अमेरिका ने WHO की फंडिंग रोकने का किया फैसला, संस्था के डॉक्टर बोले- कमजोर देशों पर होगा असर
अमेरिका द्वारा WHO की फंडिंग रोके जाने को लेकर संस्था के डॉक्टर ने कहा कि इसका असर गरीब देशों पर पड़ेगा।
जिनेवा, एपी। विश्व स्वास्थ्य संगठन में आपात स्थिति के प्रमुख का कहना है कि अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी के लिए यू.एस. फंडिंग का अंत दुनिया के सबसे कमजोर लोगों के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को वितरित करने के लिए प्रभाव पड़ेगा। डॉ माइकल रयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भेजे गए एक पत्र के बारे में संवाददाताओं के सवालों के जवाब दे रहे थे।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस ग्रेबियेसस को पत्र लिखकर कहा है कि अगर अगले 30 दिनों में संगठन कोई ठोस कदम नहीं उठाता है तो अमेरिका अपनी फंडिंग स्थायी रूप से रोक देगा। संस्था का बयान उस दिन आया जब 24 घंटे की अवधि में WHO को कुल 106,000 कोरोना वायरस (COVID-19) मामलों की सूचना दी गई, ये आंकड़ा एक ही दिन में सबसे अधिक है।
रयान ने कहा कि अमेरिकी फंडिंग जो डब्ल्यूएचओ की आपात स्थिति कार्यक्रम तक पहुंचती है। एक वर्ष में $ 100 मिलियन के आदेश पर थी और इसमें से अधिकांश पूरी तरह से नाजुक और कठिन समय में दुनिया भर में मानवीय स्वास्थ्य संचालन के लिए जाती है। रेयान ने इस तरह के किसी भी फंडिंग कटौती के बारे में चिंता व्यक्त की और कहा, यदि आवश्यक हो, तो एजेंसी को यह सुनिश्चित करने के लिए अन्य भागीदारों के साथ काम करना होगा।
जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को लेकर कई बयान दिए हैं। उन्होंने कहा था कि वह डब्ल्यूएचओ के काम से खुश नहीं हैं। साथ ही ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर चीन के प्रति पक्षपाती होने का भी आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि चीन के कहना पर ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित करने में देरी की है। बता दें कि अमेरिका कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यहां सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं।