क्या इमरान के साथ खड़ी है सेना, पाक चुनाव की निष्पक्षता पर उठे सवाल
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग का भी कहना है कि चुनाव की निष्पक्षता पर संदेह करने के लिए पर्याप्त आधार हैं।
इस्लामाबाद, प्रेट्र। पाकिस्तान की सत्ता में सेना की दखलंदाजी किसी से छुपी नहीं है। मुल्क की नीतियों और सियासत में सेना का प्रभाव दिखता है। इस बार का आम चुनाव भी इन्हीं आशंकाओं और चिंताओं के बीच हो रहा है कि सेना किसी खास पार्टी के साथ खड़ी है। नवाज शरीफ समेत कई दल यह आरोप भी लगा चुके हैं कि सेना इमरान खान के साथ खड़ी है। सेना और इमरान इस तरह के आरोपों को नकार चुके हैं।
चुनाव में सेना के दखल के कयासों को उस समय और बल मिल गया जब चुनाव आयोग ने मतदान केंद्रों के अंदर उसकी तैनाती करने के साथ ही जवानों को न्यायिक अधिकार दे दिया। इसके तहत सेना चुनाव नियमों के उल्लंघन के मामलों में मौके पर ही सुनवाई कर सजा सुना सकती है। इस पर कई दलों ने आपत्ति और आशंका जताई है कि इससे चुनाव प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
अवामी नेशनल पार्टी ने यहां तक कहा कि इससे किसी खास पार्टी को सत्ता में लाने की आशंकाओं को बल मिलता है। शरीफ ने आरोप लगाया कि सेना इमरान को सत्ता में लाने के लिए काम कर रही है। जबकि, उनके समर्थकों का कहना है कि शरीफ का पतन राजनीति से प्रेरित है। इसके पीछे सेना का ही हाथ था।
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग का भी कहना है कि चुनाव की निष्पक्षता पर संदेह करने के लिए पर्याप्त आधार हैं। इन आरोपों पर सफाई देते हुए सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा ने कहा है कि चुनाव आयोग के नियंत्रण में चुनाव हो रहे हैं। सेना सिर्फ सुरक्षा मुहैया करा रही है।
आतंकी भी लड़ रहे चुनाव
आम चुनाव में आतंकी संगठनों को चुनाव लड़ने की छूट देने से भी विवादों को हवा मिली है। धार्मिक आधार पर नफरत फैलाने वालों समेत कई कट्टरपंथी भी चुनाव मैदान में उतरे हैं। मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद भी दूसरी पार्टी के बैनर तले अपने उम्मीदवारों को चुनाव लड़ा रहा है। उसने अपने बेटे हाफिज तलहा और दामाद खालिद वलीद समेत 260 उम्मीदवार उतारे हैं।