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परमाणु कार्यक्रम ही नहीं अर्थव्‍यवस्‍था को भी बर्बाद कर देंगे उत्‍तर कोरिया पर लगे 'ये प्रतिबंध'

परमाणु हथियारों का लगातार विकास कर रहे उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र ने नए सिरे से प्रतिबंध लगा दिए हैं। इस बार प्रतिबंध ऐसे लगे हैं जो उत्तर कोरिया को बर्बाद कर सकते हैं।

By Digpal SinghEdited By: Published: Thu, 14 Sep 2017 12:12 PM (IST)Updated: Thu, 14 Sep 2017 06:27 PM (IST)
परमाणु कार्यक्रम ही नहीं अर्थव्‍यवस्‍था को भी बर्बाद कर देंगे उत्‍तर कोरिया पर लगे 'ये प्रतिबंध'
परमाणु कार्यक्रम ही नहीं अर्थव्‍यवस्‍था को भी बर्बाद कर देंगे उत्‍तर कोरिया पर लगे 'ये प्रतिबंध'

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। दुनियाभर की चेतावनी से बेपरवाह रहे उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। यह प्रतिबंध सर्वसम्मति से लिए गए फैसले के तहत लगाए गए हैं। उत्तर कोरिया पर परमाणु कार्यक्रम रोकने के लिए दबाव बनाने के इरादे से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने यह प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों के तहत उत्तर कोरिया के निर्यात को निशान बनाया गया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में उत्तर कोरिया के खिलाफ और प्रतिबंध लगाने संबंधी प्रस्ताव संख्या 2375 का मसौदा अमेरिका ने तैयार किया था। इस प्रस्ताव को 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से मंजूरी दी है।

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चीन और भारत को भी हो सकता है नुकसान

इन प्रतिबंधों के बाद उत्‍तर कोरिया में आर्थित तौर संकट आने के भी आसार हैं। इसकी वजह यह है कि इन प्रतिबंधों के मद्देनजर उत्‍तर कोरिया के निर्यात पर जबरदस्‍त वार किया गया है। उत्‍तर कोरिया के निर्यात की बात करें तो इसमें सबसे ऊपर चीन आता है तो दूसरे नंबर पर भारत है। इसके बाद पाकिस्‍तान, बुर्किना फासो और दूसरे एशियाई देश आते हैं। उत्‍तर कोरिया से होने वाले निर्यात में कोयला, पुरुष और महिलाओं के कपड़े आते हैं। वहीं यदि उसके आयात की बात करें तो इसमें भी चीन पहले और भारत दूसरे नंबर पर आता है। इसके बाद रूस, थाईलैंड और फिलीपींस आता है।

वर्ष 2015 के आंकड़ों पर भी यदि निगाह डालेंगे तो पता चलता है कि इस दौरान उत्‍तर कोरिया ने चीन को 2.34 बिलियन डॉलर, भारत को 97.8 मिलियन डॉलर, पाकिस्‍तान को 43.1 मिलियन डॉलर, बुर्किनाफासो को 32.8 मिलियन डॉलर, अन्‍य एशियाई देशों को करीब 26.7 मिलियन डॉलर का निर्यात किया था। वहीं इसी दौरान चीन से करीब 2.95 बिलियन डॉलन डॉलर, भारत से 108 मिलियन डॉलर, रूस से 78.2 मिलियन डॉलर, थाईलैंड से करीब 73.8 मिलियन डॉलर और फिलीपींस से 53.2 मिलियन डॉलर का आयात उत्तर कोरिया को किया गया था। ऐसे में यूएनएससी के प्रतिबंधों से उत्‍तर कोरिया के साथ-साथ चीन और भारत को भी कुछ तो नुकसान जरूर ही उठाना पड़ेगा।

