित रूप से हार का सामना करना पड़ा है। हार का मुंह देखने वाली पार्टियों ने देरी से चुनाव परिणाम की घोषणा होने के बाद धांधली का आरोप लगाना शुरू कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषक उमर अल्वी कहते हैं कि पाकिस्तान की राजनीति में अगले कुछ दिन महत्वपूर्ण होंगे। दूसरे और तीसरे नंबर पर आने वाली पार्टियों ने यदि एकजुट होकर चुनाव नतीजों का विरोध करना शुरू कर दिया तो इमरान और उनकी पार्टी के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी।
नेशनल असेंबली में 68 और पंजाब विधानसभा में 122 सीटें जीतकर सम्मानजनक स्थिति में होने के बावजूद पीएमएल-एन ने चुनाव परिणाम को खारिज कर दिया है। इसी तरह कराची के अपने गढ़ से जिस तरह बिलावल भुट्टो को हार का मुंह देखना पड़ा है, उससे पीपीपी कार्यकर्ताओं में बहुत नाराजगी है। ल्यारी को पीपीपी के लिए सबसे सुरक्षित सीटों में एक माना जाता है। बिलावल मलकंद से भी चुनाव हार गए हैं। हालांकि, पीपीपी की परंपरागत सीट लरकाना से वे संसद पहुंचने में कामयाब हो गए। बिलावल ने कहा कि पार्टी नेताओं से बातचीत कर जल्द ही अगले कदम का एलान किया जाएगा।
इसके अलावा मैदान में हाथ आजमाने वाली धार्मिक पार्टियां भी चुनाव में हेराफेरी का आरोप लगा रही हैं। इमरान के चिर प्रतिद्वंद्वी मौलाना फजलुर रहमान कह चुके हैं कि वे जल्द ही चुनाव परिणाम पर चर्चा करने के लिए सभी पार्टियों का सम्मेलन बुलाएंगे। इस चुनाव में रहमान को भी हार का मुंह देखना पड़ा है।