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जानिए ‘श्वेत चरमपंथियों के बारे में, जिन्होंने क्राइस्टचर्च नरसंहार को दिया है अंजाम

व्हाइट सुपरमेसिस्ट विचारधारा के लोगों ने ही ठीक 10 साल पहले बराक ओबामा की हत्या की साजिश रची थी। इनकी कट्टर विचारधारा गैर-श्वेतों की हत्या या नरसंहार से भी परहेज नहीं करती।

By Amit SinghEdited By: Published: Sat, 16 Mar 2019 06:16 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 10:37 AM (IST)
जानिए ‘श्वेत चरमपंथियों के बारे में, जिन्होंने क्राइस्टचर्च नरसंहार को दिया है अंजाम
जानिए ‘श्वेत चरमपंथियों के बारे में, जिन्होंने क्राइस्टचर्च नरसंहार को दिया है अंजाम

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। न्यूज़ीलैंड के क्राइस्टचर्च में दो मस्जिदों में गोलीबारी कर 49 लोगों को मौत के घाट उतारने की घटना के बाद से ‘व्हाइट सुपरमेसिस्ट’ (White Supremacist) शब्द काफी चर्चा में है। माना जा रहा है कि इस घटना और इतिहास में हुई इस तरह की अन्य घटना के पीछे भी इसी विचारधारा का हाथ है। ये एक ऐसी विचारधारा है जो दुनिया भर में अश्वेतों से नफरत करने वालों को इस तरह की हिंसक वारदातें करने के लिए बढ़ावा देती है। इसी नफरत की वजह से 10 साल पहले बराक ओबामा की हत्या की साजिश रची गई थी।

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15 मार्च 2009 को अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बराक ओबामा की हत्या की साजिश में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार लोगों में से एक ने बताया था कि वह बराक ओबामा की हत्या करने वाले थे। वह लोग बराक ओबामा को एक चुनावी जनसभा में 750 मीटर की दूरी से गोली मारने वाले थे। ये हमला उस वक्त होता जब, ओबामा को डेमोक्रेटिक पार्टी से आधिकारिक रूप से पार्टी की उम्मीदवारी मिलने वाली थी। गिरफ्तार किए गए लोग व्हाइट सुपरमेसिस्ट संगठन के थे। इसके ठीक 10 साल बाद, 15 मार्च 2019 को न्यूजीलैंड में भी इसी विचारधारा के समर्थकों ने भीषण नरसंहार किया था।

न्यूज़ीलैंड पुलिस ने शुक्रवार की घटना के बाद एक महिला और तीन पुरुष समेत चार लोगों को हिरासत में लिया था। दो लोग गिरफ्तार कर लिए गए हैं। इनमें से एक 28 वर्षीय युवक ब्रेंटन टेरेंट पर हत्या का आरोप दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस ने कई वाहनों से विस्फोटक बरामद भी किए थे, जिन्हें डिफ्यूज कर दिया गया था।

ये है गैर-श्वेतों से नफरत की वजह
हमलावर के 76 पेज की कार्ययोजना से पता चलता है कि वह भारत समेत चीन, टर्की, पाकिस्तान, रोम, अफ्रीका, टर्की आदि देशों के अश्वेत नागरिकों से नफरत करता था। उसका मानना है कि ये अश्वेत लोग बाहर के देशों से आकर यूरोप में फैल रहे हैं। इस वजह से श्वेत लोगों के लिए मौके कम हो रहे हैं। इतना ही नहीं हमलावर को ये भी लगता है कि अश्वेत लोग, श्वेत लोगों के मुकाबले ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं। ऐसे में भविष्य में अश्वेत लोग उसी के देश में श्वेत लोगों पर हावी हो जाएंगे। हमलावर बेंटन टैरंट के पिता रोडनी की 2010 में कैंसर से मौत हो गई थी। उसके बाद 2011 में वह ऑस्ट्रेलिया छोड़कर घुमने निकल गया था। वह पाकिस्तान और उत्तर कोरिया भी गया था।

