Move to Jagran APP

कश्मीरी आतंकियों को अफगानिस्तान भेज रहा पाकिस्तान, यूरोपियन थिंक टैंक ने किया खुलासा

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ अब अफगानिस्तान में हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कश्मीरी आतंकियों का सहारा ले रही है। पढ़ें यह चौंकाने वाली रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 25 Apr 2020 05:42 PM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2020 08:03 PM (IST)
कश्मीरी आतंकियों को अफगानिस्तान भेज रहा पाकिस्तान, यूरोपियन थिंक टैंक ने किया खुलासा
कश्मीरी आतंकियों को अफगानिस्तान भेज रहा पाकिस्तान, यूरोपियन थिंक टैंक ने किया खुलासा

एम्सटर्डम, एएनआइ। भारत के खिलाफ छद्म युद्ध में मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। उसके निशाने पर अब अफगानिस्तान है और यहां पर हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वह कश्मीरी आतंकियों का सहारा ले रही है। 25 मार्च को काबुल के गुरुद्वारे पर हुए हमले में आइएसआइ की भूमिका को बेनकाब करने वाले द यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (ईएफएसएएस) ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है।

loksabha election banner

रिपोर्ट के मुताबिक, 'अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (एनडीएस) ने बताया था कि आइएसकेपी (इस्लामिक स्टेट इन खोरासान प्रोविंस) के प्रमुख आतंकी अब्दुल्ला ओरकजई उर्फ असलम फारुकी को कुछ दिनों पहले उसके चार सहयोगियों के साथ गिरफ्तार किया गया था।' जांच में पता चला है कि उसके हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकी गुटों से घनिष्ट संबंध हैं। इतना ही नहीं उसने यह भी कुबूल किया है कि उसके आइएसआइ के लिए काम करने वाली क्षेत्रीय खुफिया एजेंसियों से भी संबंध हैं। 

इस पूरे घटनाक्रम में कश्मीर लिंक का पता उस समय चला, जब फारुकी के साथ गिरफ्तार उसके एक साथी की पहचान इस्लामाबाद के अली मोहम्मद के तौर पर की गई है। जब और जांच की गई तो पता चला कि अली मोहम्मद वास्तव में एजाज अहमद अहंगर है और वह एक कश्मीरी आतंकी है। जिस समय अहंगर को गिरफ्तार किया गया था, उस समय वह इस्लामिक स्टेट ऑफ जम्मू-कश्मीर के लिए आतंकियों की भर्ती कर रहा था।

श्रीनगर के नवा कदल का रहने वाला 55 वर्षीय अहंगर 1990 में भारतीय सेना द्वारा गिरफ्तार किया गया था। रिहाई के बाद वह बांग्लादेश चला गया और वहां से पाकिस्तान भाग गया। पाकिस्तान पहुंचने के बाद आइएसआइ ने शुरुआत में उसे इस्लामाबाद में रखा और बाद में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के वजीरिस्तान इलाके के मीरनशाह क्षेत्र भेज दिया गया। यह जगह अफगानिस्तान की सीमा के निकट है। शुरुआत में वह अलकायदा के साथ रहा और बाद में हैंडलर्स के निर्देश पर आइएसकेपी में शामिल हो गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.