राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी बोले, गिलगिट बाल्टिस्तान पाकिस्तान का हिस्सा नहीं
बाबा जान समेत सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की मांग को लेकर चल रहा प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी रहा। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह क्षेत्र पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है इसलिए यह कानून यहां अमल में नहीं लाया जा सकता।
गिलगिट बाल्टिस्तान, एएनआइ। स्थानीय कार्यकर्ता बाबा जान समेत सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की मांग को लेकर चल रहा प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी रहा। जिस कठोर कानून के तहत कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है, प्रदर्शनकारियों ने उस पर सवाल उठाया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह क्षेत्र पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है, इसलिए यह कानून यहां अमल में नहीं लाया जा सकता। गैरकानूनी सजा भुगत रहे राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की मांग को लेकर जारी प्रदर्शनों में सुदूर के गांव, इलाके के लोग भी शामिल हो गए हैं।
राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की मांग को लेकर प्रदर्शन जारी
प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान सरकार के खिलाफ नारे लगाए। कार्यकर्ता बाबा जान को 2011 में गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने तत्कालीन पाकिस्तानी प्रशासन को चुनौती दी थी। पाकिस्तानी प्रशासन मुख्य रूप से गिलगिट बाल्टिस्तान के लोगों के खिलाफ काम कर रहा था। क्षेत्र में आवाज कुचलने के लिए पाकिस्तानी प्रतिष्ठान आतंकवाद विरोधी कानून की कठोर धारा का सहारा ले रहा है। ना केवल क्षेत्र पर शासन करने के लिए दर्जनों लोगों को इस कानून का शिकार बनाया गया है, बल्कि समाज के सभी वर्गो को धमकी भरा संदेश भी दिया गया।
इस हिस्से में नहीं लागू हो सकता पाकिस्तानी कानून
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनके प्रदर्शन का आकार बढ़ गया है, लेकिन पाकिस्तानी मीडिया की पूर्वाग्रह से भरी रिपोर्टिग के कारण इसका बहुत कम प्रभाव पड़ा है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उनका प्रदर्शन अनिश्चितकालीन है और वे कोई प्रशासनिक अभियोजन या बल प्रयोग नहीं होने देंगे। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'यदि तुम (पाकिस्तानी प्रतिष्ठान) समझते हो कि बल प्रयोग कर तुम हमारी आवाज दबा दोगे तो मैं तुमसे कहता हूं कि तुम ऐसा नहीं कर सकते हो। यह 21वीं सदी है, हम चुप नहीं बैठ सकते। पाकिस्तानी मीडिया मनपसंद रिपोर्टिग कर रहा है और हमारे मुद्दों को जगह नहीं दे रहा है।'