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FATF की बैठक से पहले पाकिस्तान को बड़ा झटका, बढ़ा ब्‍लैक लिस्‍ट होने का खतरा

एपीजी की ओर से पाकिस्‍तान के मूल्‍यांकन की पहली फॉलो अप रिपोर्ट को जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्‍तान ने FATF की ओर से की गई 40 सिफारिशों में से केवल दो पर प्रगति की है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 12:59 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 04:16 PM (IST)
FATF की बैठक से पहले पाकिस्तान को बड़ा झटका, बढ़ा ब्‍लैक लिस्‍ट होने का खतरा
21-23 अक्टूबर को पेरिस स्थिक एफएटीएफ की बैठक होने वाली है।

इस्लामाबाद, एजेंसी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनी लांड्रिंग व आतंकी फंडिंग की निगरानी करने वाली एजेंसी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की निगरानी सूची में पाकिस्तान अभी बना रहेगा। एफएटीएफ की एशिया-प्रशांत इकाई की तरफ से पाकिस्तान को दिए गए कार्य और उस पर अमल करने के उपायों की समीक्षा रिपोर्ट सोमवार को सार्वजनिक की गई। इसका सारांश यही है कि पाकिस्तान फिलहाल प्रतिबंधित होने वाली सूची से तो बच सकता है, लेकिन उसे अभी निगरानी सूची में ही रहना होगा।

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एफएटीएफ ने पाकिस्तान को गैरकानूनी वित्तीय लेन-देन, बाहर से आने वाली फंडिंग को रोकने, एनजीओ के नाम पर काम करने वाली एजेंसियों की गतिविधियों पर लगाम लगाने व पारदर्शिता लाने के लिए 40 कार्यो की सूची सौंपी थी। ताजा रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान सरकार 40 कार्यो में से एक पर भी सही तरीके से अमल नहीं कर पाई है। नौ मामलों में कमोबेश कदम उठा लिया गया है। 25 कार्यो पर कार्रवाई हो रही है, लेकिन पूरी नहीं हुई है। इस आधार पर एशिया प्रशांत ग्रुप का मानना है कि पाकिस्तान को जिस श्रेणी में रखा गया है, उसमें संशोधन नहीं होना चाहिए।

पेरिस स्थित मुख्यालय में एफएटीएफ की 21-22 अक्टूबर को बैठक होगी। उसकी तरफ से काली सूची में डाले गए देशों को भारी वित्तीय कीमत चुकानी पड़ती है। विदेशी कंपनियों के लिए एफएटीएफ की तरफ से प्रतिबंधित देश में निवेश करना मुश्किल हो जाता है। यहां तक कि इन देशों के लिए विदेशी जहाजों की सेवा लेना या अंतरराष्ट्रीय बीमा करवाना भी काफी मुश्किल हो जाता है। भारत मानता है कि एफएटीएफ की सिफारिशों को लागू करने से पाकिस्तान के लिए सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देना मुश्किल हो जाएगा।

एफएटीएफ ने वैसे पाकिस्तान सरकार की तरफ से हाल के महीनों में सिफारिशों के तहत कदम उठाने के लिए उसकी तारीफ भी की है। खासतौर पर जिस तरह से गैरसरकारी संगठनों की गतिविधियों को पारदर्शी बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं, उनकी तारीफ की गई है। अब वहां नई व्यवस्था की गई है। उससे हजारों एनजीओ की फंडिंग की निगरानी संभव हो सकेगी। माना जा रहा था कि इन संगठनों के जरिये तमाम आतंकी संगठनों को पैसा पहुंचाया जा रहा था। पिछले महीने प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्वयं पाकिस्तानी संसद में उपस्थित होकर एफएटीएफ की सिफारिशों के मुताबिक विधेयकों में संशोधन करने में विपक्षी दलों से सहयोग का आग्रह किया था।


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