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दुनिया में हर साल संघर्ष में मरते हैं एक लाख बच्चे, 2013-17 के बीच पांच लाख से ज्यादा बच्चों की मौत

एससीआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि युद्धग्रस्त देशों में बच्चों का आंतकी संगठनों में शामिल होना, अगवा होना या यौन शोषण का शिकार होना भी बड़ी समस्या है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 07:06 PM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 07:06 PM (IST)
दुनिया में हर साल संघर्ष में मरते हैं एक लाख बच्चे, 2013-17 के बीच पांच लाख से ज्यादा बच्चों की मौत
दुनिया में हर साल संघर्ष में मरते हैं एक लाख बच्चे, 2013-17 के बीच पांच लाख से ज्यादा बच्चों की मौत

म्यूनिख, एएफपी। दुनिया भर के कई देशों में हो रहे संघर्ष और उसके प्रभाव -जैसे भुखमरी व स्वास्थ्य सुविधा ना मिलने के चलते हर साल करीब एक लाख बच्चों को जान चली जाती है। युद्ध से बुरी तरह प्रभावित दस देशों में ही 2013 से 2017 के बीच 5,50,000 बच्चों की जान गई। 'सेव द चिल्ड्रेन इंटरनेशनल' (एससीआइ) संस्था का कहना है कि संघर्ष के दौरान अस्पताल आदि भी क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे में बच्चों को जरूरी चिकित्सा नहीं मिल पाती है। इसके अलावा भुखमरी से भी हजारों बच्चों की जान चली जाती है।

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एससीआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि युद्धग्रस्त देशों में बच्चों का आंतकी संगठनों में शामिल होना, अगवा होना या यौन शोषण का शिकार होना भी बड़ी समस्या है। संस्था ने युद्ध से सबके अधिक प्रभावित देशों की भी सूची जारी की है। इनमें अफगानिस्तान, कांगो, इराक, माली, नाइजीरिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सीरिया, यमन और सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिकन शामिल हैं। एससीआइ का कहना है कि पांच में से एक बच्चा अस्थिर इलाकों में रह रहा है। पिछले दो दशक में यह सबसे ज्यादा है। 2017 में करीब 42 करोड़ बच्चे उन क्षेत्रों में रह रहे थे। यह दुनियाभर के बच्चों का 18 फीसद है। 2016 के मुकाबले 2017 में इनकी संख्या में तीन करोड़ का इजाफा हुआ था।

एससीआइ के मुताबिक युद्ध में घायल हुए और मारे गए बच्चों की संख्या तीन गुना बढ़ी है। संस्था की सीईओ हेल थोरिंग-श्मिट ने इसपर चिंता जताते हुए कहा, यह शर्मनाक है कि 21 वीं सदी में हम पीछे की तरफ जा रहे हैं और अपनी नैतिकता खो चुके हैं। बच्चे और आम नागरिक पर हमला कायरता है।'


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