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बांग्लादेश के पहले हिंदू मुख्य न्यायाधीश पर चलेगा गबन का मुकदमा, घोटाले के हैं आरोप

बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट के पहले हिंदू मुख्य न्यायाधीश रहे सुरेंद्र कुमार सिन्हा पर अब गबन का मुकदमा चलेगा। उन पर चार करोड़ टका गबन का आरोप है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 08:44 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 04:30 AM (IST)
बांग्लादेश के पहले हिंदू मुख्य न्यायाधीश पर चलेगा गबन का मुकदमा, घोटाले के हैं आरोप
बांग्लादेश के पहले हिंदू मुख्य न्यायाधीश पर चलेगा गबन का मुकदमा, घोटाले के हैं आरोप

ढाका, पीटीआइ। बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट के पहले हिंदू मुख्य न्यायाधीश रहे सुरेंद्र कुमार सिन्हा पर अब गबन का मुकदमा चलेगा। जस्टिस सिन्हा और दस अन्य लोगों पर एक बैंक के चार करोड़ टका (साढ़े तीन करोड़ रुपये) के गबन का आरोप है। साक्ष्यों के आधार पर मुकदमा चलाने का यह आदेश ढाका की एक अदालत ने दिया है। इससे सात महीने पहले ढाका की एक अन्य अदालत ने जस्टिस सिन्हा को भगोड़ा करार देकर उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था।

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अमेरिका में रह रहे हैं सिन्‍हा

अदालत ने गिरफ्तारी का आदेश भ्रष्टाचार निरोधी आयोग (एसीसी) की के उस आरोप पत्र के आधार पर दिया था जिसमें जस्टिस सिन्हा को गबन के लिए जिम्मेदार बताया गया था। पद से त्यागपत्र देने के बाद 69 वर्षीय जस्टिस सिन्हा इस समय अमेरिका में रह रहे हैं। ढाका में अभियोग पक्ष के वकील ने गुरुवार को बताया कि फारमर्स बैंक घोटाले में सिन्हा और दस अन्य के खिलाफ अदालत ने आरोप तय कर दिए हैं।

तीन आरोपी कर रहे मुकदमे का सामना

उन्होंने बताया कि दस अन्य में छह लोग बैंक के पूर्व अधिकारी हैं जबकि बाकी चार सिन्हा के सहयोगी हैं। वकील ने बताया कि केवल तीन आरोपी ही मुकदमे का सामना कर रहे हैं, बाकी सभी फरार हैं। अदालत के अधिकारी के अनुसार विशेष न्यायाधीश शेख नजमुल आलम ने आरोप तय कर दिए हैं, मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त होगी।

स्वतंत्र जांच की मांग

एसीसी ने विशेष अदालत से सिन्हा और अन्य के खिलाफ स्वतंत्र जांच की भी मांग की है। एसीसी ने बताया है कि उसने पाया कि 2016 में दो कारोबारियों ने फर्जी दस्तावेजों से बैंक से चार करोड़ टका का कर्ज लिया। बाद में यह धनराशि सिन्हा के बैंक खाते में जमा करा दी गई। सिन्हा इस समय अमेरिका में रह रहे हैं और उन्होंने अमेरिकी सरकार से शरण मांगी है।

धमकियों के बीच त्यागपत्र देना पड़ा

हाल ही में प्रकाशित अपनी आत्मकथा- ए ब्रोकेन ड्रीम : रूल ऑफ लॉ, ह्यूमन राइट्स एंड डेमोक्रेसी, में सिन्हा ने लिखा है कि सरकार के साथ मतभेद के बाद धमकियों के बीच 2017 में उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा। बांग्लादेश के राजनीतिक हालात ने उन्हें पद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। उनके इस आरोप पर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। कहा था कि कुछ सरकार विरोधी अखबार सिन्हा का गलत समर्थन कर रहे हैं।

कानून का राज कायम करने को समर्थन दे भारत

आत्मकथा के प्रकाशित होने के बाद वाशिंगटन में दिए साक्षात्कार में जस्टिस सिन्हा ने भारत से अनुरोध किया था कि वह बांग्लादेश में कानून का शासन और लोकतंत्र कायम करने के लिए समर्थन करे। उन्होंने कहा, भारत को बांग्लादेश में अवामी लीग के नेतृत्व वाली सरकार की मनमानी की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। सिन्हा ने कहा, उन्होंने अलोकतांत्रिक और मनमाने तरीके से शासन चलाने का विरोध किया तो उन्हें इस्तीफा देने को मजबूर कर दिया गया। सिन्हा ने बांग्लादेश के पहले अल्पसंख्यक मुख्य न्यायाधीश के रूप में जनवरी 2015 से नवंबर 2017 तक कार्य किया था।


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