जलवायु परिवर्तन से कम हो रही वैश्विक जलापूर्ति, यह है वजह
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के आधार पर दावा किया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण धरती की मिट्टी सूखने लगेगी, जिससे जलापूर्ति कम हो जाएगी।
मेलबर्न, प्रेट्र। धरती का पारा बढ़ रहा है और दुनिया के विभिन्न क्षेत्र पानी के संकट से जूझ रहे हैं। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन वैश्विक स्तर पर ऐसी समस्या बन गई है, जिससे निपटने के लिए हर देश अपने स्तर पर काम कर रहा है लेकिन समाधान मिलता नहीं दिख रहा। इसी कड़ी में एक और चिंताजनक बात सामने आई है। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के आधार पर दावा किया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण धरती की मिट्टी सूखने लगेगी, जिससे जलापूर्ति कम हो जाएगी। वहीं, अध्ययन में यह भी बताया गया है कि इससे अधिक वर्षा होगी। शोधकर्ताओं ने सूखे जैसे हालात के प्रति चेताते हुए कहा है कि जल्द ही बदली हुई स्थितियां दुनिया के लिए आम हो जाएंगी।
ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय (यूएनएसडब्ल्यू) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में भविष्य के मौसम के मॉडल सिमुलेशन के निष्कर्षों के बजाय 160 देशों के 43,000 वर्षा स्टेशनों ओर 5,300 नदी निगरानी स्थलों के वास्तविक आंकड़ों को समाहित किया गया। इन आंकड़ों का विश्लेषण कर शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे कि जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक जलापूर्ति पर संकट पैदा हो जाएगा।
नहीं थी इस बात की उम्मीद
अध्ययन से जुड़े आशीष शर्मा ने कहा, ‘गर्म हवा में अधिक नमी संग्रहित होती है इसलिए हमें वर्षा के बढ़ने की उम्मीद थी और जलवायु मॉडल ने भी यही भविष्यवाणी की। हालांकि हमें इस बात की उम्मीद नहीं थी कि विश्व के सभी स्थानों पर अतिरिक्त वर्षा के बावजूद बड़ी नदियां सूख रही हैं। हमारा मानना है कि इसका कारण जलग्रहण क्षेत्रों में मिट्टी का सूखना है।’
यह है वजह
यदि मिट्टी नम होती तो उससे अतिरिक्त वर्षा का पानी नदियों में बहकर जाता, लेकिन वे अभी सूखी हैं जिससे वे वर्षा का अधिक पानी सोख लेती हैं। इसलिए कम पानी बह पाता है। आशीष कहते हैं, ‘हमारी नदियों में कम पानी का मतलब है शहरों और खेतों के लिए कम पानी। सूखी मिट्टी का मतलब है कि किसानों को फसल उगाने के लिए अधिक पानी की जरूरत होगी। सबसे खराब बात यह है कि इस स्वरूप की विश्व में हर जगह पुनरावृत्ति हो रही है। यह अत्यंत चिंता की बात है।
बारिश की 100 बूंदों में 36 ही आती हैं काम
धरती पर गिरने वाली बारिश की 100 बूंदों में से केवल 36 बूंदें ही झीलों, नदियों जैसे जलस्रोतों में जाती हैं। यह पानी ही हमारी जरूरतों को पूरा करने के काम आता है। इसे ब्लू वाटर कहते हैं। वहीं, वर्षा का शेष पानी मिट्टी द्वारा सोख लिया जाता है। इसे ग्रीन वाटर कहते हैं। गर्मी बढ़ने से मिट्टी में ज्यादा पानी सोखा जाएगा, जिससे जलस्रोतों में पानी की कमी हो जाएगी। इसके परिणामस्वरूप हमें जल संकट का सामना करना पड़ेगा।