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दुनियाभर में अधिकांश स्‍वास्‍थ्‍यकर्मी हैं महिलाएं, लेकिन शीर्ष पदों पर एक चौथाई भी नहीं!

हम जब भी अस्‍पताल में जाते हैं वहां पर अधिकतर काम करने वाली महिलाएं दिखाई देती हैं। इसके बाद भी स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में शीर्ष पदों पर इनकी भागीदारी काफी कम है। इसको लेकर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के प्रमुख चिंता जता चुके हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 09 Mar 2021 12:28 PM (IST)Updated: Tue, 09 Mar 2021 12:41 PM (IST)
दुनियाभर में अधिकांश स्‍वास्‍थ्‍यकर्मी हैं महिलाएं, लेकिन शीर्ष पदों पर एक चौथाई भी नहीं!
स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं की शीर्ष पदों पर कमी

जिनेवा (संयुक्‍त राष्‍ट्र)। पूरी दुनिया में अधिकतर स्‍वास्‍थ्‍यकर्मी महिलाएं हैं। इसके बावजूद नेतृत्‍व करने वाले पदों पर इनकी संख्‍या एक चौथाई से भी कम है। ऐसे पदों पर पुरुषों का वर्चस्‍व दिखाई देता है, जिसको बदलने की जरूरत है। लोगों को इस पर विचार करने वाला बयान विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के महानिदेश डॉक्‍टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने दिया है। दरअसल, कुछ दिन पहले ही डब्‍ल्‍यूएचओ ने जैंडर इक्‍वल हेल्‍थ नाम से एक पहल शुरू की है। इसका मकसद स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में शीर्ष पदों पर महिलाओं की नियुक्ति उनके वेतन में इजाफा और स्‍वास्‍थ्‍य सेवा से जुड़ी महिलाओं को काम के लिए बेहतर माहौल प्रदान करना है।

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विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की तरफ से शुरू की गई इस पहल और स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में शीर्ष पदों पर महिलाओं की गैरमौजूदगी कहीं न कहीं लोगों की मानसिकता को भी उजागर करती है। वूमेन इन ग्‍लोबल हेल्‍थ की एग्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर डॉक्‍टर रूपा धत, ऑक्‍सफॉर्ड यूनिवर्सिटी की साराह गिलबर्ट और जर्मन कंपनी बायोएनटेक की डॉक्‍टर ऑजलेम तुरेकी ने कोविड-19 की वैक्‍सीन को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई है। विश्‍व महिला दिवस के मौके पर इन तीनों को संगठन के हैडक्‍वार्टर में एक प्रेस वार्ता में बुलाया गया था। इसमें स्‍वास्‍थ्‍य सेवा में महिलाओं की शीर्ष पदों पर गैरमोजूदगी की बात साफतौर पर दिखाई दी।

 

डॉक्‍टर रूपा ने बताया कि हेल्‍थ सेक्‍टर में महिलाओं को बेहतर काम के बाद भी उन्‍हें अहम निर्णय लेने की प्रक्रिया में बराबर का स्‍थान नहीं मिलता है। वर्ष 2020 में उन्‍हें कई बार ऐसे उतार-चढ़ाव देखने को मिले। उन्‍होंने कहा कि इस दौरान जिस तरह की बुनियादी विषमताएं देखने को मिली उन्‍हें भविष्‍य में आने वाली महामारी से पहले दूर किया जाना जरूरी है। उन्‍होंने इस बात पर अफसोस जाहिर किया है कि बीमारी किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं करती है, लेकिन समाज ऐसा करने से कभी नहीं हिचकता है।

इस खास प्रेस वार्ता में शामिल प्रोफेसर साराह कोविड-19 वैक्‍सीन को विकसित करने से पहले इंफ्लुएंजा, इबोला समेत अन्‍य बीमारियों की वैक्‍सीन विकसित करने पर सफलतापूर्वक काम कर चुकी हैं। उनका कहना था कि ऑक्‍सफॉर्ड और एस्‍ट्राजेनेका द्वारा विकसित की गई कोरोना वायरस की वैक्‍सीन की टीम में करीब दो-तिहाई महिलाएं शामिल थीं। लेकिन शीर्ष पदों पर या फैसला लेने की स्थिति में केवल एक-तिहाई ही महिलाएं शामिल थीं। उन्‍होंने इस बात पर भी चिंता जाहिर की कि महामारी का असर पुरुषों की तुलना में महिलाओं के करियर पर अधिक पड़ा है।

 

बायोएनटेक कंपनी की नींव रखने वाली डॉक्‍टर ओजलेम तुएर्की ने इस मामले में खुद को जरूर खुशनसीब बताया। उनका कहना है कि इस कंपनी में 54 फीसद महिलाएं हैं जिनमें से 50 फीसद को सीनियर रैंक पर काम करने का मौका दिया गया है। उन्‍होंने बताया कि उन्‍होंने इस कंपनी में महिला और पुरुष के बीच में एक संतुलित टीम बनाने की पूरी कोशिश की है। दोनों ने ही मिलकर कोविड-19 की वैक्‍सीन को विकसित करने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। आपको बता दें कि बायोएनटेक ने फाइजर के साथ मिलकर कोरोना की वैक्‍सीन को विकसित किया है। पूरी दुनिया में इस वैक्‍सीन को सबसे पहले इस्‍तेमाल की इजाजत मिली थी। इसके साथ ही ऑक्‍सफॉर्ड-एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन को डब्‍ल्‍यूएचओ ने कोवैक्‍स योजना का हिस्‍सा बनाया है। बायोएनटेक कंपनी की शुरुआत डॉक्‍टर तुएर्की ने अपने पति प्रोफेसर उगुर साहीन के साथ मिलकर की थी।


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