Year Ender 2019: दुनिया में प्रकृति का प्रकोप, इन शक्लों में आईं आपदाएं
वर्ष 2019 में दुनिया के विभिन्न देशों ने बाढ़ भूकंप लैंडस्लाइड जैसी आपदाओं का दंश तो झेला ही अमेजन के जंगलों में लगी आग और समंदरों में उठे चक्रवाती तूफान से भी नहींं बचेे।
नई दिल्ली, जेएनएन। बाढ़, भूकंप और साइक्लोन समेत न जाने किन-किन रूपों में इस साल प्राकृतिक आपदाओं ने पृथ्वी पर कहर बरपाया है। पृथ्वी की प्राकृतिक प्रक्रियाओं का प्रतिकूल प्रभाव प्राकृतिक आपदाओं के रूप में अपना प्रकोप दिखाता है। यह प्रकोप ज्वालामुखी फटने, सुनामी भूकंप, चक्रवाती तूफान, बाढ़, लैंडस्लाइड, वनों में आग लगने जैसी आपदाओं के रूप में आती हैं। दुनिया के सभी देश हर साल किसी न किसी प्राकृतिक आपदा की चपेट में आते हैं। ये प्राकृतिक आपदाएं भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी का फटना, लैंडस्लाइड, साइक्लोन जंगलों में आग लगना, सूखा आदि की शक्ल में आते हैं।
बाढ़ में न बचा पाक-ईरान... न ही वेनिस की खूबसूरती
इस साल बाढ़ के पानी में भारत के अधिकांश राज्य, पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ ईरान और चीन के अधिकांश इलाके समेत इटली के शहर वेनिस की खूबसूरती भी जलमग्न हो गई। बाढ़ ने इस साल खूब तबाही मचाई। इस वर्ष जुलाई माह में पाकिस्तान के विभिन्न इलाकों में भारी बारिश के कारण आए बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। 1966 के बाद हाइटाइड के कारण आए बाढ़ में वेनिस के 70 फीसद ऐतिहासिक इमारत जलमग्न हो गए और यहां आपातकाल लागू कर दिया गया। बता दें कि यहां का 80 फीसद हिस्सा यूनेस्को के विश्व धरोहर में शामिल है। वहीं चीन में पहले टाइफून लेकिमा और फिर देश के विभिन्न हिस्सों में जुलाई और अगस्त में आए बाढ़ के कारण 200 से अधिक लोगों की जान चली गई और 60 से अधिक लोग घायल हो गए। वहीं ईरान के 31 में से 25 प्रांतों में बाढ़ का सामना कर पड़ा और भारत के आधे से अधिक इलाकों में बाढ़ ने तबाही मचाई।
कई देशों में भूकंप से कांप गई धरती
दुनिया के विभिन्न देशों में कई बार भूकंप के झटके आए, कहीं तेज तो कहीं हल्के। इस साल पाकिस्तान में आए भूकंप के झटके ने तबाही मचा दी। यहां भूकंप का झटका करीब दस सेकेंड का था। इतनी सी देर में सड़कों में खाई बनने में देर नहीं लगी। चीन के सिचुआन में भी दो बार भूकंप के झटके ने तबाही मचा दी। एक बार 6.0 और दूसरी बार 5.4 की तीव्रता वाला भूकंप आया। इसके अलावा भूकंप के कारण अल्बानिया की धरती भी कांप गई थी। इस तबाही में यहां मरने वालों की संख्या 50 के पार चली गई।
पिछले साल की तुलना में बढ़ी आग की घटनाएं
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2018 की तुलना मे इस साल आग की घटनाओं में 85 फीसद की बढ़ोतरी हुई। आग लगने से कार्बन डाई ऑक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड बड़े पैमाने पर पैदा हो रहा है। इंडोनेशिया में बोर्नियो के जंगल, ऑस्ट्रेलिया में जंगल, अमेरिका में कैलिफोर्निया के जंगल समेत अमेजन के जंगलों में धधकी आग को बुझाना भी इस साल की समस्याओं में शामिल है। अमेजन बेसिन के अन्य देशों में भी आग की घटनाएं अधिक हुई। अकेले वेनेज़ुएला में 2600 आग की घटनाएं हैं। वहीं बोलीविया में 17000। ब्राजील के जंगलों में सूखे मौसम में आग लगना सामान्य है। इन जंगलों में प्राकृतिक कारणों से तो आग लगती ही है किसान भी खेतों की सफाई के लिए आग लगाते हैं। अमेरिका में कैलिफोर्निया के जंगलों में भी आग लग गई। इसके बाद यहां लगभग 50,000 लोगों को दूसरी जगह ले जाया गया। लॉस एंजलिस व सोनोमा काउंटी में इमर्जेंसी घोषित की गई।
साइक्लोन और लैंडस्लाइड के चपेट में भारत समेत दुनिया के कई देश
अमेरिका में छुट्टियों की शुरुआत ही बम साइक्लोन के चपेट में आ गई। थैंक्स गीविंग वीक के पहले दिन ही इतनी बर्फबारी और बारिश हुई कि सड़कों पर मोटी-मोटी बर्फ की परत जम गई। बंगाल की खाड़ी में उठने वाला साइक्लोन बुलबुल हिंद महासागर का सातवां बड़ा साइक्लोन है। इससे पहले महा, फानी, वायु, क्यार जैसे साइक्लोन आए। यहां यह बता दें कि हिंद महासागर में आए साइक्लोन से इसके उत्तर में बसे देश इरान, पाकिस्तान और बांग्लादेश, पूर्व में मलय पेनिनसुला, इंडोनेशिया का सुंडा आइलैंड और पूर्व में ऑस्ट्रेलिया वहीं दक्षिण में अंटार्कटिका और पश्चिम में अफ्रीका और अरब पेनिनसुला प्रभावित हुए है। इसका दक्षिण पश्चिम हिस्सा अटलांटिक महासागर से जुड़ता है। दुनिया के कई देशों में लैंडस्लाइड की घटनाएं घटी। भारत के पहाड़ी इलाकों के साथ-साथ म्यांमार, नेपाल, केन्या जैसे देशों में भी इस साल लैंडस्लाइड की कई घटनाएं घटीं।
जलवायु परिवर्तन पर सम्मेलन COP25
जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरों से निपटने के लिए विभिन्न तरीकों पर चर्चा के लिए स्पेन के मैड्रिड में COP25 आयोजित की गई। धरती पर बढ़ते तापमान को लेकर दुनिया के विभिन्न देश चिंतित है। इस सम्मेलन में दुनिया के 196 देश हिस्सा ले रहे हैं। 2 दिसंबर से शुरू होकर 13 दिसंबर तक यह सम्मेलन चलेगा। सम्मेलन का उद्घाटन संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने किया।
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