जानिए, फेसबुक पर लिखे जाने वाले पोस्टों पर 75,000 पर्यवेक्षक कैसे दिन-रात रखते हैं नजर
पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्टों से किस तरह निपटा जाए।
इस्लामाबाद, आइएएनएस। धुर दक्षिणपंथी गतिविधियों और नाबालिगों के अकाउंट की हिफाजत की रिपोर्ट पर लोगों की नाराजगी झेल रहे फेसबुक ने कहा है कि उसके 75 हजार पर्यवेक्षक आपत्तिजनक पोस्टों पर लगातार नजर रखते हैं। इन पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ बातों, आतंकवाद और बच्चों के यौन उत्पीड़न से संबंधित पोस्टों से किस तरह निपटा जाए।
फेसबुक की संचालन उपाध्यक्ष एलेन सिल्वर ने कहा कि इन पर्यवेक्षकों में कुछ तो पूर्णकालिक कर्मचारी हैं और कुछ ठेके पर काम करने वाले और सहयोगी कंपनियों के कर्मचारी हैं। दुनियाभर की 50 भाषाओं में लिखे जाने वाले पोस्टों पर ये पर्यवेक्षक दिन-रात नजर रखते हैं। एलेन का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर निगरानी की व्यवस्था इसलिए की गई है, क्योंकि इससे पहले किसी मंच पर इतनी भाषाओं में और इतने देशों के लोग संवाद नहीं करते थे।
एलेन के मुताबिक, भाषाई दक्षता इन पर्यवेक्षकों के लिए सबसे अहम चीज है। इससे उनको दिन-रात फेसबुक पर लिखे जाने वाले पोस्टों पर नजर रखने में मदद मिलती है। यदि किसी ऐसे पोस्ट के बारे में पता चलता है, जिसकी भाषा हमारी समझ में नहीं आती है, तो हम अनुवादकों और अन्य विशेषज्ञों की मदद लेते हैं। वे हमें स्थानीय संदर्भ में पोस्ट को समझने और उसकी समीक्षा करने में मदद करते हैं।
चैनल-4 की रिपोर्ट से विवाद
ब्रिटेन के चैनल-4 ने हाल ही में एक डॉक्युमेंटरी का प्रसारण किया, जिसमें बताया गया कि किस तरह फेसबुक के मॉडरेटर धुर दक्षिणपंथी गतिविधियों का बचाव कर रहे हैं। नियमों का उल्लंघन करने के बावजूद वे लोग ऐसे पेजों को हटाते नहीं हैं। यह डॉक्युमेंटरी खुद फेसबुक के लिए काम करने वाले एक मॉडरेटर की रिपोर्ट पर आधारित थी। वह मॉडरेटर डब्लिन में एक ठेका कर्मचारी था।
फेसबुक की वैश्विक नीति प्रबंधन उपाध्यक्ष मोनिका बिकर्ट ने कहा कि चैनल-4 की रिपोर्ट से कुछ अहम सवाल उठे हैं। उन्होंने फेसबुक की सुरक्षा टीम में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या इसी साल दोगुनी बढ़ाकर 20 हजार करने का भी आश्वासन भी दिया।