यूएन में पाक के खिलाफ नया आरोप, अल्पसंख्यकों पर होता है जुल्म
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की ईसाई महिला कार्यकर्ता शाजिया खोकर ने कहा, पाकिस्तान में मात्र 2-3 फीसद अल्पसंख्यक हैं जिनपर हमेशा ईशनिंदा कानून द्वारा दंडित किए जाने का खतरा बना रहता है।
जेनेवा (एएनआई)। पाकिस्तान में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे अत्याचार व ईशनिंदा के दुरुपयोग को लेकर महिला कार्यकर्ताओं (ईसाई) ने जेनेवा में जारी मानवाधिकार परिषद के 37वें सत्र के दौरान सोमवार को आवाज बुलंद की।
संयुक्त राष्ट्र के एक इवेंट में पाकिस्तान की ईसाई महिला कार्यकर्ता शाजिया खोकर ने कहा, पाकिस्तान में मात्र 2-3 फीसद अल्पसंख्यक हैं जिनपर हमेशा ईशनिंदा कानून द्वारा दंडित किए जाने का खतरा बना रहता है। शाजिया अब स्विटजरलैंड में रह रहीं हैं।
उन्होंने आगे कहा, ‘देश का नाम ‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान’ ऑफिशियल नाम है जहां धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों पर अत्याचार किया जाता है। कई देशों को इस्लामिक रिपब्लिक नाम दिया गया जहां इस्लामिक कानून का शासन है। पाकिस्तान में एक बार एक शख्स को ईशनिंदा का आरोपी बताया गया था, उसे दोषी करार दिया गया और हिंसा की कोशिश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में कानून असफल रहा। ईशनिंदा कानून से असहिस्णुता का वातावरण है और धार्मिक अल्पसंख्यकों से भेदभाव को बढ़ावा देता है।
शाजिया ने ऐसे कई मामलों का उललेख किया जिसमें एक ईसाई महिला आसिया बीबी का मामला भी जिन्हें 2009 में खेतों में काम करते वक्त ईशनिंदा का दोषी करार दिया गया था और मौत की सजा दी गयी। 2014 में लाहौर हाई कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी गयी थी।
एक अन्य ईसाई महिला कार्यकर्ता सलमा भट्टी ने अपहरण, धर्म बदलने और अल्पसंख्यक समुदाय की युवतियों की जबरन शादी किए जाने का मामला उठाया। उन्होंने कहा पाकिस्तान में अनेकों ईसाई लड़कियां हैं जिनका अपहरण कर जबरन शादी कर दी जाती है। इन युवतियों के बारे में कुछ पता नहीं चलता।