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इमरान खान से भारत के साथ खोखरापार-मुनाबाव सीमा को दोबारा खोलने का किया गया आग्रह, जानिए वजह

पत्र में उल्लेख किया गया है कि 1947 में विभाजन के बाद से दोनों देशों में रहने वाले लाखों मुस्लिमों और हिंदुओं को दो पवित्र स्थानों पर जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 08:56 AM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 12:15 PM (IST)
इमरान खान से भारत के साथ खोखरापार-मुनाबाव सीमा को दोबारा खोलने का किया गया आग्रह, जानिए वजह
इमरान खान से भारत के साथ खोखरापार-मुनाबाव सीमा को दोबारा खोलने का किया गया आग्रह, जानिए वजह

वॉशिंगटन, एएनआइ। अमेरिका स्थित एक वकालत समूह ने पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान से भारत के साथ खोखरापार-मुनाबाव सीमा को फिर से खोलने का आग्रह किया है। इसका उद्देश दोनों देश के लोगों को सुविधा प्रदान करना है। यहां खासकर पाकिस्तान के मुस्लिम तीर्थयात्रियों को राजस्थान में दरगाह अजमेर शरीफ और भारत से हिंदू श्रद्धालुओं को बलूचिस्तान प्रांत में हिंगलाज मंदिर की यात्रा के दौरान सुविधा की बात कही गई।

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वॉइस ऑफ कराची प्रमुख नदीम नुसरत द्वारा खान को एक पत्र लिखा गया, जिसकी शरुआत सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर कॉरिडोर को खोलने पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को बधाई देते हुए हुई। 25 नवंबर के पत्र में कहा गया, 'अब जब आपकी सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर खोलकर, सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान में अपने पवित्र स्थानों की यात्रा करने के लिए सुविधाजनक स्थिति बनाकर सराहनीय भव्यता दिखाई है, तो मैं आपसे क्रमशः मुस्लिम मोइनुद्दीन चिश्ती और हिंगलाज देवी के लाखों मुस्लिमों और हिंदू अनुयायियों की ओर से अनुरोध करूंगा कि खोखरापार-मुनाबाव सीमा को तत्काल प्रभाव से खोलने कर उदारता दिखाए।'

पत्र में उल्लेख किया गया है कि 1947 में विभाजन के बाद से दोनों देशों में रहने वाले लाखों मुस्लिमों और हिंदुओं को दो पवित्र स्थानों पर जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सौभाग्य से, दोनों मुद्दों को उसी तरह की दयालुता के साथ हल किया जा सकता है जिसमें आपने करतारपुर कॉरिडोर को खोल दिया है।

सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती का श्राइन, जिसे व्यापक रूप से दरगाह अजमेर शरीफ के रूप में जाना जाता है, राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित है, जो एक राज्य है जो पाकिस्तान के सिंध प्रांत के नजदीक है, जहां भारत के लाखों मुस्लिम विभाजन के बाद बस गए थे।

पत्र में उल्लेख किया गया है कि खोखरापार सीमा पार से अजमेर मंदिर तक की यात्रा बस कुछ ही घंटों की है, हालांकि, खोखरापार-मुनाबाव सालों से बंद होने के कारण, तीर्थयात्रियों को पंजाब और दिल्ली की यात्रा पर जाना पड़ता है, जिससे यात्रा चार गुना लंबी हो जाती है। ।

पत्र में लिखा गया है, 'यह अनावश्यक यात्रा आगंतुकों पर भारी वित्तीय बोझ डालती है। परिणामस्वरूप, पाकिस्तान में संत मोइनुद्दीन चिश्ती के लाखों अनुयायी उनके तीर्थस्थल पर नहीं जाते हैं। पत्र ने आगे खान को बलूचिस्तान प्रांत में मकरान तट पर स्थित एक पवित्र हिंदू मंदिर हिंगलाज मंदिर की ओर आकर्षित किया गया।

लिखा गया, 'हर साल बड़ी संख्या में हिंदू उपासक हिंगलाज मंदिर की चार दिवसीय यात्रा करते हैं। भारत में कई हिंदुओं द्वारा भी देवता की पूजा की जाती है और इस मंदिर का दौरा करना चाहते हैं, लेकिन संत मोइनुद्दीन चिश्ती के अनुयायियों की तरह ही चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।


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