WHO की बड़ी चिंता, कोरोना मरीजों की इलाज में जुटे 55 देशों में 22,000 से अधिक स्वास्थ्यकर्मी वायरस से प्रभावित
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी में 55 देशों में 22000 से अधिक स्वास्थ्य कर्मचारी प्रभावित हैं।
जिनेवा, एजेंसी । विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी में 55 देशों में 22,000 से अधिक स्वास्थ्य कर्मचारी प्रभावित हैं। संगठन ने कहा है कि यह चिंताजनक स्थिति है। रिपोर्ट में कहा गया है कि संभवतया इस संख्या को कम करके दर्शाया गया है, क्योंकि अब तक डब्ल्यूएचओ में स्वास्थ्य कर्मियों के बीच संक्रमण की कोई व्यवस्थित रिपोर्टिंग नहीं हुई है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि शुरुआती नतीजे बताते हैं कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने कार्यस्थल और समुदाय में संक्रमित परिवार के सदस्यों के जरिए संक्रमित हो रहे हैं। फ्रंटलाइन हेल्थकेयर श्रमिकों की रक्षा के लिए डब्ल्यूएचओ ने मास्क, काले चश्मे, दस्ताने और गाउन जैसे व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरणों के सही उपयोग पर जोर दिया। स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच बर्नआउट के जोखिम को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने अपने कामकाज को अच्छे से निपटाने के लिए हर परिस्थितियों के लिए अपने अधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया।
डब्ल्यूएचओ की कार्यप्रणाली पर ट्रंप ने उठाए सवाल
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह आरोप लगाते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी जाने वाली फंडिंग रोकने की भी धमकी दी थी कि उसने वक़्त रहते दुनिया को इस ख़तरे से आगाह नहीं किया। उन्होंने कहा है कि उसने लगातार चीन का बचाव भी किया है। बता दें कि अमरीका हर साल डब्ल्यूएचओ को 400 मिलियन डॉलर देता है। कोरोना से दुनिया भर में 16 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं। ट्रंप ने यह सवाल उठाया है कि ताइवान ने कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर जब डब्ल्यूएचओ को जानकारी दी तो उस पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया।
अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमरीका इस बात से बेहद हैरान है कि वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय से ताइवान की सूचना छुपाई गई। 14 जनवरी 2020 को जारी बयान में डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि इस वायरस के इंसान से इंसान में ट्रांसमिशन के संकेत नहीं मिले। उन्होंने कहा कि ताइवान को ऑब्जर्वर स्टेटस देने से भी इनकार करने वाले डब्ल्यूएचओ ने जन स्वास्थ्य के मुकाबले फिर से राजनीति को चुना है। डब्ल्यूएचओ के इस काम से वक्त और जिंदगियां दोनों बर्बाद हुई हैं।