चीन पर भी सख्‍त अमेरिका

अमेरिेका ने चीन और उत्‍तर कोरिया के मजबूत रिश्‍तों पर भी सख्‍त हमला किया है। अमेरिका ने साफ कर दिया है कि यदि इन प्रतिबंधों को सही तरीके से लागू नहीं किया या चीन ने इससे अलग हटने की कोशिश की तो वह और कड़े प्रतिबंध भी लगा सकता है। ट्रेजर्री सेक्रेट्री स्‍टीवन न्‍यूचिन ने कहा है कि यदि चीन ने इन प्रतिबंधों की अनदेखी की तो यह प्रतिबंध और अधिक कड़े हो सकते हैं।

उत्‍तर कोरिया को कुछ यूं होगा नुकसान

इसके मुताबिक उत्तर कोरिया को मिलने वाले तेल में करीब 30 फीसदी की कटौती की गई है। इसी प्रकार परिष्कृत तेल एवं ईंधन जैसे गैस, डीजल और भारी ईंधन तेल में भी 55 प्रतिशत तक कटौती की गई है। उत्तर कोरिया की ओर से निर्यात होने वाले कपड़ों और उत्तर कोरिया के नागरिकों के विदेश में काम करने वालों को अब कामगार परमिट देने पर आंशिक रोक होगी। इसके साथ ही अन्य देशों के नागरिकों पर उत्तर कोरियाई कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम लगाने पर भी बंदिशे होंगी।

9वें प्रतिबंध पर उत्‍तर कोरिया की यूएस को धमकी

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को उत्तर कोरिया पर 2006 में पहला परमाणु परीक्षण करने के बाद से नौंवी बार प्रतिबंध लगाए गए हैं। नए प्रतिबंधों से तिलमिलाए उत्तर कोरिया ने धमकी दी है कि अमेरिका को इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया के राजदूत हान ताई सांग ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिकी सरकार उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य मोर्चों पर कदम उठा रही है। उसे इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। वह हमारी ताकत को नहीं रोक सकता है।

चीन ने भी उत्तर कोरिया से फेरा मुंह

संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के मद्देनजर चीन के सबसे बड़े बैंकों की शाखाओं ने उत्तर कोरियाई नागरिकों के साथ लेनदेन स्थगित कर दिया है। जानकारों के मुताबिक इसके जरिये चीन ने संकेत दिया है कि वह इन प्रतिबंधों का कड़ाई से पालन करेगा। पहले उम्मीद जताई थी कि चीन का रुख पहले की तरह ही नरम होगा। अधिकारियों ने बताया कि उत्तर कोरिया और चीन के बीच परिवहन के केंद्र यांजी शहर स्थित बैंक शाखाओं को निर्देश दिया गया है कि उत्तर कोरियाई नागरिकों के खाते नहीं खोले जाएं। साथ ही पहले खुल चुके खातों से भी लेनदेन बंद किया जा रहा है। चीन के सबसे बड़े चार बैंकों इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना, एग्रीकल्चर बैंक ऑफ चाइना, बैंक ऑफ चाइना और चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक ने इसकी पुष्टि की है।

प्रतिंबधों का किन क्षेत्रों में पड़ेगा असर

यूएन के प्रतिबंधों के बाद उत्‍तर कोरिया के हालात काफी खराब हो सकते हैं। इसकी वजह है कि इन प्रतिबंधों का कई क्षेत्रों में सीधेतौर पर असर पड़ेगा। इसके तहत कपड़े के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और साथ ही साथ तेल आयात की सीमा भी तय कर दी गई है। इसके अलावा उत्तर कोरियाई नागरिकों को किसी और देश में नौकरी नहीं मिल सकेगी। उत्तर कोरिया के बाहर उत्तर कोरियाई सेना की संपत्ति भी जब्त की जाएगी। उत्तर कोरिया से आने और जाने वाले जहाजों की बिना बल प्रयोग के जांच की जा सकेगी।

