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जानिए, क्यों है इसबार के आम चुनाव में पाक के सबसे बड़े शहर पर खास नजर

पाकिस्तान में 25 जुलाई को होने जा रहे आम चुनाव में इस बार देश के सबसे बड़े शहर कराची पर खास नजर है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 06:05 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 07:45 AM (IST)
जानिए, क्यों है इसबार के आम चुनाव में पाक के सबसे बड़े शहर पर खास नजर
जानिए, क्यों है इसबार के आम चुनाव में पाक के सबसे बड़े शहर पर खास नजर

कराची, रायटर। पाकिस्तान में 25 जुलाई को होने जा रहे आम चुनाव में इस बार देश के सबसे बड़े शहर कराची पर खास नजर है। इसकी बड़ी वजह यह है कि इस शहर में 25 साल से ज्यादा समय तक जिन अल्ताफ हुसैन की तूती बोलती थी, उनकी अब शहर पर पकड़ कमजोर पड़ गई है। उनकी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) पार्टी टूट गई है। एक वक्त था जब अल्ताफ के एक फोन पर पूरा शहर ठहर जाता था, लेकिन पिछले पांच साल के दौरान सैन्य कार्रवाई के चलते एमक्यूएम के कमजोर पड़ने से कराची में हालात बदल गए हैं। इससे कराची में इस बार सभी प्रमुख दलों के लिए रास्ता खुल गया है।

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पाकिस्तान की तीनों प्रमुख पार्टियां नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) और बिलावल भुट्टो की अगुआई वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) खुलकर प्रचार कर रही हैं। एक समय दो करोड़ की आबादी वाले कराची को दुनिया के सबसे खतरनाक शहरों में गिना जाता था। इस शहर पर दशकों से एमक्यूएम का वर्चस्व था।

अल्ताफ हालांकि साल 1992 से ही लंदन में स्वनिर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसके बावजूद शहर पर उनकी पकड़ बनी रही। कराची की एक सीट से चुनाव मैदान में उतरीं पीपीपी की उम्मीदवार शेहला रजा ने कहा, 'कराची अब शांत शहर है। मैं प्रचार के लिए बाजारों और बहुमंजिली इमारतों में जा रही हूं। मुझे लोगों की अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।'

शहर की 16 सीटों पर था एमक्यूएम का कब्जा

कराची में पाकिस्तान की संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली की 20 सीटें हैं। साल 2013 में हुए चुनाव में एमक्यूएम ने 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी। तब आलोचकों ने एमक्यूएम पर धमकी और हिंसा का प्रयोग करने का आरोप लगाया था।

छात्र राजनीति से उभरी थी एमक्यूएम

-कराची यूनिवर्सिटी में बीती सदी के नौवें दशक में छात्र राजनीति से एमक्यूएम उभरी

-उसने भारत से आए उन उर्दूभाषी लोगों के हक में आवाज उठाई जिन्हें मुहाजिर कहा जाता है

-बीती सदी के अंतिम दशक में एमक्यूएम पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई के चलते अल्ताफ को ब्रिटेन में शरण लेनी पड़ी थी।

कराची में कैसे बदले हालात

-2013 में नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री बनने के बाद कराची से अपराध के सफाए के लिए सुरक्षा बलों को छूट दी

-इसके चलते शहर में हत्याओं और अपहरण के मामलों में भारी कमी आई

-2016 में एमक्यूएम में उस समय बिखराव खुलकर सामने आ गया जब एक धड़े ने अल्ताफ से अलग होने का एलान किया

-शहर में कुछ साल पहले तक दुकानें अंधेरा होने के साथ ही बंद हो जाती थीं, अब शहर के शॉपिंग मॉल, रेस्तरां और बाजारों में देर रात तक भीड़ रहती है

-2013 के चुनाव से पहले कराची में हुई ¨हसा में 57 लोग मारे गए थे और 300 घायल हुए थे।


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