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अमेरिका के अड़ने से डब्ल्यूटीओ की वार्ता विफल होने के आसार

अमेरिका के अड़ने से विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य देशों की यहां चल रही मंत्रिस्तरीय वार्ता विफल होने के पूरे आसार पैदा हो गए हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 13 Dec 2017 07:32 AM (IST)Updated: Wed, 13 Dec 2017 07:32 AM (IST)
अमेरिका के अड़ने से डब्ल्यूटीओ की वार्ता विफल होने के आसार
अमेरिका के अड़ने से डब्ल्यूटीओ की वार्ता विफल होने के आसार

ब्यूनस आयर्स, प्रेट्र। अमेरिका के अड़ने से विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य देशों की यहां चल रही मंत्रिस्तरीय वार्ता विफल होने के पूरे आसार पैदा हो गए हैं। अमेरिका ने सार्वजनिक भंडारण के मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने के किसी भी प्रयास में शामिल होने से इन्कार कर दिया है। अमेरिकी सहायक व्यापार प्रतिनिधि शैरोन बोमर लॉरिसेन ने एक छोटे समूह की बैठक में कहा कि खाद्यान्न भंडारण का मुद्दा हमें कतई स्वीकार्य नहीं है। भारत के लिए यह मुद्दा बेहद अहम है, क्योंकि यह देश के करोड़ों लोगों की खाद्य सुरक्षा से जुड़ा है।

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अमेरिका के इस मुद्दे पर किसी भी बातचीत में शामिल होने से इन्कार करने से चार दिवसीय ११वीं मंत्रिस्तरीय बैठक में कोई सकारात्मक नतीजा निकलने की संभावना समाप्त हो गई है। आधिकारिक सूत्रों का तो स्पष्ट रूप से यही कहना है। भारत लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि मंत्रिस्तरीय वार्ता में खाद्यान्नों के सार्वजनिक भंडारण के मुद्दे का स्थायी समाधान निकालना जरूरी होगा। इस मामले में भारत झुकने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि देश के 60 करोड़ से ज्यादा लोग खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के दायरे में आते हैं। इतनी बड़ी आबादी का पेट भरने के लिए सरकार के पास खाद्यान्नों का बड़ा भंडार होना आवश्यक है। खाद्यान्न भंडारण के लिए बड़े पैमाने पर सब्सिडी की जरूरत पड़ती है, जबकि डब्ल्यूटीओ के नियमों के तहत खाद्य सब्सिडी कुल उत्पादन के 10 फीसद से ज्यादा नहीं हो सकती है। फिलहाल दोहा दौर के तहत 'पीस क्लॉज' की सुविधा है। इसमें कुछ समय के लिए सब्सिडी ज्यादा होने पर भी सवाल नहीं उठाने का प्रावधान है। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने खाद्य सुरक्षा के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया है। इस मुद्दे पर भारत को विकासशील देशों के समूह जी-33 का भी पूरा समर्थन मिल रहा है। यह मुद्दा दुनिया भर के 80 करोड़ लोगों की जीविका से जुड़ा हुआ है।

भारत के साथ तरजीही व्यवहार उचित: प्रभु

विश्व व्यापार संगठन के तहत भारत को मिल रहा विशेष और तरजीही व्यवहार बिल्कुल उचित है। इस संबंध में अमेरिकी आलोचनाओं को खारिज करते हुए सुरेश प्रभु ने साफ कर दिया कि भारत ऐसे व्यवहार का सही हकदार है। वह यहां डब्ल्यूटीओ की मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने आए हैं। अमेरिका का कहना है कि भारत जैसे कई विकासशील देश स्वघोषित विकास दर्जे के नाम पर नियमों को अनदेखा कर रहे हैं।

प्रभु ने कहा कि विशेष और तरजीही व्यवहार डब्ल्यूटीओ का अभिन्न हिस्सा है। जमीनी सच्चाई यही है कि कुछ देशों की प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है। इस कसौटी की अनदेखी नहीं की जा सकती है। खास तौर पर तब जब कई समाज विकास की प्रक्रिया में पीछे छूट गए हों। भारत समेत सभी विकासशील देशों की विशेष दर्जे की मांग बिल्कुल सही है। कुछ मुल्क अब देशों की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) को आधार बनाने की दलील दे रहे हैं।

बेस्ट सेलर बनी दिल्ली के प्रोफेसर की किताब

यहां चल रही मंत्रिस्तरीय बैठक में दिल्ली के सेंटर फॉर डब्ल्यूटीओ स्टडीज में एसोसिएट प्रोफेसर सचिन कुमार शर्मा की खाद्य सुरक्षा पर आधारित किताब बेस्ट सेलर बन गई है। उनकी किताब का नाम 'डब्ल्यूटीओ एंड फूड सिक्योरिटी' है। सचिन की इस किताब में विश्व व्यापार संगठन के नियमों के नजरिये से चुनिंदा विकासशील देशों की सार्वजनिक भंडारण नीतियों का विश्लेषण किया गया है। 

यह भी पढें: भारत की विकास दर तेज, फिर भी 60 करोड़ आबादी गरीबी रेखा से नीचे: सुरेश प्रभु


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