भारत, ईरान व अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर कसा तीन तरफा आर्थिक शिकंजा
पाकिस्तान में भारत, ईरान और अफगानिस्तान की तरफ से संयुक्त तौर पर उठाये गये इन कदमों को लेकर काफी चर्चा है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अपने पड़ोसी देशों में आतंकी भेज कर परेशान करने की पाकिस्तान सरकार की नीति उसके लिए आर्थिक तौर पर कितना नुकसानदेह साबित हो सकती है, इसका अंदाजा अब लगना शुरू हुआ है। पाकिस्तान के आतंकी प्रेम से परेशान तीनों पड़ोसी देश भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने उस पर जबरदस्त आर्थिक शिंकजा लगाने की शुरुआत कर दी है। इसके लिए इन तीनों देशों के सहयोग से बनाये जा रहे चाबहार पोर्ट को जरिया बनाया गया है। पाकिस्तान के पोर्ट को प्रतिस्पद्र्धा दे रहे इस पोर्ट पर कारोबार को बढ़ावा देने के लिए ईरान ने अफगानिस्तान व अन्य पड़ोसी देशों के कारोबारियों को यहां कारोबार करने के लिए भारी छूट देनी शुरू कर दी है।
दूसरी तरफ अफगानिस्तान ने अपने कारोबारियों को साफ निर्देश दे दिया है कि अब उन्हें करांची से कारोबार करने की जरुरत नहीं है। ताजी जानकारी यह है कि पिछले कुछ महीनों के दौरान अफगानिस्तान सरकार के कारोबारियों ने पाकिस्तान के बंदरगाहों से आयात करने में 70-80 फीसद की कटौती कर दी है। अफगानिस्तान के कारोबारियों के लिए अभी तक बाहर से समान मंगाने के लिए करांची ही एकमात्र विकल्प था लेकिन भारत की तरफ से बनाये जा रहे चाबहार पोर्ट ने उन्हें दूसरा विकल्प दे दिया है।
यही नहीं भारत ने चाबहार पोर्ट के विकास का काम और तेज करने का भी फैसला किया है। दो दिन पहले पेश आम बजट में इस काम के लिए वैसे तो 150 करोड़ रुपये का ही प्रावधान किया गया है लेकिन निजी क्षेत्र की मदद से दिसंबर, 2018 तक पोर्ट के पहले चरण के बर्थ निर्माण का काम पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद अफगानिस्तान ही नहीं बल्कि अन्य दूसरे देशों को भी यहां से समान भेजे जाने लगेंगे।
पाकिस्तान में भारत, ईरान और अफगानिस्तान की तरफ से संयुक्त तौर पर उठाये गये इन कदमों को लेकर काफी चर्चा है। एक आकलन के मुताबिक पिछले दो महीनों के भीतर ही अफगानिस्तान के कारोबारियों ने करांची के जरिए होने वाले पांच अरब डॉलर के आयात के आर्डर को रद्द कर उसे चाबहार के जरिए लाने का फैसला किया है। करांची पोर्ट के कुल कारोबार का एक बड़ा हिस्सा अफगानिस्तान के लिए होता है।
भारत ने जब से इस पोर्ट के जरिए काबुल को गेहूं की आपूर्ति शुरू की है, तब पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर ट्रकों के जरिए होने वाले गेहूं कारोबार में काफी गिरावट आ चुकी है। पेशावर के अधिकांश आटा मिलों पर ताला पड़ने के हालात उत्पन्न हो गये हैं। ऐसे में चाबहार से पाकिस्तान पर आर्थिक बोझ पड़ने की जो बातें कही जा रही थी वह सही साबित होने लगी हैं। हफ्ते भर पहले काबुल में हुए भीषण आत्मघाती हमले में पाकिस्तान की सरकारी एजेंसियों की भूमिका सामने आने के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में और तल्खी आ गई है।