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अफगानिस्तान की बेहतरी के लिए संयुक्त राष्ट्र का संकल्प, भारत समेत 130 देशों ने किया समर्थन, रूस का विरोध

संयुक्त राष्ट्र महासभा में अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर चर्चा हुई। इसमें अफगान सरकार और तालिबान के बीच चल रही शांति वार्ता की सराहना की गई। साथ ही तालिबान अल कायदा इस्लामिक स्टेट के आतंकी हमलों से बचाव के लिए कदम बढ़ाए जाने की जरूरत बताई गई।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 11 Dec 2020 08:01 PM (IST)Updated: Fri, 11 Dec 2020 08:01 PM (IST)
अफगानिस्तान की बेहतरी के लिए संयुक्त राष्ट्र का संकल्प, भारत समेत 130 देशों ने किया समर्थन, रूस का विरोध
संयुक्त राष्ट्र महासभा में अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर चर्चा हुई।

संयुक्त राष्ट्र, एजेंसियां। अफगानिस्तान की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुई चर्चा में अफगान सरकार और तालिबान के बीच चल रही शांति वार्ता की सराहना की गई। साथ ही तालिबान, अल कायदा, इस्लामिक स्टेट के आतंकी हमलों से बचाव के लिए कदम बढ़ाए जाने की आवश्यकता जताई गई। अफगानिस्तान पर पेश 15 पेज के संकल्प पत्र का भारत समेत 130 सदस्य देशों ने समर्थन किया, जबकि रूस ने संकल्प के विरोध में वोट दिया। चीन, पाकिस्तान और बेलारूस ने मतदान का बहिष्कार किया, जबकि कुल 193 देशों में से 59 ने मतदान प्रक्रिया में भाग नहीं लिया।

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वार्ता के नियमों को सराहा

संकल्प पत्र में शांति और सद्भाव, लोकतंत्र, कानून का राज, स्वच्छ और प्रभावी प्रशासन, मानवाधिकार, नशीले पदार्थों के खिलाफ अभियान, सामाजिक व आर्थिक विकास और क्षेत्रीय सहयोग के लिए साथ देने की बात कही गई है। अफगानिस्तान में चल रही शांति वार्ता का स्वागत करते हुए उसके लिए दो दिसंबर को तय किए गए वार्ता के नियमों की सराहना की गई। संकल्प में अफगानिस्तान में जारी हिंसा और हमलों पर चिंता जताते हुए उसकी निंदा की गई। कहा गया कि इनमें जिस तरह से बड़ी संख्या में लोगों की जान गई, वह अस्वीकार्य है।

हिंसा पर तुरंत लगाई जाए रोक

हिंसा पर तत्काल रोक लगनी चाहिए जिससे शांति स्थापना और विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति हो सके। शांति स्थापित करने के लिए अफगानिस्तान सरकार और तालिबान को परस्पर विश्वास बढ़ाने वाले कदम उठाने चाहिए, इससे में कमी आएगी और उसे नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अफगानिस्तान में सुरक्षा के हालात पर गंभीर चिंता जताई। कहा कि तालिबान, इसके अंग हक्कानी नेटवर्क, अल कायदा और इस्लामिक स्टेट से अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थितियों को भारी खतरा है। इन संगठनों की ओर से लगातार हमले हो रहे हैं जिनसे जान-माल का भारी नुकसान हो रहा है।

विकास की राह की रुकावटें हटाए विश्व समुदाय : भारत

महासभा में अपने संबोधन में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि नागराज नायडू ने कहा, भारत अफगानिस्तान की स्थिति में सुधार से संबंधित हर प्रस्ताव का समर्थन करता है। विश्व समुदाय की जिम्मेदारी है कि वह अफगानिस्तान में शांति और विकास के रास्ते में आने वाली अड़चनों को दूर करे और देश को खड़ा होने में मदद करे। इससे अफगानिस्तान की जनता और विश्व समुदाय, दोनों का कल्याण होगा।

क्षीण हुई शांति की संभावना

संयुक्त राष्ट्र में पारित संकल्प प्रस्ताव के बीच अफगानिस्तान में शांति की संभावना को ग्रहण लगने की आशंका भी पैदा हो रही है। बीते कुछ महीने में देश में बढ़ी हिंसा, तालिबान के खूंखार आतंकियों की रिहाई और अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हार से अफगानिस्तान में शांति की संभावना कमजोर हुई है। यह बात एक सर्वे में निकलकर सामने आई है। विदित हो कि बीते सितंबर महीने से अफगान सरकार और तालिबान के बीच वार्ता शुरू हो गई है लेकिन अफगान बलों पर तालिबान के बड़े हमले बंद नहीं हुए हैं। लेकिन वह अमेरिका और नाटो की फौजों पर हमले न करने के अपने वादे पर कायम है। 


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