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काबुल में बिखर रहे आतंकी संगठन आइएस का असर दिखाने के लिए हुआ था गुरुद्वारे पर हमला

काबुल के गुरुद्वारे में हुए आतंकी हमले के मास्टरमाइंड मालावी अब्दुल्ला अका असलम फारूकी से सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ चल रही है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 11:54 PM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 11:54 PM (IST)
काबुल में बिखर रहे आतंकी संगठन आइएस का असर दिखाने के लिए हुआ था गुरुद्वारे पर हमला
काबुल में बिखर रहे आतंकी संगठन आइएस का असर दिखाने के लिए हुआ था गुरुद्वारे पर हमला

 काबुल, एएनआइ। काबुल के गुरुद्वारे में हुए आतंकी हमले के मास्टरमाइंड मालावी अब्दुल्ला अका असलम फारूकी से सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ चल रही है। पता चला है कि बिखर रहे आइएस संगठन को फिर से एकजुट करने और हौसला बढ़ाने के लिए गुरुद्वारे पर हमले की वारदात को अंजाम दिया गया। फारूकी को शनिवार को अफगानिस्तान में गिरफ्तार किया गया था। वह इस्लामिक स्टेट खोरसान प्रांत (आइएसकेपी) का अमीर (प्रमुख) है। 25 मार्च को गुरुद्वारा पर हुए हमले में एक भारतीय नागरिक समेत 27 लोग मारे गए थे।

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फारूकी और 19 अन्‍य लोगों को गिरफ्तार किया गया   

अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (एनडीएस) के मुताबिक खुफिया सूचना के आधार फारूकी को 19 अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार आतंकियों में मसाउद्दौला, खान मुहम्मद, सलमान और अली मुहम्मद भी शामिल हैं। ये सभी पाकिस्तानी नागरिक हैं। फारूकी ने पूछताछ में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ से अपने रिश्ते की बात कुबूल की है। संकेत यह भी हैं कि गुरुद्वारे पर हमले के लिए उसे आइएसआइ से हरी झंडी मिली थी। विदित हो कि आइएस के खिलाफ कार्रवाई में अफगान सुरक्षा बलों के अलावा तालिबान भी लगा हुआ है। क्योंकि आइएस अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए तालिबान के हितों पर चोट कर रहा है। 2015 से अफगानिस्तान में ऑपरेशन शुरू करने के बाद आइएस ने तेजी से अपने पांव पसारे। जब तालिबान को उसके खतरे का एहसास हुआ तो उसने जवाबी कार्रवाई में आइएस आतंकियों को मारना शुरू किया।

कई संगठन बदल चुका है फारूकी 

पाकिस्तानी नागरिक फारूकी इससे पहले आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य था। इसके बाद वह तहरीक-ए-तालिबान से जुड़ा। इसके बाद वह आतंकी संगठन आइएस से जुड़ा और अप्रैल 2019 में उसे मालावी जिया उल हक अका अबू उमर खोरसानी के स्थान पर आइएसकेपी का प्रमुख नियुक्त किया गया। फारूकी मामजई आदिवासी समुदाय का है और पाकिस्तान में अफगानिस्तान सीमा के नजदीक उसका गांव है।


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