पाकिस्तानी सत्ता पर आतंकी सईद की नजर, चुनाव आयोग की नो के बाद भी डटा मैदान में
सईद की पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) को पाकिस्तान चुनाव आयोग ने करार झटका दिया है।
इस्लामाबाद [ जेएनएन ] । मुंबई आतंकवादी हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) को पाकिस्तान चुनाव आयोग ने करार झटका दिया है। पाकिस्तान चुनाव आयोग की चार सदस्यीय टीम ने एमएमएल राजनीतिक पार्टी के रूप में पंजीकृत करने की अर्जी को खारिज कर दिया है। इस फैसले से सईद की पाकिस्तान की राजनीतिक सत्ता पर काबिज होने के सपनों को आधात पहुंचा है।
हालांकि आयोग के इस फैसले के बाद एमएमएल ने यह घोषणा की है कि यदि चुनाव से पहले उच्च न्यायालय ने आयोग के पक्ष में फैसला नहीं सुनाया तब पार्टी चुनाव में हिस्सा लेगी।
आयोग ने पाकिस्तान के गृह मंत्रालय की टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया है। आयोग का तर्क है कि एमएमएल आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और आतंकी हाफिज सईद की विचारधारा का अनुसरण करता है। इसलिए इस पार्टी को मान्यता नहीं प्रदान की जा सकती। उधर, गृह मंत्रालय ने कहा है कि एमएमएल देश में प्रतिबंधित जेयूडी की ही एक शाखा है, जिसे मंजूरी नहीं दी जा सकती है।
आयोग के इस फैसले के बाद एमएमएल ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उसका लश्कर या जेयूडी से किसी तरह को कोई नाता नहीं है। पार्टी ने साफ किया है कि उसका किसी आतंकी संगठन या उनके विधारधारा से कोई लेनादेना नहीं है। पार्टी का आरोप है कि आयोग ने दबाव में आकर यह फैसला सुनाया है। एमएमएल प्रवक्ता का कहना है कि इस फैसले में मुस्लिम लीग और नवाज शरीफ के दबाव में यह फैसला सुनाया है।
अल्लाह-हू-अकबर तहरीक पार्टी से लड़ेंगे चुनाव
इस चुनाव में आतंकी संगठन जमात उद दावा (जेयूडी) ने 200 से अधिक उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारने का ऐलान किया है। चुनाव आयोग द्वारा पहली बाद जमात-उद-दावा की पार्टी रजिस्टर्ड नहीं होने पर सईद ने अपने उम्मीदवारों को एक निष्क्रिय राजनीतिक पार्टी अल्लाह-हू-अकबर तहरीक (एएटी) से मैदान में उतारने का फैसला किया है। ये पार्टी पाक चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड है। जमात-उद-दावा के उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग से नॉमिनेशन पेपर भी ले लिए हैं। वे अल्लाह-हू-अकबर तहरीक पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे।
मिल्ली मुस्लिम लीग और सईद
लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा आतंकी संगठन जमात-उद-दावा की राजनीतिक पार्टी का नाम मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) है। सईद जमात-उद-दावा का चीफ है। 2017 में जमात-उद-दावा ने मुस्लिम मिल्ली लीग का गठन किया था। पाक चुनाव आयोग ने इसका रजिस्ट्रेशन नहीं किया। इसलिए सईद ने निष्क्रिय राजनीतिक पार्टी अल्लाह-हू-अकबर तहरीक (एएटी) से अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। पिछले साल ही 30 जनवरी को हाफिज सईद को लाहौर में हिरासत में लिया गया था। हाफिज और उसके चार साथी अब्दुल्ला उबेद, मलिक जफर इकबाल, अब्दुल रहमान आबिद और काजी काशिफ हुसैन को घर में नजरबंद किया गया था।
अमेरिका में भी हाफिज के सिर पर करोड़ों रुपये का ईनाम
पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन जमात-उद-दावा का लश्कर-ए-तैयबा से गहरा रिश्ता है। भारत में मुंबई हमले के बाद यह आतंकी संगठन सुर्खियों में आया। इसके बाद जमात-उद-दावा अपने आंतकी वारदातों से विश्व पटल पर कुख्यात हो गया। मुंबई हमलों के बाद साल 2008 में संयुक्त राष्ट्र ने भी हाफिज के नाम को आतंकियों की सूची में डाला था। अमेरिका ने भी हाफिज के सिर पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा है।
मुंबई हमलों के बाद हाफिज को हाउस अरेस्ट भी किया गया था, लेकिन पाकिस्तानी कोर्ट ने उसे आजादी मिल गई थी। अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते इस साल 30 जनवरी से 22 नवंबर को एक बार फिर नजरबंद किया गया था। आतंकी हाफिज पाकिस्तान की नई नस्ल की रगों में हिंदुस्तान के खिलाफ जहर घोलता है। घाटी को आतंक का जख्म देने का जिम्मेदार भी हाफिज है और आतंक के इसी खेल को हाफिज पाकिस्तान की राजनीति में बैठ करना चाहता है, ताकि उसके कारनामें दुनिया की नज़रों से बचे रहे।
बता दें कि 25 जुलाई को पाकिस्तान में आम चुनाव होने हैं। पाकिस्तान में मौजूदा सरकार का कार्यकाल 31 मई को खत्म हो चुका है। फिलहाल पूर्व मुख्य न्यायाधीश नसीरुल मुल्क वहां के कार्यवाहक प्रधानमंत्री चुने गए हैं।