COVID-19: महामारी से जूझते देशों के सामने मुंह बाये खड़ा है आर्थिक संकट: UN चीफ
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने कहा है कि महामारी से निपटने में दुनिया के विकासशील देशों को आर्थिक सहायता की दरकार है जो पूरा नहीं होने पर स्वास्थ्य संकट को और बड़ा बना देगा।
संयुक्त राष्ट्र, आइएएनएस। नॉवेल कोरोना वायरस के कारण महामारी से जूझ रहे दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ गई है। इस क्रम में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने देशों की आर्थिक जरूरतों का मुद्दा उठाया। इसमें कम और मध्यम आय वाले देशों की आवश्यकताओं पर उन्होंने अधिक जोर दिया। बुधवार को शिन्हुआ न्यूज एजेंसी ने बताया, 'सतत विकास के लिए वैश्विक इकोनॉमी में दोबारा सुधार (Rebirthing the Global Economy to Deliver Sustainable Development) ' विषय पर आयोजित राउंडटेबल में उन्होंने कहा, 'हमारी व्यापक वैश्विक प्रतिक्रिया के जरिए वित्त पर की जाने वाली कार्रवाई सेंट्रल होनी चाहिए। यदि देशों के पास महामारी से लड़ने और इससे उबरने के लिए पर्याप्त वित्तीय साधनों की कमी होगी तो हमें स्वास्थ्य संबंधित तबाही का सामना करना पड़ेगा और इससे ग्लोबल रिकवरी काफी मुश्किलों से भरा होगा। COVID-19 एक मानवीय संकट है लेकिन यह विकास व वित्तीय संकट भी बन गई है।'
हाल में ही सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव पारित कर दिया जिसके अनुसार सभी देशों से 90 दिनों के लिए तत्काल प्रभाव से युद्ध विराम लागू करने को कहा है। उनका कहना है कि महामारी के कारण दुनिया भर में जारी मुश्किल हालात पर ध्यान देने की जरूरत है न कि आपसी लड़ाई पर। लेकिन आतंकियों के खिलाफ सैन्य अभियान पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। उन्होंने चेताया कि महामारी के कारण सप्लाई चेन और व्यापार पूरी तरह अव्यवस्थित हो गई है ओर इससे खतरा हे कि कुछ मैन्युफैक्चरिंग विकसित देशों की ओर मुड़ जाएंगे और इससे विकासशील देशों की अर्थवयवस्था प्रभावित हो जाएगी। अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, दुनिया भर में फैले महामारी कोविड-।9 के आंकड़े एक करोड़ 60 लाख से अधिक हो गए हैं।
चीन से शुरू हुई महामारी ने पूरी दुनिया में तबाही मचा दी है। हालांकि इससे छुटकारा पाने के लिए तमाम देशों में वैक्सीन विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। कई देशों ने क्लिनिकल ट्रायल शुरू किए जाने की भी बात कही हैै।