Move to Jagran APP

दावा: टॉयलेट का पानी बनाया जा सकता है बोतलबंद पानी जितना शुद्ध

वैज्ञानिकों का दावा है कि टॉयलेट के पानी को रीसाइकिल करके पीने लायक बनाया जा सकता है और उसका स्वाद भी सामान्य पानी जैसा ही होता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 26 Mar 2018 12:34 PM (IST)Updated: Mon, 26 Mar 2018 12:47 PM (IST)
दावा: टॉयलेट का पानी बनाया जा सकता है बोतलबंद पानी जितना शुद्ध
दावा: टॉयलेट का पानी बनाया जा सकता है बोतलबंद पानी जितना शुद्ध

केप-टाउन (एजेंसी)। पानी की जो बर्बादी लोग कर रहे हैं, उसके दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। साउथ अफ्रीका के केप-टाउन में लोगों को पीने के पानी के लिए अभी से लंबी लाइन लगानी पड़ रही है। प्रति व्यक्ति प्रति दिन करीब 20 लीटर पानी बड़ी मुश्किल से उपलब्ध कराया जा रहा है। ऐसे में वैज्ञानिक टॉयलेट के पानी को पीने योग्य बनाने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं।

loksabha election banner

टॉयलेट के पानी को बोतलबंद पानी जैसा शुद्ध बनाया जा सकता है। यह जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने प्रयोग के बाद दी है। उनका दावा है कि टॉयलेट के पानी को रीसाइकिल करके पीने लायक बनाया जा सकता है और उसका स्वाद भी सामान्य पानी जैसा ही होता है।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि वैश्विक जल संकट को देखते हुए लोगों को सीधे शौचालय से आने वाले पीने के पानी को स्वीकार करना होगा।

रीसाइकिल किया गया टॉयलेट का पानी पीने के लिए सुरक्षित है क्योंकि इसमें कोई हानिकारक पदार्थ नहीं है। पीने के पानी की आपूर्ति में भेजने से पहले इसके सभी हानिकारक तत्वों को बाहर निकल दिया जाता है।

अध्ययन के प्रमुख लेखक डैनियल हार्मन का कहना है कि वेस्ट वॉटर और पानी को रीसाइकिल करने का आईडिया पर लोगों की घृणित प्रतिक्रिया मिलती है। इस अध्ययन को सांटिफिक जर्नल एपीटाइट में प्रकाशित किया गया है। इसमें कहा गया है कि 143 स्वयंसेवकों ने इंडायरेक्ट पोटेबल रीयूज (IDR) वॉटर को पिया।

पंजाब के वेटरनरी यूनिवर्सिटी ने बकरी के दूध से बनाई लस्सी

शोधकर्ताओं ने आईडीआर से ट्रीट किए गए पानी नल के पानी और व्यावसायिक रूप से बोतलबंद पानी को तीन कप में अलग-अलग भर कर रखा। उनके ऊपर कोई लेबल नहीं लगाया गया था। प्रतिभागियों को एक से पांच के पैमाने में तीनों पानी के स्वाद का आंकलन करने के लिए कहा गया था।

शोधकर्ताओं ने सोचा था कि पानी का स्कोर समान होगा। मगर, उन्होंने पाया कि लोगों ने नल के पानी को एक से पांच के पैमाने में सबसे कम अंक दिए थे। जो वॉलेंटियर्स शुरू में परेशान या चिंतित थे, उन्होंने आईडीआर ट्रीटेड पानी और बोतलबंद पानी के स्वाद को अधिक पसंद किया।

अध्ययन की सह-लेखिका प्रोफेसर मैरी गौवन ने कहा कि भूजल को आईडीआर या बोतलबंद पानी की तरह पसंद नहीं किया गया। हमें लगता है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आईडीआर और बोतलबंद पानी एक ही तरह के ट्रीटमेंट से होकर गुजरे थे। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.