चरमरा सकती है अर्थव्‍यवस्‍था

कपड़ों के निर्यात पर प्रतिबंध से उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है। उत्तर कोरिया कोयला व अन्य खनिज पदार्थों के बाद सबसे ज्यादा निर्यात कपड़े का ही करता था। इस निर्यात का भी 80 फीसद हिस्सा चीन को जाता था। 


रूस और चीन से राहत

अमेरिका की ओर से सदस्यों को दिए गए मसौदे में उत्तर कोरिया को होने वाले तेल निर्यात पर पूरी तरह से रोक लगाने और उत्तर कोरिया के जहाजों की जांच सदस्य देशों के लिए अनिवार्य करने की बात थी। लेकिन रविवार को अमेरिका ने रूस और चीन का समर्थन हासिल करने के लिए इसमें बदलाव किए और तेल निर्यात कटौती की सीमा 30 फीसदी कर दी।


रूस-चीन के कारण नहीं लगा तेल आयात पर पूर्ण प्रतिबंध

उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार बनाने में तेल की अहम भूमिका है। यूएन के प्रतिबंध प्राकृतिक गैस और तेल के अन्य सह उत्पादों पर पूरी तरह रोक लगाते हैं। अमेरिका ने उत्तर कोरिया के लिए ऐसा प्रस्ताव तैयार किया था कि अगर इसपर पूरी तरह अमल हो जाता तो उत्तर कोरियाई में जनजीवन ठहर जाता। अमेरिका चाहता था कि उत्तर कोरिया के तेल आयात करने पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। चीन और रूस के विरोध के कारण ऐसा नहीं हो सका। अमेरिका उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के विदेश दौरों पर रोक के साथ उसकी संपत्ति जब्ती के भी पक्ष में था।

प्रतिबंध के बाद भी वार्ता के विकल्‍प खुले

यह उत्तर कोरिया पर 2006 के बाद से लगाया गया नौवां प्रतिबंध है। संयुक्त राष्ट्र ने इसके पूर्व पांच अगस्त को कोयला, लोहा, लौह अयस्क से लेकर समुद्री खाद्य पदार्थों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस तरह उत्तर कोरिया से निर्यात होने वाली 90 प्रतिशत वस्तुएं प्रतिबंध के दायरे में आ गई हैं। उत्तर कोरियाई तानाशाह ने हाल ही में शक्तिशाली हाइड्रोजन परीक्षण का दावा किया था। माना जा रहा है कि यूएन के कड़े प्रतिबंधों से उत्तर कोरिया को मिल रहे चीन व रूसी समर्थन को भी झटका लगेगा। हालांकि, अमेरिका ने अब भी बातचीत के दरवाजे खुले रखे हैं।

परमाणु हथियारों से लैस उत्‍तर कोरिया स्‍वीकार नहीं

प्रतिबंधों के बाद यूएन में अमेरिकी राजदूत ने कहा कि हम दुनिया को यह बता रहे हैं कि अमेरिका कभी भी परमाणु हथियारों से लैस उत्तर कोरिया को स्वीकार नहीं करेगा। अब सुरक्षा परिषद ने भी कह दिया है कि अगर उत्तर कोरिया शासन ने अपना परमाणु कार्यक्रम बंद नहीं किया, तो हम उसे रोकने के लिए खुद कदम उठाएंगे।

फ्रांसीसी राजदूत, संयुक्त राष्ट्र

फ्रांस के संयुक्‍त राष्‍ट्र में राजदूत फ्रांकोइस डेलाटट्रे का कहना था कि उत्‍तर कोरिया से हम क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक खतरे का सामना कर रहे हैं। यह हमारे लिए छद्म नहीं बल्कि प्रत्यक्ष खतरा है। यह पूरे विश्व के लिए गंभीर ही नहीं घातक भी है। यह ऐसा खतरा है, जिसपर हमें मिलकर कार्रवाई करनी है। यही भावना हमें एक साथ लाई है। उन्‍होंने उम्मीद जताई है कि हम इससे परे जाकर और मजबूती से काम कर पाएंगे।


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