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टेरर फंडिंग पर एफएटीएफ की बैठक आज, जानें पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से बाहर आने के क्‍या हैं आसार

वैसे भारत की मांग पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाले जाने की है। लेकिन मित्र देशों- चीन तुर्की और मलेशिया के साथ खड़े होने के कारण पाकिस्तान बच रहा है। जानकारों का मानना है कि अक्टूबर 2020 और फरवरी 2021 के बीच पाकिस्तान के हालात ज्यादा नहीं बदले हैं।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 10:26 PM (IST)Updated: Mon, 22 Feb 2021 07:08 AM (IST)
टेरर फंडिंग पर एफएटीएफ की बैठक आज, जानें पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से बाहर आने के क्‍या हैं आसार
अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की महत्वपूर्ण बैठक

इस्लामाबाद, प्रेट्र। आतंकियों और अपराधी गिरोहों के अर्थतंत्र पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की महत्वपूर्ण बैठक 22 फरवरी से शुरू होकर 25 फरवरी तक चलेगी। इस बैठक में पाकिस्तान में आतंकियों के अर्थतंत्र पर चर्चा होगी, सरकार के उठाए कदमों की समीक्षा होगी। इस बार भी पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से बाहर आने के आसार क्षीण हैं। पाकिस्तान सरकार जोर-शोर से अपने कदमों का ढिंढोरा पीटकर ग्रे लिस्ट से बाहर आने का भरोसा जता रही है लेकिन वहां का मीडिया ऐसे किसी फैसले को लेकर सशंकित है। आतंकी संगठनों को पनाह देने के कारण पाकिस्तान जून 2018 से ग्रे लिस्ट में है। इसके कारण उसे अंतरराष्ट्रीय सहायता और विदेशी पूंजीनिवेश मिलने में दिक्कत हो रही है। 

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ग्रे लिस्ट में जून तक बना रह सकता है पाकिस्‍तान 

अक्टूबर 2020 में हुई एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान को आतंकी अर्थतंत्र पर और मजबूती से कार्रवाई के लिए कहा गया था। लेकिन पाकिस्तान एफएटीएफ के 27 बिंदुओं वाले दिशानिर्देशों में से छह पर लगभग कुछ नहीं कर पाया है। इसके चलते पाकिस्तान कम से कम आगामी जून तक ग्रे लिस्ट में ही बना रह सकता है। पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के दावे के विपरीत ऐसा हो सकता है। क्योंकि भारत इसके लिए पूरी तरह से दबाव बनाए हुए है। भारत का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र के घोषित आतंकी सरगनाओं- मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ खास कार्रवाई नहीं हुई है, इसलिए पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखा जाए। 

वैसे भारत की मांग पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाले जाने की है। लेकिन मित्र देशों- चीन, तुर्की और मलेशिया के साथ खड़े होने के कारण पाकिस्तान बच रहा है। जानकारों का मानना है कि अक्टूबर 2020 और फरवरी 2021 के बीच पाकिस्तान के हालात ज्यादा नहीं बदले हैं। पाकिस्तान प्रभावी कार्रवाई न होने के लिए कोरोना संक्रमण का सहारा लेने की कोशिश कर सकता है। लेकिन अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल के हत्यारों को जिस तरह से राहत दी गई है उससे पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ी हैं। अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी ने दोषी आतंकियों को बरी किए जाने पर तीखे सवाल उठाए हैं। उम्मीद नहीं है कि एफएटीएफ की तरफ उसे कोई राहत मिल पाएगी। 


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