थाईलैंड: आम नहीं खास हैं ये बच्चे, एक दूसरे का हाथ थामे लिखी हौसले की इबारत
गुफा में फंसे छोटे-छोटे बच्चों ने आखिरी दम तक हिम्मत नहीं हारी। सभी बच्चे एक-दूसरे का सहारा बने और हौसला बढ़ाया।
नई दिल्ली (जेएनएन)। उत्तरी थाईलैंड की टैम लूंग गुफा में फंसे सभी बच्चों और उनके कोच को बाहर निकाल लिया गया है। इसी के साथ एक लंबा और जोखिम भरा अभियान अपने सुखद अंजाम तक पहुंचा। रेस्क्यू टीम ने बच्चों को निकालने में अपनी पूरी जान लगा दी, लेकिन इस दौरान बच्चों ने जो हिम्मत और समझदारी दिखाई, वो काबिले तारीफ है। गुफा में फंसे छोटे-छोटे बच्चों ने आखिरी दम तक हिम्मत नहीं हारी। सभी बच्चे एक-दूसरे का सहारा बने और हौसला बढ़ाया।
बच्चों के लिए कोच बना 'भगवान'
18 दिन तक गुफा में बच्चों का जिंदा रहना किसी चमत्कार से कम नही है। इसमें कोच की भूमिका बड़ी अहम है। कोच इन बच्चों के लिए भगवान साबित हुआ। म्यांमार में पैदा हुए इकापोल कोच बनने से पहले बौद्ध भिक्षु थे। जब डाइवर्स की टीम गुफा में पहुंची तब इकापोल सबसे कमजोर हालत में थे। क्योंकि बच्चों को खाना कम न पड़ जाए, इसलिए उन्होंने कुछ भी नहीं खाया और अपना खाना बच्चों को दे दिया। उन्होंने बच्चों को ध्यान करना भी सिखाया।
कप्तान बना मोटीवेटर, बढ़ाया हौसला
13 वर्षीय डोम वाइल्ड बोर्स क्लब का कप्तान है। वो कई क्लब में खेल चुका है। हेड कोच के मुताबिक डोम एक अच्छा मोटीवेटर है, उसे पता है कि कैसे मुश्किल समय में अपनी टीम को संभालना है। टीम के बाकी सदस्य अपने कप्तान की बात भी मानते हैं। डोम ने गुफा में भी अपनी जिम्मेदारी निभाई और साथियों को मोटीवेट किया।
गुफा में रह कर बचाव मिशन में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
अडुल ने बचाव मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अडुल अभी केवल 13 वर्ष का है और इतनी सी उम्र में वह थाई, वर्मा, चीनी और अंग्रेजी समेत कई भाषाओं का जानकार है। जब ब्रिटिश डाइवर्स टीम तक पहुंचे तो अडुल ने ही उनसे बात की। उसने बचावकर्मियों को बताया कि टीम वहां पर कब से फंसी हुई है और उन्हें गुफा में किन चीजों की जरूरत है। अडुल ने घर वालों को एक पत्र में लिखा था कि हम यहां ठीक हैं। आप सब परेशान मत होना।
चार दिन तक चला नाइट के जन्मदिन का खाना
सभी बच्चे अपने साथी नाइट का जन्मदिन मनाने गुफा में गए थे। टीम के सभी सदस्य स्नैक्स और खाने का समान अपने साथ लेकर गए थे। इसी खाने से टीम ने तीन से चार दिन काम चलाया। नाईट के पिता ने पत्र में लिखा था कि हम तुम्हारा जन्मदिन मनाने का इंतजार कर रहे हैं।
सबसे छोटा पर सबसे बहादुर
गुफा में फंसी टीम में 11 वर्षीय टाइटन सबसे छोटा है, लेकिन वह सबसे बहादुर निकला। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उसे सबसे आखिरी में निकाला गया था, लेकिन आखिरी तक उसने हौसला बनाए रखा। टाइटन ने 7 साल की उम्र में ही फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था। इसके बाद वो स्कूल में स्पोर्टस क्लब से जुड़ा। फुटबॉल के प्रति अपने लगाव के चलते वह वाइल्ड बोर्स फुटबॉल क्लब में शामिल हो गया।
शांत और समझदार है मिग
टीम के हेड कोच के मुताबिक मिग महज 13 वर्ष का है, लेकिन वह अपनी उम्र के बच्चों से काफी बड़ा और समझदार है। मिग के घरवालों ने बताया कि वह स्मार्ट और शांत रहने वाला लड़का है। साथ ही वह काफी हिम्मत वाला भी है। वह परिस्थितियों से जल्दी घबराता नहीं है।
मार्क: 12 वर्षीय मार्क के अध्यापक ने बताया कि वो काफी सम्मानित बच्चा है। खेल के साथ ही वो पढ़ने में भी काफी अच्छा है।
निक: 15 वर्षीय निक ने अपने माता-पिता को भेजे पत्र में लिखा कि मैं वापस घर आने पर आप लोगों के साथ थाई रेस्त्रां जाना चाहता हूं।
टर्न: 14 वर्षीय बहादुर टर्न ने अपने माता-पिता को पत्र में लिखा था कि आप लोग परेशान मत होना। हम सब बिल्कुल सुरक्षित हैं।
टी: 16 वर्षीय टी ने अपने पत्र में लिखा की मम्मी-पापा आप बिल्कुल भी हमारी चिंता ना करिए। हम सब यहां साथ में हैं और खुश हैं।
ऐसे फंस गए थे बच्चे
उत्तरी थाईलैंड में स्थित एक गुफा को अंदर से देखने की चाहत इन 12 बच्चों और उनके कोच को रोमांचित कर रही थी। वो 23 जून की शाम थी। फुटबॉल का अभ्यास करने के बाद 12 बच्चे अपने कोच के साथ लौट रहे थे। अभ्यास के बाद सभी गुफा के अंदर दाखिल हुए, लेकिन अगले पल उनके साथ क्या होने वाला है इसका उन्हें जरा भी आभास नहीं था। बाहर आई भारी बारिश के कारण गुफा में बाढ़ आ गई और सब के सब अंदर फंस गए।