भारत-चीन के बीच भविष्य में भी है खूनी संघर्ष का खतरा, हांगकांग के एक अखबार ने जताई आशंका
India China News गलवन घाटी में हुए खूनी संघर्ष के बाद से ही एलएसी के दोनों तरफ सैनिकों की संख्या बढ़ाई जा रही है और बड़ी संख्या में हथियार पहुंचाए जा रहे हैं।
हांगकांग, एएनआइ। पूर्वी लद्दाख में पिछले महीने भारत और चीन के बीच खूनी सैन्य झड़प ने उभरते भारत को लेकर ड्रैगन के सामरिक आकलन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे दोनों एटमी ताकतों के बीच हिंसक संघर्ष का खतरा भी बढ़ गया है। साउथ चाइना मार्निग पोस्ट में प्रकाशित एक विश्लेषण में यह बात कही गई है।
पूर्व राजनयिक शी जियांगताओ ने इस लेख में कहा है कि चीन पहले से ही अमेरिका के साथ शीत युद्ध में उलझा हुआ था, तभी जून में भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर खूनी संघर्ष हो गया। पिछले 50 साल में ऐसा पहली बार हुआ। हालांकि दोनों देश टकराव टालने की इच्छा और सहमति जता रहे हैं, फिर भी इसकी गुंजाइश कम ही है कि यह तनाव इतनी जल्द खत्म हो जाएगा। गलवन घाटी में हुए खूनी संघर्ष के बाद से ही एलएसी के दोनों तरफ सैनिकों की संख्या बढ़ाई जा रही है और बड़ी संख्या में हथियार पहुंचाए जा रहे हैं।
चीन को अब डैमेज कंट्रोल में जुट जाना चाहिए
शी ने कुछ राजनीतिक विश्लेषकों के हवाले से यह भी कहा है कि इस तनाव को खत्म कर नई दिल्ली के साथ रिश्तों को सहज बनाना चीन के लिए इसलिए भी आसान नहीं है कि अमेरिका और दुनिया की अन्य बड़ी ताकतें भी भारत का साथ दे रही हैं। यह चीन की कूटनीति के लिए बड़ा झटका है। एक क्षेत्रीय ताकत के रूप में उभरते भारत की अमेरिका के साथ बढ़ती निकटता को देखते हुए भारत अब चीन के एजेंडे में काफी ऊपर आ गया है। पिछले दो दशक में भारत काफी बदल गया है और एक एशियाई महाशक्ति बन चुका है। शी ने यह भी कहा है कि चीन को जब अमेरिका से बढ़ती कटुता के साथ ही कई मोर्चो पर कूटनीतिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, तब यह बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह भारत से जा भिड़ा। लेखक ने सलाह दी है कि चीन को अब डैमेज कंट्रोल में जुट जाना चाहिए।