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अफगानिस्‍तान में शांति बहाली के लिए तालिबान के साथ अमेरिका ने फिर शुरू की बातचीत

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को बताया कि अमेरिका ने तालिबान के साथ शांति वार्ता फिर शुरू कर दी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 06:13 PM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 12:34 AM (IST)
अफगानिस्‍तान में शांति बहाली के लिए तालिबान के साथ अमेरिका ने फिर शुरू की बातचीत
अफगानिस्‍तान में शांति बहाली के लिए तालिबान के साथ अमेरिका ने फिर शुरू की बातचीत

वाशिंगटन, एएनआइ। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को बताया कि अमेरिका ने तालिबान के साथ शांति वार्ता फिर शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, 'हम तालिबान के साथ एक समझौते पर काम कर रहे हैं।' ट्रंप ने गत सितंबर में इस आतंकी संगठन के साथ वार्ता रद कर दी थी।

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ट्रंप ने अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियाई प्रोफेसरों की रिहाई के बाद तालिबान के साथ वार्ता दोबारा शुरू करने की जानकारी दी। उन्होंने फॉक्स न्यूज के एक कार्यक्रम में कहा, 'देखते हैं क्या होता है।' तालिबान ने बीते मंगलवार को अमेरिका के केविन किंग और ऑस्ट्रेलिया के टिमोथी वीक्स को अफगानिस्तान में अमेरिकी बलों के हवाले कर दिया था। ये दोनों काबुल स्थित अमेरिकी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे।

उन्हें अगस्त, 2016 में सेना की वर्दी में आए बंदूकधारियों ने अगवा कर लिया था। इनकी रिहाई के बदले में अफगान सरकार ने तालिबान से जुड़े हक्कानी नेटवर्क के तीन आतंकी छोड़े थे। तालिबान ने इस हफ्ते दस अफगान सैनिकों को भी छोड़ा था। बंदियों की अदला-बदली के इस कदम के बाद अमेरिका और तालिबान के बीच शांति वार्ता दोबारा शुरू होने की उम्मीद जगी थी।

इस कारण रद की थी वार्ता

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गत आठ सितंबर को तालिबान के साथ शांति वार्ता रद कर दी थी। अफगानिस्तान में तालिबान के हमले में एक अमेरिकी सैनिक की मौत के बाद उन्होंने यह कदम उठाया था। यह वार्ता ऐसे समय रद हुई, जब अमेरिका और तालिबान शांति समझौते के बेहद करीब दिख रहे थे।

गत दिसंबर में से चल रही थी वार्ता

अफगानिस्तान में 18 साल से जारी खूनी संघर्ष को खत्म करने के प्रयास में अमेरिका और तालिबान के बीच गत दिसंबर से शांति वार्ता चल रही थी, लेकिन ट्रंप ने इस साल सितंबर में यह वार्ता रद कर दी थी। यह वार्ता कतर की राजधानी दोहा में चल रही थी। इसमें अमेरिकी पक्ष की अगुवाई विशेष दूत जालमे खलीलजाद कर रहे थे। हालांकि इस वार्ता में तालिबान के विरोध के चलते अफगान सरकार को शामिल नहीं किया गया था।


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