Move to Jagran APP

कश्मीर को लेकर नरम पड़ा तुर्की, पाकिस्तान से दूरी के संकेत, जानिए क्यों एर्दोगन ने बदला अपना रुख

पाकिस्तान को नजर आने लगा है कि एर्दोगन ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति की मेजबानी वाले एक कार्यक्रम में कश्मीर का उल्लेख नहीं किया। इसी तरह पाकिस्तानी कट्टरपंथी नेता और कश्मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी की मौत पर भी कोई शोक संदेश नहीं भेजा है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 06:18 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 07:51 PM (IST)
कश्मीर को लेकर नरम पड़ा तुर्की, पाकिस्तान से दूरी के संकेत, जानिए क्यों एर्दोगन ने बदला अपना रुख
तुर्की के राष्ट्रपति रीसेप तैय्यब एर्दोगन और पाक पीएम इमरान खान की फाइल फोटो

रोम, एएनआइ। पाकिस्तान और तुर्की के बीच एकजुटता दिखाने की कोशिशों के बावजूद सब कुछ ठीक नहीं है। चूंकि तुर्की ने अब कश्मीर पर अपना रुख नरम कर लिया है। इटैलियन वेबसाइट इनसाइडओवर के राजनीतिक सलाहकार और विशेषज्ञ सर्गियो रेस्तेली ने कहा कि पाकिस्तान के सत्ता के गलियारों में तुर्की की ओर से कश्मीर में कोई रुचि नहीं लेने पर निराशा और क्षोभ है। साथ ही तुर्की के राष्ट्रपति रीसेप तैय्यब एर्दोगन ने कश्मीर के मुद्दे पर असहजता दिखाते हुए पाकिस्तान का कोई पक्ष नहीं लिया है।

loksabha election banner

ध्यान रहे कि एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीन अलग बैठकों में लगातार कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए उसे अहमियत दी है। उन्होंने हमेशा यह दिखाने की कोशिश की है कि उनके लिए कश्मीर का मुद्दा अहम है। रेस्तेली ने बताया कि एर्दोगन के लिए इस्लामिक दुनिया में उइगर मुसलमानों और रोहिंग्याओं की समस्याओं को देखते हुए अब कश्मीर का मुद्दा अहम नहीं रहा। वह उसके लेकर नरम पड़ गए हैं। जबकि पाकिस्तान के लिए कश्मीर अभी भी एक सबसे अहम मुद्दा है। वह बराबर इन्हीं कोशिशों में हैं कि तुर्की भी बराबर उनके सुर में सुर मिलाता रहे।

पाकिस्तान को नजर आने लगा है कि एर्दोगन ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति की मेजबानी वाले एक कार्यक्रम में कश्मीर का उल्लेख नहीं किया। इसी तरह पाकिस्तानी कट्टरपंथी नेता और कश्मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी की मौत पर भी कोई शोक संदेश नहीं भेजा है।

दूसरी ओर, तुर्की उन इस्लामिक देशों से संबंध सुधारने में लगा है जिनके रिश्ते भारत से बहुत अच्छे हैं। तुर्की ने हाल के दिनों में मिस्र, यूएई और सऊदी अरब से रिश्ते बेहतर करने के कई प्रयास किए हैं।

रेस्तेली ने अपनी वेबसाइट में लिखा कि एर्दोगन को समझ आ गया है कि अगर तुर्की को अपनी आर्थिक हालत सुधारने के लिए राजनीतिक समर्थन जुटाना है तो उसे अंतरराष्ट्रीय मदद और भरपूर निवेश चाहिए होगा। ऐसे में पाकिस्तान का रवैया जो भी हो लेकिन भारत दुनिया का एक प्रमुख आर्थिक महत्व वाला देश है। हाल ही में पाकिस्तान की ही तरह तुर्की को भी एफएटीएफ ने आतंक के वित्त पोषण के आरोप में ग्रे लिस्ट में डाल दिया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.