Indo US Differences over F-16: एफ-16 पर आखिर बाइडन ने अपने पूर्ववर्ती ट्रंप के फैसले को क्यों पलटा, क्या है भारत की बड़ी चिंता- एक्सपर्ट व्यू
Indo US Differences over F-16 अमेरिका ने पाकस्तिान को एफ-16 युद्धक विमान को अपग्रेड करने का फैसला भारत के खिलाफ है। ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि बाइड ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जेएनएन। Indo US Differences over F-16: अमेरिका का पाकिस्तान को एफ-16 युद्धक विमान को अपग्रेड करने का फैसला भारत के खिलाफ है। यह भारत के सामरिक हितों के विपरीत है। बाइडन प्रशासन के इस फैसले के बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर उन्होंने अपने पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप के फैसले को क्यों पलट दिया है। हालांकि, अलकायदा प्रमुख अल जवाहिरी की हत्या में अमेरिका की पाकिस्तान ने मदद की थी। इसके बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि अमेरिका, पाकिस्तान को इसका तोहफा देगा। ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि बाइडन प्रशासन का भारत के प्रति क्या नजरिया है। क्या बाइडन प्रशासन भारत विरोधी है। क्या राष्ट्रपति जो बाइडन भारत के प्रति अच्छा दृष्टिकोण नहीं रखते हैं।
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि बाइडन के पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप अपने विरोधी राष्ट्रों के प्रति काफी आक्रामक थे। वह चीन विरोधी भी थे। ट्रंप को चीन और पाकिस्तान की दोस्ती कभी रास नहीं आई। उधर, ट्रंप खुलेआम भारत को अपना एक अच्छा दोस्त कहने में नहीं हिचकते थे। ट्रंप प्रशासन भारत को एक रणनीतिक मित्र का दर्जा देता था। इतना ही नहीं उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना एक अच्छा दोस्त कहा था। अपने कार्यकाल मे वह कई बार भारत की यात्रा पर आए और खुद मोदी ने कई बार अमेरिका की यात्रा की।
2- प्रो पंत का कहना है कि इसमें कोई शक नहीं है कि बाइडन प्रशासन भारत के हितों के प्रति ट्रंप की तरह दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। पाकिस्तान को एफ-16 युद्धक विमान को अपग्रेड करने का फैसला इसी कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए। ट्रंप प्रशसन ने इस विमान को अपग्रेड करने से मना कर दिया था। बाइडन प्रशासन ने अपने पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन के फैसले को पलटते हुए पाकिस्तान को इसके लिए 450 मिलियन डालर की मदद भी मुहैया कराई है। गौरतलब है कि वर्ष 2018 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को सभी रक्षा और सुरक्षा मदद पर रोक लगा दी थी। इसमें अमेरिकी युद्धक विमान एफ-16 भी शामिल था। ट्रंप प्रशासन ने 2018 में आतंकवादी संगठनों अफगान तालिबान तथा हक्कानी नेटवर्क पर कार्रवाई करने में नाकाम रहने पर पाकिस्तान को दी जाने वाली करीब दो अरब डालर की वित्तीय सहायता निलंबित कर दी थी।
3- प्रो पंत का कहना है कि बाइडन का रुख शुरू से ही भारत के प्रति बहुत उदार नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि जब बाइडन देश के राष्ट्रपति बने तो उन्होंने अपनी कैबिनेट में भारतीय मूल के लोगों को खूब तरजीह दिया। इससे एक बार यह लगा कि बाइडन भारत के प्रति नरम दृष्टिकोण अपनाएंगे। वह भारत के सामरिक हितों की चिंता करेंगे, लेकिन बाइडन के इस फैसले से चीजें साफ हो गई हैं। उन्होंने कहा कि इसके पूर्व भी बाइडन के एक फैसले से भारत को काफी झटका लगा था। जनवरी 1991 में भारत ने सोवियत संघ की अंतरिक्ष संस्था ग्लावकासमास के साथ 235 करोड़ रुपए के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस करार के तहत भारत को सात क्रायोजेनिक इंजन मिलने थे। इस समझौते पर अमेरिका में खूब राजनीति हुई थी। भारत की मुखालफत का नेतृत्व भी बाइडन कर रहे थे। बाइडन डेमोक्रटिक पार्टी के सीनेटर थे। उस वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश सीनियर थे। वह रिपब्लिक पार्टी से थे। अमेरिका ने क्रायोजेनिक इंजन टेक्नोलाजी की बिक्री का विरोध किया था।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय का क्या है तर्क
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान का F-16 कार्यक्रम अमेरिका-पाकिस्तान वृहद द्विपक्षीय संबंधों का एक अहम हिस्सा है। इससे पाकिस्तान की वायु सेना के F-16 कार्यक्रम को बनाए रखा जा सके। F-16 बेड़े से पाकिस्तान को आतंकवाद रोधी अभियान में सहयोग मिलेगा। हम पाकिस्तान से सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ निरंतर कार्रवाई करने की उम्मीद करते हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को F-16 लड़ाकू विमानों के रखरखाव के लिए संभावित विदेश सैन्य बिक्री को मंजूरी देने का फैसला लिया है ताकि पाकिस्तानी वायु सेना को वर्तमान और भविष्य में आतंकवाद के खतरों से निपटने की क्षमता बनाए रखने में मदद मिल सके। पाकिस्तान, अमेरिका का महत्वपूर्ण आतंकवाद रोधी सहयोगी है।
आखिर क्या है भारत की चिंता
पाकिस्तान के साथ संबंधों में तनाव को देखते हुए भारत का चिंतित होना लाजमी है। पुलवामा में आतंकवादी हमले के बाद जब भारत ने आतंकवादी कैंपों पर हमला किया था, उस समय माना जाता है कि F-16 फाइटर जेट की मदद से ही पाकिस्तान ने भारत के मिग-21 विमान को मार गिराया था। ऐसे में यह आशंका प्रबल हो जाती है कि एफ-16 विमानों का उपयोग वह भारत के खिलाफ कर सकता है। हालांकि, भारत ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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