कराची की फैक्टरी में आग लगाने के आरोपियों को मिली सजा-ए-मौत, हुई थी 260 लोगों की मौत
पाकिस्तान की राजधानी कराची में एक गार्मेंट फैक्टरी में भयानक आगजनी के 8 साल बाद अदालत ने इसके दो मुख्य आरोपियों को मौत की सजा सुनाई है। कराची की अदालत ने दोनों को आगजनी करने का दोषी पाया। ये दोनों एमक्यूएम के कार्यकर्ता भी बताए गए हैं।
पाकिस्तान, एपी। पाकिस्तान में साल 2012 में कराची की एक कपड़ा फैक्ट्री में भयंकर आग लग गई थी। आग लगने की इस घटना में 260 लोग मारे गए थे। बताया गया था कि 2012 में फैक्टरी के मालिकों द्वारा रिश्वत देने से मना करने पर फैक्टरी में आग लगा दी गई थी। पाकिस्तान में आग लगने की ये घटना उस समय तक की सबसे बड़ी घटनाओं में शुमार थी।
आग लगने के बाद इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था। अदालत में केस चल रहा था। इस मामले में सुनवाई करते हुए पाकिस्तान की अदालत ने दो आरोपियों को सजा-ए-मौत की सजा सुनाई है। इसी के साथ अदालत ने फैक्टरी के चार पहरेदारों को भी उम्रकैद की सजा सुनाई है। उन पर आगजनी में मदद देने और गेट बंद कर देने का आरोप था। इसकी वजह से फैक्टरी में काम करने वाले मजदूर आग से बचने के लिए भाग नहीं पाए।
इस मामले में एमक्यूएम के 4 सदस्यों को भी आरोपी बनाया गया था, अदालत ने मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट के इन चारों सीनियर सदस्यों को आरोपों से बरी कर दिया, इनको हमले के लिए जिम्मेदार माना जा रहा था। अदालत ने गार्मेंट फैक्ट्री में हुई आगजनी ने पाकिस्तान में फैक्टरियों में सुरक्षा नियमों के उल्लंघन की ओर ध्यान खींचा जहां फैक्टरियों के मालिक स्थानीय अधिकारियों को रिश्वत देकर जांच से बच जाते हैं और न तो फाइन चुकाते हैं और न ही कर्मचारियों की सुरक्षा पर ध्यान देते हैं। जिन दो लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है वे एमक्यूएम के सदस्य थे।
इस पार्टी का सालों तक कराची में दबदबा रहा है। उस समय हत्या, आगजनी, अपहरण और फिरौती कराची में आम हुआ करता था। अदालत के फैसले के बाद एमक्यूएम के प्रवक्ता फैसल सब्जवारी ने एक ट्वीट में कहा है कि अदालत का फैसला दिखाता है कि आगजनी में पार्टी की कोई भूमिका नहीं थी।
सब्जवारी ने आगजनी में मारे गए परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त की। पाकिस्तानी अधिकारियों ने दोनों मुख्य अभियुक्तों को इंटरपोल की मदद से सऊदी अरब और थाइलैंड में पकड़ा था। काफी समय तक चले मुकदमे में 400 गवाहों की सुनवाई हुई। उसके बाद ये फैसला आया।