तेल के खेल में भारत को झेलना पड़ सकता है नुकसान, वेनेजुएला है इसकी सबसे बड़ी वजह
अथाह तेल वाले वेनेजुएला में आज लोग दाने-दाने को मोहताज हैं। वहां की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। बेरोजगारी, अपराध और भूखमरी चरम पर है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। वेनेज़ुएला में राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के इस्तीफे की मांग को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए हैं। वहीं प्रमुख विपक्षी नेता जुआन गुएडो खुद को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित कर चुके हैं। इसको लेकर दुनिया भी दो खांचों में बंटती दिखाई दे रही है। गोएडो को अमेरिका, कनाडा और ताकतवर पड़ोसी देशों जैसे ब्राजील, कोलंबिया और अर्जेंटीना से समर्थन मिल रहा है।
रूस और चीन मौजूदा राष्ट्रपति मादुरो के पक्ष में खड़े हैं। यूरोपीय संघ ने वेनेज़ुएला में फिर से चुनाव कराए जाने की मांग कर दी है और जुआन गुएडो के नेतृत्व वाली नेशनल असेंबली को अपना समर्थन दे दिया है। ऐसे में वेनेज़ुएला में राजनीतिक संकट वैश्विक समस्या बनने की ओर अग्रसर है।
भारत पर असर
वेनेजुएला से तेल खरीदने के मामले में भारत शीर्ष देशों में से एक है। मादुरो की गलत नीतियों के चलते अब अमेरिका उसके तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दे रहा है। पिछले साल मार्च में निकोलस मादुरो अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस समिट में हिस्सा लेने के लिए भारत आए थे। भारत ने वेनेजुएला के साथ हाइड्रोकार्बन सेक्टर में सहयोग के लिए द्विपक्षीय समझौता भी किया है। इसके अलावा वेनेजुएला के ऑयल क्षेत्र में भारत ने निवेश भी किया है। ऐसे में वहां पर गहराया आर्थिक और राजनीतिक संकट भारत-वेनेजुएला संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
ध्वस्त अर्थव्यवस्था
अथाह तेल वाले वेनेजुएला में आज लोग दाने-दाने को मोहताज हैं। वहां की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। बेरोजगारी, अपराध और भूखमरी चरम पर है।
13 लाख तक पहुंची मुद्रास्फीति की दर
वेनेजुएला में मौजूदा समय में खराब होती अर्थव्यवस्था के बीच लोगों के पास या तो खाने का पैसा नहीं है या फिर इतने हैं कि उनसे वह कुछ खरीद नहीं पा रहे हैं। मौजूदा समय में यहां पर मामूली ब्रेड की कीमत भी सैकड़ों में चली गई है। बीते समय में कुछ जगहों पर खाने को लेकर भी संघर्ष साफतौर पर देखा गया है। वहीं बीते कुछ वर्षों के दौरान वेनेजुएला से लाखों लोग पड़ोसी देशों में शरण ले चुके हैं। वेनेजुएला की सीमा पश्चिम में कोलंबिया, पूर्व में गुयाना और दक्षिण में ब्राजील से मिलती है।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि वेनेजुएला के पास दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञात तेल भंडार है और यह तेल के दुनिया के अग्रणी निर्यातकों में से एक है। इसके बाद ही इसको 2017 तक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने दिवालिया घोषित कर दिया था। हाल ये है कि बीते वर्ष दिसंबर में यहां पर मुद्रास्फीति की दर करीब दस लाख फीसद तक पहुंच गई है। इसका अंदाजा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अगस्त में ही लगा लिया था। वर्तमान में यह 13 लाख फीसद है। दरअसल पिछले वर्ष अगस्त में राष्ट्रपति मादुरो ने देश की मुद्रा बोलवियर का नाम बदलकर 'सॉवरेन बोलवियर' कर दिया था। इसके अलावा इसका 95 फीसद अवमूल्यन भी किया गया था। इसके बाद से ही लगातार देश में मुद्रास्फीति की दर बेतहाशा बढ़ रही है।
ऐसे गहराया संकट
- मार्च 2013 : कैंसर से राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज की मृत्यु के बाद निकोलस मादुरो ने सत्ता संभाली।
- अप्रैल 2013 : वेनेजुएला में हुए चुनाव में मादुरो ने विपक्ष को हराया और राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली।
- दिसंबर 2015 : विपक्षी लोकतांत्रिक एकता गठबंधन ने वेनेजुएला नेशनल असेंबली का नियंत्रण अपने हाथ में लिया।
- मार्च 2016 : वहां की सुप्रीम कोर्ट ने असेंबली का कार्यभार अपने हाथों में लिया।
- जुलाई 2017 : यह आरोप लगा कि मादुरो लोकतंत्र को खत्म कर रहे हैं। वेनेजुएला ने विधायी निकाय के निर्माण को मंजूरी देने के लिए जनमत
- संग्रह का आह्वान किया।
- मई 2018 : मादुरो दोबारा राष्ट्रपति बने। विपक्ष ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया। 14 लैटिन अमेरिकी देश सहित अमेरिका, कनाडा ने चुनाव को अवैध करार दिया।
- जनवरी 2019 : प्रमुख विपक्षी नेता जुआन गुएडो ने ख़ुद को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित किया।
संयुक्त राष्ट्र का रुख
इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र ने सभी देशों से विपक्षी नेता जुआन गुएडो को समर्थन देने का आग्रह किया है।