Russia Finland Tension: NATO के जवाब में एक्शन में रूस, क्या फिनलैंड पर हमला करेगी रूसी सेना? जानें- एक्सपर्ट की राय
Will the Russian army attack Finland रूस ने दावा किया था कि नाटो में शामिल होने का इच्छुक फिनलैंड सिर्फ 10 सेकेंड में साफ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर हम कैलिनिनग्राद से हमला करते हैं तो हाइपरसोनिक मिसाइल को पहुंचने में 200 सेकेंड लगेंगे।
नई दिल्ली, जेएनएन। Will the Russian army attack Finland: रूस-यूक्रेन जंग को शुरू हुए 87 दिन हो चुके हैं। इस बीच रूस और फिनलैंड में भी तनातनी बढ़ गई है। दरअसल, फिनलैंड और स्वीडन NATO की सदस्यता को लेकर रूस ने आक्रामक रुख अपनाया है। रूस ने फिनलैंड को तबाह करने की धमकी दी है। रूस ने हाल में कहा था कि नाटो में शामिल होने का इच्छुक फिनलैंड सिर्फ 10 सेकेंड में साफ हो जाएगा। इस घमकी के बाद रूस ने फिनलैंड को तत्काल प्रभाव से गैस आपूर्ति को रोक दिया है। रूस ने बताया है कि फिनलैंड ने रूबल में गैस का भुगतान करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद सप्लाई को बंद कर दिया गया है। रूस के इस कदम में फिनलैंड में ऊर्जा संकट गहरा सकता है। रूस का यह कदम इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या रूस फिनलैंड के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर सकता है।
फिनलैंड की सरकारी कंपनी गैसम का दावा
हालांकि, विदेशों से गैस खरीदने वाली फिनलैंड की सरकारी कंपनी गैसम ने कहा है कि वे पहले से ही रूसी गैस सप्लाई को बंद करने के लिए तैयार थे। उन्होंने दावा किया कि देश में गैस की किल्लतों का प्रबंध कर लिया जाएगा और इससे आम आदमी को कोई भी तकलीफ नहीं होगी। हालांकि, विशेषज्ञों की राय है कि बाहर से गैस आयात करने पर फिनलैंड पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा। उधर, यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस ने प्रतिबंधों को देखते हुए सभी गैर आयातक देशों से रूबल में भुगतान करने की मांग की थी। रूस ने कहा था कि सभी देशों की गैस खरीद करने वाली एजेंसियों को रूस के बैंक में एक अकाउंट खोलना होगा और उसी के जरिए रूबल में भुगतान किया जाएगा। हालांकि, यूरोपीय संघ ने रूस के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था। जिसके बाद रूस ने पिछले महीने बुल्गारिया और पोलैंड की गैस आपूर्ति रोक दी थी।
रूस दे रहा सैन्य कार्रवाई की धमकी
हाल में ड्यूमा के रक्षा समिति के डिप्टी चेयरमैन अलेक्सी ज़ुरावलेव ने दावा किया था कि नाटो में शामिल होने का इच्छुक फिनलैंड सिर्फ 10 सेकेंड में साफ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर हम कैलिनिनग्राद से हमला करते हैं तो हाइपरसोनिक मिसाइल को पहुंचने में 200 सेकेंड लगेंगे। अलेक्सी ने कहा कि हम फिनलैंड की सीमा पर रणनीतिक हथियार तैनात नहीं करेंगे, लेकिन हमारे पास किंझल क्लास की मिसाइलें हैं, जो 20 या सिर्फ 10 सेकेंड में फिनलैंड पहुंच सकती हैं। उन्होंने कहा कि रूस अपनी पश्चिमी सीमा पर अपने सैन्य बलों को व्यापक रूप से मजबूत करेगा। रूसी अधिकारी ने दावा किया कि फिनलैंड को नाटो में शामिल होने के लिए ब्रिटेन और अमेरिका ने उकसाया है।
सैन्य कार्रवाई की स्थिति में नहीं है रूसी सेना
1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि रूस द्वारा गैस आपूर्ति को रोकना नाटो के प्रतिरोध के रूप में देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि रूसी सेना इस समय यूक्रेन युद्ध में उलझी हुई है। इसलिए वह नाटो व अन्य यूरोपीय देशों से अभी युद्ध की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि रूस यह जरूर कह रहा है कि वह दस सेंकड में फिनलैंड के अस्तित्व को समाप्त कर देगा। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से रूसी सेना की क्षमता के आगे फिनलैंड कहीं नहीं टिकता, लेकिन रूसी राष्ट्रपति पुतिन यह जानते हैं कि रूसी सेना को अब किसी दूसरे देश के साथ युद्ध में नहीं उलझाया जा सकता है। ऐसे में वह इसी तरह के एक्शन ही लेंगे। रूस की गैस आपूर्ति बाधित करने के पीछे यही मंशा है।
2- उन्होंने कहा कि फिनलैंड या स्वीडन पर हमले को अमेरिका चुपचाप नहीं देख सकता है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो यह जंग का विस्तार होगा। प्रो पंत ने कहा कि फिनलैंड और स्वीडन पर हमले के बाद नाटो में शामिल सदस्य देश सक्रिय हो सकते हैं और अगर ऐसा हुआ तो इसमें अमेरिकी हस्तक्षेप भी बढ़ जाएगा। ऐसे में यह युद्ध रूस और फिनलैंड का नहीं होगा।उन्होंने कहा कि यह तीसरे विश्व युद्ध की दस्तक हो सकती है। रूस यह जानता है कि अगर फिनलैंड पर सैन्य कार्रवाई करता है तो उसका मुकाबला नाटो सेना से होना तय है। उधर, यूक्रेन युद्ध में रूस को भारी क्षति हुई है, ऐसे में रूस किसी अन्य देश के साथ हमला करने से जरूर बचेगा।
3- प्रो पंत ने कहा कि रूस ने जिस तरह यूक्रेन पर हमला करके तबाही मचाई है, उसने रूस के दूसरे पड़ोसी देशों और आसपास के देशों में चिंता बढ़ा दी है। रूस के पड़ोसी मुल्क अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है। यही कारण है कि अधिकतर देश नाटो में शामिल होकर खुद को सुरक्षित करना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि सदस्य बनने पर अमेरिका और अन्य बड़े नाटो देश उनकी रक्षा करेंगे। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को अब तीन महीने होने को है। रूस ने यूक्रेन पर जिन वजहों से हमला किया, उसमें एक बड़ा कारण यूक्रेन का नाटो में शामिल होने की तैयारी थी। रूस कभी नहीं चाहता कि उसका कोई भी पड़ोसी देश नाटो का सदस्य बने।