अफगानिस्तान में करीब 3 करोड़ लोगों के सामने है रोटी का संकट, लाखों बच्चे कुपोषण का शिकार
अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद से यहां के हालात और खराब हो गए हैं। करोड़ों लोग भुखमरी की जद में हैं तो लाखों बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। तालिबान के बाद से लड़कियों की पढ़ाई बंद है और रोजगार के साधन भी न के ही बराबर हैं।
संयुक्त राष्ट्र (यूएन)। अफगानिस्तान पर जब से तालिबान का कब्जा हुआ है तब से यहां के लोगों का जीवन लगातार खराब हो रहा है। आर्थिक रूप से पिछड़े इस देश में तालिबान ने लड़कियों के लिए पहले ही हाईस्कूल की पढ़ाई को बंद कर दिया है। रोजगार के साधन पहले ही न के बराबर थे, तालिबान के आने के बाद ये लगभग खत्म हो गए हैं। तालिबान के आने के बाद से एक वर्ष के अंदर ही यहां के कई रोजगार बंद हो गए। इनमें खासतौर पर वो थे जिनसे सीधेतौर पर महिलाएं जुड़ी हुई थीं।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक यहां के लोग लगातार भुखमरी का शिकार हो रहे हैं। अगस्त 2021 में तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर अपनी सरकार बनाई थी। तब से ही इन लोगों की मुसीबतों का दौर भी शुरू हो गया था। तालिबान लगातार अपना शिकंजा यहां के लोगों पर और कड़ा कर रहा है। अफगानियों को विदेश जाने से रोका जा रहा है। यूएन का कहना है कि यहां की आधी से ज्यादा आबादी तालिबान के आने के बाद से गरीबी रेखा से नीचे गुजर कर रही है। करीब 2.80 करोड़ लोग, खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। इनमें से लाखों पर ये संकट विकराल है। अफगानिस्तान में 30 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण की जद में हैं।
इस वर्ष जून में आए भूकंंप ने अफगानिस्तान बुरी तरह से हिला कर रख दिया है। रिक्टर स्केल पर 5.9 की तीव्रता वाले इस भूकंप से अब तक 1 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। अफगानिस्तान की जरीना उन लोगों में से एक है जिसके सामने रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है। तालिबान के यहां पर कब्जे से पहले उसने बेकरी उद्योग शुरू किया था, लेकिन अब ये बंंद चुका है। उसने जिन 6 महिलाओं को काम दिया था वो भी खाली बैठी हैं।