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UN : वैश्विक विस्थापन पर संयुक्त राष्ट्र ने जताई चिंता, कहा- एक दशक में दोगुना हुआ विस्थापितों का आंकड़ा

दुनियाभर में फैली कोरोना के बावजूद विस्थापितों की संख्या घटने की जगह उल्टा बढ़ गई है। पिछले एक दशक में विस्थापितों का आंकड़ा दोगुना हो गया है। यूएन ने आंकड़े जारी करते हुए बताया कि युद्ध और उत्पीड़न से भागने वाले लोगों की संख्या पिछले साल बढ़ती रही है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 18 Jun 2021 05:57 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jun 2021 05:59 PM (IST)
UN : वैश्विक विस्थापन पर संयुक्त राष्ट्र ने जताई चिंता, कहा- एक दशक में दोगुना हुआ विस्थापितों का आंकड़ा
वैश्विक विस्थापन पर संयुक्त राष्ट्र ने विस्थापितों को लेकर जताई चिंता। फाइल फोटो।

संयुक्‍त राष्‍ट्र, एजेंसी। दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी के बावजूद विस्थापितों की संख्या घटने की जगह उल्टा बढ़ गई है। पिछले एक दशक में विस्थापितों का आंकड़ा दोगुना हो गया है। शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र ने आंकड़े जारी करते हुए बताया कि, युद्ध और उत्पीड़न से भागने वाले लोगों की संख्या पिछले साल बढ़ती रही है। आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक विस्थापन करीब 8करोड़ 20 लाख से ज्यादा का हो गया है।

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दोगुना हुआ विस्थापितों का आंकड़

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी की एक ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि, साल 2020 में वैश्विक विस्थापन के आंकड़े करीब 30 लाख तक बढ़े हैं। जो की 2019 में पहले से ही रिकॉर्ड स्तर पर थे। रिपोर्ट में इस बात को बताया गया है कि, कैसे सीरिया, अफगानिस्तान, सोमालिया और यमन जैसे देशों में लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जबकि इथियोपिया और मोजाम्बिक जैसी जगहों पर हिंसा में विस्फोट के कारण विस्थापन बढ़ रहा था।

आंतरिक विस्थापन है बड़ी समस्या

यूएनएचसीआर के प्रमुख फिलिपो ग्रांडी ने एजेंसी से बातचीत में बताया कि, महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था सहित बाकी सब कुछ बंद हो गया था। लेकिन युद्ध, संघर्ष, हिंसा, भेदभाव और उत्पीड़न जिन कारणों से लोग विस्थापित होते हैं, वो सभी जारी रहे। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि, 2020 के अंत तक करीब 8करोड़ 24लाख लोग अपने ही देश में आंतरिक विस्थापन के कारण रिफ्यूजी के तरह रह रहे थे। ये आंकड़ा साल 2011 में करीब 4 करोड़ था।

युवाओं के आगे भविष्य की चुनौती

दुनियाभर के विस्थापितों में करीब 42प्रतिशत 18 साल से कम उम्र की लड़कियां और लड़के हैं। ग्रैंडी के मुताबिक इतने सारे बच्चों को अपने ही निकाला जाना ये बहुत बड़ा कारण है की हिंसा और संघर्ष को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा कोशिशें की जाएं। 2020 के अंत में करीब 2करोड़ 64लाख लोग शरणार्थी के रूप में रह रहे थे। जिसमें 57लाख लोग फिलिस्तीनी के शामिल थे। वहीं करीब 39 लाख लोग वेनेज़ुएला से विस्थापित हुए थे। पूरे विश्व से करीब 41लाख लोग में शरण चाहने वालों के रूप में पंजीकृत हुए थे।

शरणार्थियों की संख्या 2019 से अपेक्षाकृत कम रही

रिपोर्ट में कहा गया है कि शरणार्थी और शरण चाहने वालों की संख्या 2019 से अपेक्षाकृत कम रही है। लेकिन अपने ही देशों में विस्थापित हुए लोगों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।ये संख्या दो लाख से बढ़कर 48 लाख हो गई है। ये आश्चर्य की बात नहीं है कि लोगों को भागने के लिए मजबूर करने वाले कारण महामारी के दौरान भी कम नहीं हुए। लेकिन महामारी के चलते सीमा पार करने की संभावना काफी हद तक गायब हो गई है। कोरोना के कारण करीब 164 देशों ने अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमाएं बंद कर ली थीं।


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