लद्दाख के फैसले पर गदगद हुए श्रीलंका के दो बौद्ध धर्मगुरु, भारत सरकार के फैसले का सराहा
Article 370 - दोनों धर्मगुरुओं ने कहा है कि यह दोनों देशों के बीच धार्मिक राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करेगा।
By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 09 Aug 2019 02:46 PM (IST)Updated: Fri, 09 Aug 2019 02:46 PM (IST)
कोलंबों, एजेंसी । श्रीलंका के सबसे सम्मानित बौद्ध धर्मगुरुओं ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने का भारत के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि भारत के इस कदम से श्रीलंका और भारत के संबंध और मधुर व सुदृढ़ होंगे।
श्रीलंका की वेबसाइट डेली न्यूज के अनुसार श्रीलंका के दो सबसे प्रतिष्ठित बौद्ध धर्मगुरुओं सियाम निकया के मालवाटे और असगिरिया चैप्टर के महानायक थेरा ने गुरुवार को नई दिल्ली के इस एेतिहासिक कदम का स्वागत किया है। इस बाबत दोनों धर्मगुरुओं ने अपना अलग-अलग बयान जारी किया है। दोनों धर्मगुरुओं ने कहा है कि यह दोनों देशों के बीच धार्मिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करेगा।
मालवाटे चैप्टर के थेरा ने अपने एक बयान में कहा है कि भारत का समाज बहुलतावादी है। लेकिन इसके बावजूद भारत ने सभी धर्मों के अनुयायियों का सम्मान है। बहुलवादी समाज ने सौहार्दपूर्ण तरीके से सद्भाव और सामंजस्य से सभी धर्मों की रक्षा की है। उन्होंने कहा कि लद्दाख में 70 फीसद बौद्ध अनुयायी है। उनके लिए यह गर्व का विषय है। एक अन्य बौद्ध धर्मगुरु वारागगोड़ा श्री ज्ञानरतनाने ने कहा है कि लद्दाख बौद्ध अनुयायियों के लिए एक तीर्थ क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि यह लद्दाख क्षेत्र की तीर्थ यात्रा पर जाने वाले दुनिया भर के बौद्धों के लिए एक बरदान साबित होगा।
उधर, श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी ट्वीट करके भारत सरकार के इस फैसले का स्वागत किया और अपनी प्रशन्नता प्रकट की। उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि लद्दाख आखिरकार केंद्र शासित प्रदेश बन गया। 70 फीसद से अधिक बौद्धों के साथ यह पहला भारतीय राज्य होगा। उन्होंन आगे कहा कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने का फैसला भारत का आंतरिक मामला है। उन्होंने आगे कहा कि मैंने लद्दाख का दौरा किया है, यह स्थान यात्रा के लायक है।
बता दें कि भारत सरकार ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद कर दिया था। इसके साथ जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का ऐलान किया।
श्रीलंका की वेबसाइट डेली न्यूज के अनुसार श्रीलंका के दो सबसे प्रतिष्ठित बौद्ध धर्मगुरुओं सियाम निकया के मालवाटे और असगिरिया चैप्टर के महानायक थेरा ने गुरुवार को नई दिल्ली के इस एेतिहासिक कदम का स्वागत किया है। इस बाबत दोनों धर्मगुरुओं ने अपना अलग-अलग बयान जारी किया है। दोनों धर्मगुरुओं ने कहा है कि यह दोनों देशों के बीच धार्मिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करेगा।
मालवाटे चैप्टर के थेरा ने अपने एक बयान में कहा है कि भारत का समाज बहुलतावादी है। लेकिन इसके बावजूद भारत ने सभी धर्मों के अनुयायियों का सम्मान है। बहुलवादी समाज ने सौहार्दपूर्ण तरीके से सद्भाव और सामंजस्य से सभी धर्मों की रक्षा की है। उन्होंने कहा कि लद्दाख में 70 फीसद बौद्ध अनुयायी है। उनके लिए यह गर्व का विषय है। एक अन्य बौद्ध धर्मगुरु वारागगोड़ा श्री ज्ञानरतनाने ने कहा है कि लद्दाख बौद्ध अनुयायियों के लिए एक तीर्थ क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि यह लद्दाख क्षेत्र की तीर्थ यात्रा पर जाने वाले दुनिया भर के बौद्धों के लिए एक बरदान साबित होगा।
उधर, श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी ट्वीट करके भारत सरकार के इस फैसले का स्वागत किया और अपनी प्रशन्नता प्रकट की। उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि लद्दाख आखिरकार केंद्र शासित प्रदेश बन गया। 70 फीसद से अधिक बौद्धों के साथ यह पहला भारतीय राज्य होगा। उन्होंन आगे कहा कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने का फैसला भारत का आंतरिक मामला है। उन्होंने आगे कहा कि मैंने लद्दाख का दौरा किया है, यह स्थान यात्रा के लायक है।
बता दें कि भारत सरकार ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद कर दिया था। इसके साथ जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का ऐलान किया।
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