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अफगान-पाक सीमा की फेंसिंग जून के अंत तक हो जाएगी पूरी, पाकिस्तानी गृह मंत्री ने दी जानकारी

पाकिस्तानी गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने देश की संसद को बताया कि 2600 किलोमीटर लंबी अफगान-पाकिस्तान सीमा की फेंसिंग जून के अंत तक पूरी हो जाएगी। 88 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और बाकी 30 जून तक पूरा कर लिया जाएगा।

By TaniskEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 10:18 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 10:18 AM (IST)
अफगान-पाक सीमा की फेंसिंग जून के अंत तक हो जाएगी पूरी,  पाकिस्तानी गृह मंत्री ने दी जानकारी
अफगान-पाक सीमा की फेंसिंग जून के अंत तक हो जाएगी पूरी।

इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तानी गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने देश की संसद को बताया कि 2,600 किलोमीटर लंबी अफगान-पाकिस्तान सीमा की फेंसिंग जून के अंत तक पूरी हो जाएगी। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान नेशनल असेंबली को एक बजटीय चर्चा में संबोधित करते हुए, अहमद ने कहा कि 88 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और बाकी 30 जून तक पूरा कर लिया जाएगा। अफगानिस्तान से विदेशी सैनिक से हट रहे हैं, ऐसे मे राशिद ने कहा कि अगले दो से तीन महीने पाकिस्तान के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होंगे।

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राशिद ने कहा कि फिलहाल अफगानिस्तान में करीब 38 जगहों पर संघर्ष चल रहा है। उन्होंने बताया कि 2,400 अफगान कर्मी तालिबान में शामिल हो गए हैं। अफगान स्थित पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों के घातक हमलों के बाद इस्लामाबाद ने मार्च 2017 में अफगानिस्तान के साथ अपनी सीमा पर फेंसिंग शुरू कर दिया था।

कैमरों और इन्फ्रारेड डिटेक्टर्स से लैश होगा फेंस

यह डबल-फेंस पाकिस्तानी तरफ  3.6 मीटर (11 फीट) और अफगान तरफ 4 मीटर (13 फीट) ऊंची है। निगरानी के लिए कैमरों और इन्फ्रारेड डिटेक्टर्स लगाए गए हैं। साथ ही सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए करीब 1,000 किलों का भी निर्माण किया जा रहा है। परियोजना के पूरा होने के बाद केवल 16 क्रॉसिंग प्वाइंट के माध्यम से आने-जाने की अनुमति होगी। इसकी कुल लागत 500 मीलियन अमेरिकी डॉलर  से अधिक होने की उम्मीद है।

डूरंड लाइन के आसपास के क्षेत्रों का इस्तेमाल हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी समूह करते हैं

पिछले दो दशकों से, डूरंड लाइन के आसपास के क्षेत्रों का इस्तेमाल हक्कानी नेटवर्क, अल-कायदा और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे आतंकी समूहों द्वारा पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों दशों में हमले करने के लिए किया जाता रहा है। बता दें कि काबुल लंबे समय से पाकिस्तान पर अफगान तालिबान को शरण देने का आरोप लगाता रहा है। दूसरी ओर, इस्लामाबाद ने अफगानिस्तान में टीटीपी की मौजूदगी को लेकर भी ऐसी ही चिंता जताई है।


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