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संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बोले- जलवायु परिवर्तन को लेकर उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा G-20 सम्मेलन

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने ग्रुप आफ 20 समिट (G-20 Summit) में जलवायु परिवर्तन से जुड़े समझौतों पर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में और अधिक महत्वाकांक्षी प्रतिबद्धताओं की उम्मीद थी।

By TaniskEdited By: Published: Mon, 01 Nov 2021 12:06 AM (IST)Updated: Mon, 01 Nov 2021 12:06 AM (IST)
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बोले- जलवायु परिवर्तन को लेकर उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा G-20 सम्मेलन
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरस । (फाइल फोटो)

रोम, एपी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने ग्रुप आफ 20 समिट (G-20 Summit) में जलवायु परिवर्तन से जुड़े समझौतों पर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में और अधिक महत्वाकांक्षी प्रतिबद्धताओं की उम्मीद थी। जी-20 देशों नेताओं ने रोम में अपनी दो दिवसीय बैठक के दौरान नए विदेशी कोयला संयंत्रों के लिए वित्तपोषण समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की, लेकिन नेट-जीरो ग्रीनहाउस गैस इमिशन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कोई वर्ष निर्धारित नहीं किया।

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सात समृद्ध देशों के समूह ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 2050 तक का समया निर्धारित किए हैं, जबकि जी-20 के सदस्य चीन, रूस और सऊदी अरब ने 2060 निर्धारित किए हैं। गुतेरस ने ट्वीट करके कहा, 'मैं अपनी अधूरी आशाओं के साथ रोम से जा रहा हूं, लेकिन वो कम से कम अभी खत्म नहीं हुई है । 1.5 डिग्री के लक्ष्य को जीवित रखने और लोगों और ग्रह के लिए वित्त और अनुकूलन पर वादों को लागू करने के लिए काप 26 के लिए ग्लासगो रवाना।'

गुतेरस ने जी-20 को बताया कि सदी के अंत तक वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 डिग्री फारेनहाइट) तक रखने के लिए  ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में 'अधिक महत्वाकांक्षा' दिखाने की आवश्यकता थी। जी -20 ने स्वीकार किया कि प्रभाव 1.5 डिग्री सेल्सियस के साथ 'बहुत कम' कम हो जाएगा, लेकिन 2015 के पेरिस जलवायु समझौते के ढीले लक्ष्यों को भी दोहराया, जो 1.5 डिग्री के लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश करते वक्त तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस (3.6 फारेनहाइट) तक रखने का आह्वान करता है। यह अंतर मामूली लगता है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की वैज्ञानिक समिति ने रेखांकित किया है कि बढ़ते समुद्र जलस्तर और बदलते मौसम जैसे जलवायु प्रभावों का असर 1.5 डिग्री सेल्सियस पर 2 डिग्री सेल्सियस की तुलना में बहुत कम दिखाई देगा।


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