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    NATO vs Russia: बेलारूस में रूसी सेना की सक्रियता से क्‍यों बेचैन हुआ NATO? फ‍िनलैंड और स्‍वीडन पर क्‍या हमला करेगा रूस ? एक्‍सपर्ट व्‍यू

    By Ramesh MishraEdited By:
    Updated: Sat, 02 Jul 2022 07:00 AM (IST)

    NATO vs Russiaऐसे में सवाल उठता है कि फ‍िनलैंड और स्‍वीडन की नाटो में प्रवेश के लिए आखिर क्‍यों मान गया तुर्की। क्‍या यह पश्चिमी देशों और अमेरिका की क ...और पढ़ें

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    बेलारूस में रूसी सेना की सक्रियता से क्‍यों बेचैन हुआ NATO। एजेंसी।

    नई दिल्‍ली, जेएनएन। NATO vs Russia: फ‍िनलैंड और स्‍वीडन की नाटो में शामिल होने की खबर से रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन बेचैन हैं। उधर, बेलारूस में रूसी मिसाइलों की तैनाती की खबर से नाटो देशों में भी खलबली मची है। इसके चलते नाटो सदस्‍य देशों और रूस के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि फ‍िनलैंड और स्‍वीडन को नाटो में प्रवेश के लिए आखिर क्‍यों मान गया तुर्की। क्‍या यह पश्चिमी देशों और अमेरिका की कूटनीतिक जीत है। बेलारूस में रूसी मिसाइलों की तैनाती से नाटो में क्‍यों खलबली मची है। आइए जानते हैं क‍ि इन तमाम मसलो पर विशेषज्ञों की क्‍या राय है।

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    1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि यूक्रेन युद्ध के बीच रूस की घेरेबंदी में जुटे नाटो देशों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। अब रूस के इन दोनों ही पड़ोसी देशों के नाटो में शामिल होने का रास्‍ता साफ हो गया है। फिनलैंड, स्‍वीडन और तुर्की तीनों ही इस बात पर राजी हो गए हैं कि वे एक-दूसरे की रक्षा करेंगे। इसके साथ तुर्की की ओर से पिछले कई सप्‍ताह से चला आ रहा कूटनीतिक ड्रामा भी अब खत्‍म हो गया है। इस नए हालात से उत्‍तरी यूरोप में अब रूस की टेंशन बढ़ जाएगी। उन्‍होंने कहा कि यही कारण है कि रूस ने बेलारूस में अपनी मिसाइलों को तैनात करने का फैसला लिया है। बेलारूस में रूसी मिसाइल की तैनाती से उत्‍तरी यूरोप में रूस और नाटो सदस्‍य देशों के बीच तनाव बढ़ेगा।

    2- उन्‍होंने कहा कि यह फैसला ऐसे समय लिया गया जब स्‍पेन के मैड्रिड शहर में नाटो के 30 सदस्‍य देश अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कर रहे थे। इसके साथ रूस ने भी अपने मित्र राष्‍ट्रों को एकजुट करना शुरू कर दिया है। इसके चलते उत्‍तरी यूरोप में बेहद तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। बेलारूस में रूसी मिसाइल की तैनाती ने इस तनाव में घी का काम किया है। अब यह देखना दिलचस्‍प होगा कि रूस फ‍िनलैंड और स्‍वीडन के खिलाफ क्‍या कार्रवाई करेगा। रूस कह चुका है कि अगर फ‍िनलैंड और स्‍वीडन नाटो में शामिल होते हैं तो इसका उसे खमियाजा भुगतना पड़ेगा। हालांकि, रूस को तुर्की से यह उम्‍मीद थी कि वह फ‍िनलैंड और स्‍वीडन को नाटो में शामिल करने का विरोध जारी रखेगा।

    3- उन्‍होंने कहा कि फिनलैंड और स्‍वीडन का नाटो में शामिल होना भी चकित करने वाला है। प्रो पंत ने कहा कि दोनों ही देश लंबे समय से तटस्‍थ थे लेकिन यूक्रेन जंग के बीच अब इन्‍होंने अपना इरादा बदल दिया है। उन्‍होंने कहा कि पुतिन की सैन्‍य रणनीति से दोनों देश भयभीत हो गए। दोनों देश अब नाटो की सुरक्षा चाहते हैं। उन्‍होंने कहा कि इसके लिए तीनों देशों के बीच एक करार हुआ है। यह सहमति तुर्की के राष्‍ट्रपति एर्दोगन, स्‍वीडन की पीएम मागडालेना एंडर्सन और फिनलैंड के राष्‍ट्रपति सौली निनिस्‍तो के बीच बैठक के बाद बनी है। तीनों देशों के बीच हुए करार के मुताबिक स्‍वीडन तुर्की के प्रत्‍यर्पण के आवेदन पर काम तेज करेगा। साथ ही स्‍वीडन और फिनलैंड दोनों ही अपने कानून को संशोधित करेंगे ताकि तुर्की के लिए खतरा बने लोगों के प्रति कड़ा रवैया अपनाया जा सके। यही नहीं स्‍वीडन और फिनलैंड तुर्की को हथियार बेचने पर लगे अपने प्रतिबंधों को हटाएंगे।

    4- प्रो पंत का मानना है कि कागज पर तो ये मिसाइलें बेलारूस की होंगी, लेकिन असल में वे रूसी सेना की होंगी। इन मिसाइलों में रूसी परमाणु बम लगा होगा। ये परमाणु मिसाइलें बेलारूस से सटे नाटो देशों पोलैंड, ल‍िथुआनिया, लाटविया एस्‍टोनिया, हंगरी, स्‍लोवानिया और चेक रिपब्लिक के पास तैनात होंगी। पुतिन अगर बेलारूस में परमाणु हथियार तैनात करते हैं तो बाल्टिक देशों के साथ उनका तनाव बहुत ज्‍यादा बढ़ सकता है। पुतिन ने ये मिसाइल देने का ऐलान ऐसे समय पर किया है, जब लिथुआनिया ने यूक्रेन प्रतिबंधों को देखते हुए रूस के रेल के जरिए उसके कालिनिनग्राड सैन्‍य अड्डे तक जाने वाले सामान को रोक दिया है। इससे अब रूस केवल पानी के जरिए ही वह भी हजारों किमी का सफर करके सामानों की आपूर्ति अपने सैन्‍य अड्डे को कर पा रहा है।

    नाटो से निपटने के लिए और निकट आए बेलारूस और रूस

    उधर, रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन अपने दोस्‍त और बेलारूस के तानाशाह अलेक्‍जेंडर लुकाशेंको को इस्‍कंदर एम परमाणु मिसाइल देने की तैयारी कर रहे है। पुतिन का यह कदम पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया के रूप में माना जा सकता है। खास बात यह है कि पश्चिमी यूरोप में इस मिसाइल का खौफ है।इसका बड़ा कारण यह है कि कम दूरी तक मार करने वाली यह मिसाइल यूक्रेन में इन दिनों तबाही मचा रही है। पुतिन ने बेलारूस की वायुसेना के सुखोई-25 विमानों को अपग्रेड करके परमाणु बम ले जाने में सक्षम बनाने का भी ऐलान किया है। रूसी राष्‍ट्रपति ने यह ऐलान ऐसे समय पर किया है, जब लुकाशेंको ने दावा किया था कि यूक्रेन युद्ध के बीच नाटो के परमाणु हथियारों से लैस फाइटर जेट बेलारूस की सीमा के पास उड़ान भर रहे हैं। उन्‍होंने दोस्‍त पुतिन से इसका जवाब देने के लिए मदद मांगी थी।