संयुक्त राष्ट्र ने ली पाकिस्तान की खबर, आतंकवाद को लेकर जमकर हड़काया
यूएनएचआरसी ने कहा कि सुरक्षा परिषद ने तालिबान हक्कानी नेटवर्क लश्कर-ए-तैयबा और जैश को आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। लेकिन पाक सरकार की सरपरस्ती में स्भी खुलेआम धूम रहे हैं।
जेनेवा, एजेंसी। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने पड़ोसी मुल्क को सख्त चेतावनी दी है कि वह दक्षिण एशिया में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम उठाए। यूएनएचआरसी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद को आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। लेकिन पाकिस्तान सरकार की सरपरस्ती में ये सभी संगठन न सिर्फ खुलेआम काम कर रहे हैं, बल्कि हर साल हजारों लोगों की जान भी ले रहे हैं।
यहां यूएनएचआरसी के 42वें सत्र को संबोधित करते हुए यूरोपीयन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज की शोधकर्ता सोआना देउनियर ने कहा, 'मैं आतंकवाद, खासकर दक्षिण एशिया में पाकिस्तान द्वारा राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर इस परिषद की अपर्याप्त चिंता को दूर कराना चाहूंगी।' देउनियर ने कहा कि इस क्षेत्र में आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है। लेकिन यह यूएनआचआरसी का पर्याप्त ध्यान उस तरफ नहीं है।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद ने तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद समेत तमाम संगठनों को आतंकवादी सूची में डाल रखा है, लेकिन पाकिस्तान सरकार की सरपरस्ती में ये सभी संगठन न सिर्फ खुलेआम काम कर रहे हैं, बल्कि हर साल हजारों लोगों की जान भी ले रहे हैं। सत्र में जमा हुए शोधकर्ताओं ने आशंका जताई कि तालिबान के साथ बातचीत बंद करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले और भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने के फैसले से पाकिस्तान खतरनाक घटनाओं को भड़का सकता है।
सत्र में अफगानिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ता बिलाल सरवे ने पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आइएसआइ पर उनके देश में आतंकवाद को समर्थन और बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने अफगानिस्तानी आतंकी गुट हक्कानी नेटवर्क को आइएसआइ का दाहिना हाथ बताया। सरवे ने दो टूक कहा कि अफगानिस्तान में हुए कुछ जघन्य आतंकी हमलों के लिए आइएसआइ जिम्मेदार है।
बलूचिस्तान को अपंग बना देगा सीपीईसी
यूएनएचआरसी सत्र में बलूचिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों ने अपने क्षेत्र में निर्माणाधीन अरबों डॉलर के चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीबीईसी) का विरोध किया। उन्होंने इसे अवैध करार देते हुए कि यह योजना उनके क्षेत्र को अपंग बना देगी।
मानवाधिकार कार्यकर्ता सिद्दीकी आजाद बलूच ने कहा कि उनके क्षेत्र में चीनी लोगों की आबादी तेजी से बढ़ रही है। वह जल्द ही बलूचों को पछाड़ देंगे। इसलिए बलूचों का अस्तित्व खतरे में है। उन्होंने बलूचों के मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय खासकर भारत से हस्तक्षेप की अपील की।