नहीं सुधरे हालात तो गरीबी रेखा से नीचे चले जाएंगे 3 करोड़ से अधिक लोग- यूएनसीटीएडी रिपोर्ट
यूएनसीटीएडी की रिपोर्ट में आशंका व्यक्त की गई है कि महामारी के बीच 47 देशों के 3 करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे चले जाएंगे। ऐसे में इन देशों को दोबारा अपने पांव पर खड़ा करना एक बड़ी चुनौती होगी।
संयुक्त राष्ट्र। कोविड-19 महामारी से जूझ रहे विकासशील और गरीब देशों के लिए मौजूदा वर्ष सबसे खुराब गुजरने वाला है। संयुक्त राष्ट्र के कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (यूएनसीटीएडी) की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि ये देश इस महामारी के बीच तीन दशक में सबसे बुरी आर्थिक स्थिति का सामना करेंगे। इसमें कहा गया है कि महामारी के बाद इन देशों में बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ी है और आमदनी का स्तर लगातार कम हुआ है। इसकी वजह से आने वाले समय में दुनिया के करीब 47 देशों में 3 करोड़ से अधिक लोग गरीबी के और निचले स्तर पर चले जाएंगे। आपको बता दें कि यूएनसीटीएडी दुनिया के ऐसे सभी गरीब देशों की आर्थिक स्थिति पर कड़ी निगाह रखता है और इन देशों को दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने में मदद करता है।
कोविड-19 का असर कम
यूएनसीटीएडी की इस रिपोर्ट में एक बेहद खास बात का भी जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि इन देशों में कोरोना महामारी का शुरुआती असर तो कम रहा है लेकिन इसका आर्थिक असर काफी व्यापक रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2010-अक्टूबर 2020 के बीच ऐसे देशों की आर्थिक विकास दर का अनुमान 5 फीसद से कम कर 0.4 फीसद कर दिया गया है। इसके चलते यहां के लोगों की प्रति व्यक्ति आय में भी करीब ढाई फीसद की कमी आने की आशंका है। संगठन की डायरेक्टर जनरल मुखसा कितुई का कहा है कि इन देशों में बसे पहले से ही आर्थिक तंगी के शिकार हैं। कोविड-19 की महामारी से पहले इन देशों में जो कुछ आर्थिक प्रगति हुई थी वो भी अब बेकार होती दिखाई दे रही है।
कई स्तर पर आई गिरावट
आर्थिक हालातों के अलावा यहां के लोगों को पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा का स्तर पर भी लगातार गिरा है। जहां तक यहां पर कोविड-19 महामारी का असर ज्यादा न होने की बात है तो जानकारों ने इस रिपोर्ट में कहा है कि इसकी वजह कम आबादी घनत्व और युवाओं की अधिक आबादी रहा हे। हालांकि इसके भविष्य को लेकर यूएनसीटीएडी ने आशंका जरूर व्यक्त की है। इसमें कहा गया है इस वायरस का फैलाव यहां के हेल्थ सेक्टर पर बुरा असर डाल सकता है जो यहां के गरीब लोगों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन सकता है।
गरीबी रेखा से नीचे होंगे करोड़ से अधिक लोग
रिपोर्ट की मानें तो ऐसे गरीब देश जिनकी अर्थव्यवस्था कपड़े, धातु, खनिजों पर टिकी है उन्हें ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसकी वजह विश्व के बाजार में इनकी कीमतों में आई जबरदस्त गिरावट है। इसकी वजह कहीं न कहीं दुनिया में व्याप्त कोरोना महामारी ही है। इसमें ये भी कहा है कि यदि ये आर्थिक संकट जल्द खत्म नहीं हो सका तो इसका असर और व्यापक होगा। ऐसे में इन देशों की उत्पादन क्षमता खतरनाक स्तर तक गिर जाएगी। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया खाद्य असुरक्षा के साथ साथ गरीबी का स्तर बढ़ने की चेतावनी पहले से ही दी हुई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे गरीब देशों में उन लोगों की संख्या में जबरदस्त इजाफा देखने को मिल सकता है जिनकी आमदनी डेढ़ सौ रुपये प्रतिदिन है। रिपोर्ट में इनके 3 फीसद से बढ़कर 35 फीसद होने की आशंका व्यक्त की गई है। ऐसे में दुनिया के इन देशों में रहने वाले 3 करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाएंगे।
मदद की अपील
हालांकि संगठन के महानिदेशक का कहना है कि इन देशों ने खुद को इस आर्थिक तंगी से बचाने के लिए सारे संसाधनों को दांव पर लगा दिया हे लेकिन इसके बावजूद वो इससे उबर नहीं पा रहे हैं। ऐसे में इन देशों को दोबारा अपने पांव पर खड़ा करना सबसे बड़ी चुनौती बनने वाली है। इन देशों की उत्पादन क्षमता पहले से ही कम है लेकिन जल्द सुधार न होने की सूरत में ये और गिर जाएगी। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन देशों के लिए मदद करने का आह्वान किया है।
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