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नहीं रहे बौद्ध भिक्षु थिक क्वांग डुक, धार्मिक स्‍वतंत्रता की मांग के कारण 2003 से थे नजरबंद

नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कई बार नामांकित वियतनाम के थिक क्वांग डुक की 93 वर्ष की अवस्‍था में निधन हो गया। वह एक असंतुष्‍ट बौद्ध भिक्षु थे।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 11:58 AM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 11:58 AM (IST)
नहीं रहे बौद्ध भिक्षु थिक क्वांग डुक, धार्मिक स्‍वतंत्रता की मांग के कारण 2003 से थे नजरबंद
नहीं रहे बौद्ध भिक्षु थिक क्वांग डुक, धार्मिक स्‍वतंत्रता की मांग के कारण 2003 से थे नजरबंद

हनोई, एजेंसी ।  नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कई बार नामांकित वियतनाम के बौद्ध भिक्षु थिक क्वांग डुक की 93 वर्ष की अवस्‍था में निधन हो गया। वह एक असंतुष्‍ट भिक्षु थे। उन्‍होंने अपना अधिकांश जीवन धार्मिक स्‍वतंत्रता और कम्‍युनिष्‍ट द्वारा संचालित मानवाधिकारों की वकालत करते हुए बिताया। 

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थिक क्वांग का जन्‍म 1928 में वियतनाम के थाई प्रांत में हुआ था। वह वियतनाम के प्रतिबंधित बौद्ध मठ (UBCV) के मुखिया थे। मानवाधिकार और धार्मिक आजादी की मांग उठाने वाले थिच क्वांग वियतनाम सरकार के खिलाफ मुखर रहे। उनकी इस कट्टरता के कारण उन्‍हें 2003 में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्‍हें नजरबंद कर दिया गया। तब से वह लगातार पुलिस की निगरानी में थे। बता दें कि UBVC को 1980 के दशक की शुरुआत से प्रतिबंधित कर दिया गया था, जब उसने राज्य द्वारा स्वीकृत वियतनाम बौद्ध चर्च में शामिल होने से इनकार कर दिया था। 

वियतनाम के प्रतिबंधित बौद्ध चर्च (UBCV) ने शनिवार की रात उनके निधन की आधिकारिक सूचना दी। अप्रैल 2019 को उनके हस्ताक्षर के अनुसार थिक क्वांग की इच्‍छा थी 'अंतिम संस्‍कार के बाद मेरी राख समुद्र में बिखेर दिया जाए। मेरी अंतिम यात्रा के लिए कोई चंदा नहीं लिया जाए। मेरी कोई आत्मकथा नहीं होगी, कोई भावनात्मक शो नहीं होगा ... बस प्रार्थना करना।'

उन्‍होंने सदा लोकतंत्र व्‍यवस्‍था की वकालत की। वियतनाम में लोकतंत्र की स्‍थापना के लिए उनके संघर्ष की खातिर उन्‍हें नोबेल शांति पुरस्‍कार के लिए कई बार नामांकित किया गया। वह धार्मिक आजादी के लिए संघर्ष करते रहे। वह बौद्ध मठों की आजादी की मांग करते रहे। मानवाधिकार को लेकर वह सरकार के खिलाफ आवाज उठाते रहे। इस कारण वियतनाम सरकार ने उन्‍हें नजरबंद कर दिया था। अगले वर्ष वियतनाम में कम्युनिस्ट शासन के खिलाफ तीन दशकों के शांतिपूर्ण विरोध के लिए अपने व्यक्तिगत साहस और दृढ़ता के लिए नॉर्वे के रफोटो मानवाधिकार पुरस्कार प्राप्त किया।


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