सौ दिनों तक कोरोना के स्थानीय संक्रमण से बचे वियतनाम में आया पहला केस, सघन जांच के निर्देश
सौ दिनों तक कोरोना के स्थानीय संक्रमण से बचे रहे वियतनाम में अब इस तरह का पहला मामला सामने आया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सघन स्क्रीनिंग शुरू कर दी है।
बैंकाक [द न्यूयार्क टाइम्स]। सौ दिनों तक कोरोना के स्थानीय संक्रमण के किसी मामले से बचे रहे वियतनाम में अब इस तरह का पहला मामला सामने आया है। अधिकारियों के मुताबिक, डनांग शहर में 57 वर्षीय एक व्यक्ति को शनिवार को कोरोना से संक्रमित पाया गया। अभी यह पता नहीं चला है कि ये व्यक्ति कैसे कोरोना संक्रमण का शिकार हुआ। कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने सघन स्क्रीनिंग और परीक्षण आरंभ कर दिए हैं।
सभी लोगों की जांच
संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले सभी लोगों की जांच की गई है और उन्हें क्वारंटीन में भेज दिया गया है। अभी तक कोई अन्य मामला सामने नहीं आया है। वियतनाम में सामने आए नए मामले से पता चलता है कि संक्रमण को रोकने के लिए कितने भी बड़े कदम उठाए जाएं, इसके प्रसार को रोकना कितना कठिन है। अधिकारी परेशान हैं कि इस व्यक्ति को संक्रमण कैसे हुआ, क्योंकि उसका लगभग पूरा समय घर के भीतर ही गुजरता रहा है।
सबसे सफल देशों में शामिल है वियतनाम
कोरोना को रोकने के मामले में वियतनाम दुनिया के सबसे अधिक सफल देशों में शामिल है। देश में अभी तक केवल 416 मामले सामने आए हैं और एक भी मौत नहीं हुई है। वियतनाम में लगभग उसी समय से सख्ती पाबंदियां लागू कर दी गई थीं जब चीन में इस बीमारी के उभरने का शुरुआती चरण था। यहां दूसरे देशों के नागरिकों के आने पर अभी भी पाबंदी है। हालांकि वियतनाम अब जल्द ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू करने की तैयारी में है।
उत्तर कोरिया में भी संदिग्ध मरीज मिलने से हड़कंप
उत्तर कोरिया में भी कोरोना का संदिग्ध मरीज मिलने के बाद तानाशाह किम जोंग उन ने दक्षिण कोरिया की सीमा के निकट स्थित केसोंग शहर में पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया है। शहर में आपातकाल की घोषणा के साथ ही किम ने कहा कि उन्हें लगता है कि यह 'क्रूर वायरस' देश में घुस गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर इस संदिग्ध व्यक्ति को आधिकारिक रूप से संक्रमित घोषित किया जाता है तो यह उत्तर कोरिया में कोरोना का पहला ज्ञात मामला होगा। बता दें कि उत्तर कोरिया लगातार यह कहता रहा है कि उसके देश में संक्रमण का एक भी मामला नहीं है। हालांकि विदेशी विशेषज्ञ उसके इस दावे पर सवाल उठाते रहे हैं।
दो लाख की आबादी वाला शहर है केसोंग
करीब दो लाख की आबादी वाला केसोंग शहर दक्षिण कोरिया के साथ लगती सीमा के उत्तर में स्थित हैं। यही वह शहर है जहां पर पिछले महीने उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर स्थापित किए गए संपर्क कार्यालय को बम विस्फोट करके उड़ा दिया था। बता दें कि वायरस विरोधी प्रयासों को राष्ट्रीय अस्तित्व का मामला बताते हुए उत्तर कोरिया ने इस साल की शुरुआत में सभी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को बंद कर दिया था और विदेशी पर्यटकों पर पाबंदी लगा दी थी। साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों को यह भी निर्देश दिया गया था कि किसी भी व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण मिलने पर उसे आइसोलेशन में रखा जाए।
सुरक्षाकर्मियों की चूक पर भी हुई चर्चा
केसीएनए के मुताबिक शनिवार को पोलितब्यूरो की आपात बैठक में किम ने कहा कि 24 जुलाई के बाद से केसोंग शहर को पूरी तरह बंद करके और हर जिले एवं क्षेत्र का एक-दूसरे से संपर्क समाप्त करके रोकथाम संबंध कदम उठाए गए हैं। बैठक में सीमावर्ती इलाके पर सुरक्षाकर्मियों की चूक पर भी चर्चा की गई, जिसके चलते संदिग्ध मरीज सीमा पार करके उत्तर कोरिया में घुसा। बता दें कि गरीबी और राजनीतिक दमन से बचने के लिए पिछले 20 वर्षो में 33,000 से अधिक उत्तर कोरियाई लोगों ने भागकर दक्षिण कोरिया में शरण ली है। यह लोग उत्तर कोरिया से निकलने के लिए चीन से लगती सीमा का प्रयोग करते हैं।
फुटेज की जांच कर रही है सेना
दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ ने बताया कि इस बात की पूरी संभावना है कि किसी ने सीमा पार की हो। सेना फुटेज की जांच कर रही है और बहुत संभव है कि हम सही व्यक्ति की पहचान कर लेंगे। कुछ लोगों को चिह्नित किया गया है और उनकी पहचान के लिए संबंधित एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। वहीं केसीएनए ने बताया कि संदिग्ध मरीज और पिछले पांच दिनों में केसोंग में उसके संपर्क में आए लोगों को आइसोलेशन में रखा गया है।
विशेषज्ञ बोले, चीन से ध्यान हटाने की कोशिश
सियोल की ईवा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लीफ एरिक इस्सले ने कहा कि जिस तरह यह बताया जा रहा है कि संदिग्ध मरीज कुछ दिनों पहले दक्षिण कोरिया से लौटा था, उससे लगता है कि वह वायरस फैलाने के लिए जिम्मेदार चीन और स्वयं से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि उसकी यह कोशिश दक्षिण कोरिया पर राजनयिक दबाव बढ़ाने की रणनीति भी हो सकती है। सियोल स्थित कोरिया इंस्टीट्यूट फॉर सोशल यूनिफिकेशन सीनियर फेलो ने कहा कि उत्तर कोरिया की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वह प्योंगयांग जनरल हॉस्पिटल का निर्माण भी तय समय सीमा नहीं कर सका है। इस बात को सामने रखकर उत्तर कोरिया दक्षिण से खुले तौर पर सहायता स्वीकार कर सकता है।