कोरोना महामारी में HIV दवाओं की भारी कमी, 723 देशों में स्टॉक आउट होने का खतरा उत्पन्न
कोरोना महामारी के दौरान एचआइवी दवाओं की मात्रा में काफी कमी आई है। 73 देशों ने रिपोर्ट किया है कि एंटीरेट्रोवारयरस दवाओं के स्टॉक आउट होने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
जिनेवा, एजेंसी। संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य प्रमुख ने कहा है कि डब्लूएचओ के ताजा सर्वेक्षण से यह पता चला है कि कोरोना महामारी के दौरान एचआइवी दवाओं की मात्रा में काफी कमी आई है। 73 देशों ने रिपोर्ट किया है कि एंटीरेट्रोवारयरस दवाओं के स्टॉक आउट होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस के वैश्विक प्रसार के बाद रोगियों को एचआइवी की डोज दी जाने लगी, इससे चलते एचाआइवी के दवाइयों की किल्लत उत्पन्न हो गई।
एचआइवी संक्रमणों की संख्या सालाना 17 लाख के पार
डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ने कहा कि 2018 एवं 2019 में नए एचआइवी संक्रमणों की संख्या सालाना 17 लाख के पार हो गई है। इसके रोकथाम में मामूली प्रगति हुई है। उन्होंने कहा इसकी बड़ी वजह एचआइवी की रोकथाम और परीक्षण सेवाएं उन समूहों तक नहीं पहुंच पा रही हैं, जिन्हें इनकी सबसे अधिक जरूरत है। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से करोना महामारी से निपटना एक वैश्विक प्राथमिकता है, लेकिन हम एचआइवी संक्रमित लाखों लोगों से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा अब वक्त आ गया है कि हमें वैश्विक एकजुटता से दोनों समस्याओं का निस्तारण करना होगा।
भारत ने कोरोना मरीजों के लिए जारी की थी गाइडलाइंस
भारत सरकार ने भी कोरोना के जानलेवा संक्रमण से बचने के लिए एचआइवी रोधक दवाइयों का मिश्रण लेने की सिफारिश की थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी संशोधित गाइडलाइंस में कहा था कि 'क्लीनिकल मैनेजमेंट ऑफ कोविड-19' के तहत कोरोना वायरस से संक्रमित जिन मरीजों पर अधिक खतरा हो, उन्हें एड्स के इलाज में दी जाने वाली दवाएं दी जा सकती हैं। सरकार का कहना है कि एआइवी-रोधक दवा लिपोनाविर और रिटोनाविर दवाओं का डोज कोरोना से पीडि़त मरीज की हालत के हिसाब से तय किया जाना था।