अमेरिका परमाणु समझौते को बचाना चाहता है तो पहले प्रतिबंध हटाए: ईरान
दोनों ही देश विवाद निपटाना चाहते हैं लेकिन अभी तक यह नहीं हो पाया है कि पहला कदम कौन उठाए। ईरान जहां अमेरिका से पहले प्रतिबंध हटाने की जिद ठाने है वहीं वाशिंगटन कह रहा है कि तेहरान पहले समझौते में वापस लौटे फिर कोई बात होगी।
दुबई, एजेंसियां। ईरान ने एक बार फिर दोहराया है कि अगर अमेरिका वर्ष 2015 में हुए परमाणु समझौते का बचाना चाहता है तो उसे सबसे पहले ईरान पर लगे प्रतिबंधों को हटाना होगा। तेहरान का यह बयान उसका पुराना रुख दर्शाता है, जिसमें कहा गया है कि विश्व की प्रमुख शक्तियों के साथ समझौते को बहाल करने के लिए वह पहल नहीं करेगा। बता दें कि बाइडन प्रशासन ने पिछले सप्ताह कहा था कि परमाणु समझौते में लौटने के इच्छुक ईरान के साथ वह बात करने को तैयार है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वर्ष 2018 में इस समझौते से बाहर आ गए थे और उन्होंने ईरान पर दोबारा प्रतिबंध लगा दिए थे।
खास बात यह है कि दोनों ही देश विवाद निपटाना चाहते हैं, लेकिन अभी तक यह नहीं हो पाया है कि पहला कदम कौन उठाए। ईरान जहां अमेरिका से पहले प्रतिबंध हटाने की जिद ठाने है वहीं वाशिंगटन कह रहा है कि तेहरान पहले समझौते में वापस लौटे फिर कोई बात होगी। ईरान के अंग्रेजी भाषा के चैनल प्रेस टीवी से बातचीत करते हुए विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने कहा, 'प्रतिबंधों को हटाने से पहले अमेरिका परमाणु समझौते को फिर से लागू नहीं कर पाएगा। समझौते में शामिल प्रत्येक पक्ष को अपना दायित्व निभाना होगा।' उन्होंने कहा, 'अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन का दावा है कि ट्रंप की अधिकतम दबाव की नीति पूरी तरह विफल रही है, लेकिन इसके इसके बावजूद उन्होंने ईरान के प्रति अपने नजरिये को नहीं बदला है। अमेरिका दबाव, प्रतिबंधों और धमकाने का आदी हो चुका है, लेकिन ईरान के साथ यह नीति काम नहीं करेगी।' बता दें कि अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से ईरान की अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है।
आइएईए के प्रमुख ईरान पहुंचे
परमाणु प्रतिष्ठानों के निरीक्षण के लिए रविवार को अंतरराष्ट्रीय एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (आइएईए) के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी तेहरान पहुंचे और ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन के मुखिया अली अकबर सालेही से मिले। सालेही ने कहा कि ग्रॉसी के साथ बातचीत में अतिरिक्त प्रोटोकॉल को खत्म किए जाने पर बातचीत की। ईरान की संसद ने पिछले वर्ष एक कानून पारित किया था, जिसमें कहा गया था कि अगर प्रतिबंध हटाए नहीं जाते हैं तो अतिरिक्त प्रोटोकॉल को 23 फरवरी से समाप्त कर दिया जाए। अतिरिक्त प्रोटोकॉल का मतलब यह है कि अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक तत्काल भी परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठानों का निरीक्षण करने आ सकते हैं। उधर, अमेरिका और यूरोप से जुड़े देशों ने ईरान को आइएईए के निरीक्षण में किसी तरह का व्यवधान पैदा नहीं करने की चेतावनी जारी की है।