नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। पाकिस्तान की बाढ़ से एक तरफ देश के करीब 60 लाख से अधिक लोग प्रभावित हो रखे हैं वहीं पीटीआई चीफ और पूर्व पीएम इमरान खान अपनी रैलियों के जरिए राजनीति करने से नहीं कतरा रहे हैं। उनका फिलहाल केवल एक ही मकसद रह गया है कि वो किसी तरह से सत्ता में वापस आ सकें। इसके लिए वो पूरी तरह से गंभीर भी दिखाई दे रहे हैं। रैली के जरिए अपने समर्थकों को जुटाने और सत्ता तक पहुंचने को वो आजादी के अधिकार की लड़ाई का नाम दे रहे हैं। जिस तरह से इमरान खान हर सप्ताह रैलियां कर रहे हैं उसको देखते हुए ऐसा लग रहा है जैसे देश में आम चुनाव का ऐलान किया जा चुका है। हालांकि ऐसा नहीं है। सरकार का फिलहाल आम चुनाव का ऐलान करने का कोई इरादा भी दिखाई नहीं दे रहा है।

सही समय का इंतजार
जानकारों की मानें तो सरकार इसके लिए सही समय का इंतजार कर रही है। पाकिस्तान में 2018 में आम चुनाव हुए थे। इन चुनावों में महज 51 फीसद ही वोटिंग हुई थी और देश की 342 सांसदों की नेशनल असेंबली में इमरान खान की पीटीआई ने 149 सीटें जीती थीं। इस चुनाव में दूसरे नंबर पर पीएमएल-एन और तीसरे नंबर पर पीपीपी रही थी। ऐसे में अगस्त 2023 में मौजूदा संसद को भंग कर दिया जाएगा। देश के कानून के मुताबिक इसके पहले या इसके तीन माह के अंदर आम चुनाव करवाने का प्रावधान है। इस लिहाज से इमरान खान और सरकार के पास अधिक समय नहीं बचा है।
इमरान को नहीं मिलेगा फायदा
पाकिस्तान की राजनीति पर नजर रखने वाले विश्लेषक कमर आगा की मानें तो इमरान खान जिस तरह से प्राकृतिक आपदा के बीच ताबड़-तोड़ रैलियां कर रहे हैं उससे वो अपना फायदा नहीं कर सकेंगे। उनके मुताबिक वो एक रैली में ये तक कह चुके हैं कि उनके पास फिलहाल बाढ़ पीडि़तों के लिए खाली नहीं हैं।
बाढ़ की वजह से घुटनों पर आया पाकिस्तान
उनके मुताबिक इस बाढ़ ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया है। इसके बाद भी इमरान की रैलियों में बाढ़ पीडि़तों का जिक्र नहीं होता है। अपनी रैलियों में वो केवल सरकार और विदेशी ताकतों के जरिए बनी सरकार तक ही सीमित रहते हैं। पाकिस्तान के जो हालात हैं उनमें इमरान खान को बाढ़ पीडि़तों की मदद के लिए आगे आना चाहिए था। इससे मुमकिन था कि वो सत्ता में वापसी के लिए लोगों के मन में अपनी जगह बना पाते। लेकिन, अब ऐसा नहीं लगता है।
सत्ता वापसी तक सीमित है इमरान की राजनीति
आगा के मुताबिक इमरान खान को लेकर अधिकतर लोगों के जहन में ये बात जरूर होगी कि वो केवल अपनी सत्ता वापसी तक ही सीमित हैं। उन्हें देश के मौजूदा हालातों से कोई सरोकार नहीं रह गया है। इमरान खान केवल रैलियों में ही रजनीति नहीं कर रहे हैं बल्कि सोशल मीडिया पर भी बाढ़ पीडि़तों के लिए उनकी गंभीरता पूरी तरह से नदारद ही दिखाई देती है।
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