क्या है व्हाइट सुपरमेसिस्ट
व्हाइट सुपरमेसिस्ट का शाब्दिक अर्थ है, श्वेत वर्चस्ववादी। मतलब दुनिया भर में श्वेत लोगों का वर्चस्व स्थापित करना। ये एक कट्टर विचारधारा है, जो दुनिया भर के अश्वेतों के पुरजोर खिलाफ है। इस विचार धारा के लोगों का मानना है कि श्वेत, सर्वश्रेष्ठ हैं। इस विचारधार के लोग गैर-श्वेतों से इतनी नफरत करते हैं कि क्राइस्टचर्च जैसे नरसंहार में मासूमों की जान लेने से भी इन्हें कोई गुरेज नहीं होता है। क्राइस्टचर्च में हमला करने वाले भी इसी मानसिकता के हैं, जो उनकी 76 पेज की कार्ययोजना से भी स्पष्ट है। इसमें कहा गया है कि गैर-श्वेत लोग बाहरी देशों से यूरोपीय देशों में आकर बस रहे हैं। इस विचारधारा के लोग इस पलायन को भविष्य के लिए बड़ी समस्या और बड़े खतरे के तौर पर देखते हैं।

नार्वे में ऐसी घटना में मारे गए थे 75 लोग
ब्रेंटन टेरेंट, नॉर्वे के हत्यारे एंडर्स ब्रेविक के संपर्क में भी रह चुका था। एंडर्स ने भी श्वेत सुपरमेसिस्ट मानसिकता के तहत जुलाई 2011 में नार्वे में अंधाधुंध गोलियां चलाते हुए 75 से अधिक लोगों की जान ले ली थी। पहले भी अमेरिका समेत दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में गैर-श्वेतों के खिलाफ इस तरह की हिंसात्मक घटनाएं होती रहीं हैं। कई बार ये घटनाएं छोटी होती हैं और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में न आ पाने की वजह से छिपी रह जाती हैं। हालांकि जब भी क्राइस्टचर्च या नार्वे जैसी घटना होती है व्हाइट सुपरमेसिस्ट पर दुनिया भर में बहस शुरू हो जाती है।

व्हाइट सुपरमेसिस्ट को बढ़ावा देने वाले संगठन

  • क्लू क्लक्स क्लान, अमेरिका और यूरोप के विभिन्न देशों में सक्रिय है।
  • स्टॉर्मफ्रंट ऑनलाइन वेब पोर्टल के जरिए गैर श्वेतों के खिलाफ नफरत फैलाता है, 2017 में बैन।
  • 2013 में ब्रिटेन में नेशनल एक्शन हिटलर लव ग्रुप का गठन एलेक्स डेविस ने किया।
  • जर्मनी में आर्यन नेशन संगठन सक्रिय, तुर्की मूल के लोगों को बनाते हैं निशाना।

(गुपचुप और गैरकानूनी तरीके से चलने वाले इन ग्रुप का अपना ड्रेस कोड है और कार्ययोजनाएं बनाने और उन पर क्रियान्वयन करने के लिए इनकी नियमित बैठकें भी होती हैं।)

सुपरमेसिस्ट द्वारा किए गए अन्य बड़े हमले
21 अगस्त 2006 - रूस के मॉस्को में मध्य एशियाई बहुल वाले क्षेत्र में बम धमाका, 13 मरे।
22 जुलाई 2011 - नार्वे में एंडर्स ब्रिविक नामक शख्स ने दो हमलों में 77 लोगों की हत्या की।
22 जुलाई 2016 - जर्मनी के म्यूनिख में शॉपिंग मॉल पर गोलीबारी, 9 की मौत।
29 जनवरी 2019 - कनाडा के क्यूबेक स्थित मस्जिद में गोलीबारी, 6 लोगों की मौत।

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